शहरों में रहने वाले लोगों को ऐसे मिलेगा घर खरीदने के लिए सस्ता लोन
By रामदीप मिश्रा | Published: June 8, 2018 04:46 PM2018-06-08T16:46:56+5:302018-06-08T16:46:56+5:30
रिजर्व बैंक ने इससे पहले 28 जनवरी 2014 को रेपो दर में वृद्धि की थी। उस समय रेपो दर 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर आठ प्रतिशत पर पहुंच गई थी। उसके बाद से इसमें या तो गिरावट आती रही अथवा दर को स्थिर रखा गया।
नई दिल्ली, 08ः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुख्य नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। पिछले चार साल से अधिक समय में पहली बार रेपो दर बढ़ाई गई है। इससे बैंकों का कर्ज महंगा होगा और मकान, वाहन के कर्ज की ईएमआई बढ़ सकती है। हालांकि आरबीआई ने एक मध्यम वर्गीय परिवारों को जरूर थोड़ी राहत दी है।
बैंक के अनुसार, महानगरों में घर खरीदने वाले लोगों के लिए 35 लाख रुपये तक के लोन को 'प्रायरिटी सेक्टर लेंडिंग (पीएसएल)' श्रेणी में रखा जाएगा। पहले यह सीमा 28 लाख रुपये तक रखी गई थी, जिसमें सात लाख तक कर दी गई। इनमें वे शहर शामिल होंगे जिनकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। इसके अलावा अन्य शहरों के लिए 25 लाख रुपए तक रखी है, जोकि पहले 20 लाख रुपए थी।
इस पीएलएल श्रेणी का लाभ तभी उठाया जा सकता है जब महानगरों में 45 लाख रुपए तक का घर हो। वहीं अन्य शहरों में कीमत 30 लाख रुपये तक होनी चाहिए। बता दें, पीएसएल के तहत दिए जाने वाले लोन के लिए आरबीआई समय-समय पर ब्याज दरों की घोषणा करता है, जिसमें हाउसिंग, कृषि, शिक्षा, छोटे उद्योग, निर्यात कर्ज समेत अन्य शामिल हैं।
इससे पहले बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चली बैठक के बाद रेपो दर बढ़ाने की घोषणा की गई थी। रिजर्व बैंक गवर्नर ऊर्जित पटेल सहित समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में अपना मत देकर बाजार को हैरत में डाल दिया। रेपो दर वह दर होती है जिस पर केन्द्रीय बैंक एक दिन- एक रात की फौरी जरूरत के लिये बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है। इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर भी इसी अनुपात में बढ़कर छह प्रतिशत हो गई। इस दर पर केन्द्रीय बैंक बैंकों से अतिरिक्त नकदी उठाता है।
रिजर्व बैंक ने इससे पहले 28 जनवरी 2014 को रेपो दर में वृद्धि की थी। उस समय रेपो दर 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर आठ प्रतिशत पर पहुंच गई थी। उसके बाद से इसमें या तो गिरावट आती रही अथवा दर को स्थिर रखा गया। जनवरी 2015 में पहली बार इसमें चौथाई प्रतिशत की कटौती कर इसे 7.75 प्रतिशत पर लाया गया।
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