Vivad Se Vishwas scheme को लोकसभा में मिली मंजूरी, मोदी सरकार की कर माफी योजना का ऐसे उठा सकते हैं लाभ
By स्वाति सिंह | Published: March 4, 2020 02:22 PM2020-03-04T14:22:22+5:302020-03-04T14:26:29+5:30
विवाद से विश्वास विधेयक: दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के बीच प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक 2020 को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखते हुए सीतारमण ने कहा, ‘‘ यह योजना कर विवाद के मामलों के निपटारे के लिये विकल्प देगी। इससे लोगों को मामले का निपटारा करने में होने वाले खर्च और समय बचाने में काफी मदद मिलेगी।’’
नई दिल्ली: विवाद से विश्वास विधेयक 2020 बिल बुधवार को लोकसभा में मंजूरी मिल गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 का बजट पेश करने के दौरान आयकर मामलों के समाधान के लिए ‘विवाद से विश्वास’ योजना की घोषणा की थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि बजट में घोषित प्रत्यक्ष कर विवाद निपटारा योजना से लोगों को मामले का निपटारा करने में होने वाले खर्च और समय बचाने में काफी मदद मिलेगी।
विभिन्न अदालतों एवं पंचाटों सहित अपीलीय निकायों में प्रत्यक्ष कर से जुड़े 9.32 लाख करोड़ रूपये के 4.83 लाख मामले लंबित हैं। विभाग ने 31 मार्च तक दो लाख करोड़ रुपये संग्रह करने का लक्ष्य तय किया है। यह ज्ञापन सभी क्षेत्रों के प्रमुख आयकर आयुक्तों को भेजा गया है।
दिल्ली हिंसा के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के बीच प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक 2020 को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखते हुए सीतारमण ने कहा, ‘‘ यह योजना कर विवाद के मामलों के निपटारे के लिये विकल्प देगी। इससे लोगों को मामले का निपटारा करने में होने वाले खर्च और समय बचाने में काफी मदद मिलेगी।’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने विवादों को कम करने के लिये कदम उठाये हैं। ऐसी ही एक योजना अप्रत्यक्ष कर विवाद के मामले में घोषित की गई थी। विवाद से विश्वास योजना के तहत, एक करदाता को केवल विवादित करों की राशि का भुगतान करना होगा और उसे ब्याज एवं जुर्माने पर पूरी छूट मिलेगी, बशर्ते वह 31 मार्च, 2020 तक भुगतान करे।
Vivad Se Vishwas scheme के लिए ऐसे करें आवेदन
करदाता विवाद से विश्वास डेक्लेरेशन फॉर्म में सभी जरूरी जानकारियां भरकर फोरम में जमा कराएं।
इसके बाद आयकर विभाग की ओर से 15 दिनों के भीतर प्रमाण पत्र जारी हो जाएगा जिसमें योजना के तहत कुल देय राशि का खुलासा होगा।
करदाता को प्रमाण पत्र मिलने के 15 दिनों के भीतर उसमें बताई राशि जमा करानी होगी।
इसकी जानकारी एक तय फॉर्म में भरकर वापस आयकर विभाग के साथ साझा करनी होगी।
इसके बाद करदाता को भुगतान किए जाने से संबंधित एक आदेश जारी कर दिया जाएगा।
इस आदेश को देश या विदेश की किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।