41.6 करोड़ पर पहुंचा जनधन खातों का आंकड़ा, जीरो बैलेंस पर खुलवाएं, जानिए इसके बारे में
By सतीश कुमार सिंह | Published: January 20, 2021 01:04 PM2021-01-20T13:04:58+5:302021-01-20T13:06:12+5:30
प्रधानमंत्री जन-धन योजना की वेबसाइट (पीएमजेडीवाय) का उद्देश्य बैंकिंग/बचत, जमा खाता, प्रेषण, ऋण, बीमा, पेंशन इत्यादि वित्तीय सेवाओं को प्रभावी ढंग से सभी तक पहुँचाना है।
नई दिल्लीः लोगों की पहुंच बैंकों तक बढ़ गई हैं। प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) से 41.6 करोड़ लोगों को फायदा हुआ है।
मंगलवार को वित्त मंत्रालय ने कहा कि वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की एक प्रमुख योजना प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) से 41 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित हुए। 6 जनवरी 2021 तक जन धन खातों की कुल संख्या 41.6 करोड़ थी।
मार्च 2015 के 58 प्रतिशत से कम होकर 7.5 प्रतिशत पर आ गयी
वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘सरकार सभी नागरिकों के वित्तीय समावेशन के लिये प्रतिबद्ध है। छह जनवरी 2021 तक जनधन खातों की संख्या 41 करोड़ के पार चली गयी और शून्य बैलेंस वाले खातों की संख्या मार्च 2015 के 58 प्रतिशत से कम होकर 7.5 प्रतिशत पर आ गयी। इससे हर जनधन खाताधारक के द्वारा उपयोग और अनुकूलन का स्पष्ट संकेत दिख रहा है।’’
Govt. committed to #FinancialInclusion to all citizens. As on 6/1/21, #PMJDY accounts cross 41 Cr. and Zero Balance Accounts decline to 7.5% from 58% in March 2015. Clearly showing the use and adaption by every account holder. @FinMinIndia@PIB_India@Official_SecDFSpic.twitter.com/7tYdwTc19V
— DFS (@DFS_India) January 19, 2021
2014 में जनधन योजना की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में जनधन योजना शुरू करने की घोषणा की थी। उसी साल 28 अगस्त को इस योजना को शुरू किया गया था। सरकार ने 2018 में अधिक सुविधाओं व लाभों के साथ इस योजना का दूसरा संस्करण शुरू किया। सरकार ने योजना के दूसरे संस्करण में प्रत्येक परिवार के स्थान पर हर उस व्यक्ति को लक्ष्य बनाने का निर्णय लिया, जो अभी तक बैंकिंग सुविधा से वंचित थे।
इसके अलावा 28 अगस्त 2018 के बाद खुले जनधन खातों पर रुपे कार्ड के धारकों के लिये नि:शुल्क दुर्घटना बीमा का कवर दोगुना यानी दो लाख रुपये कर दिया गया। वित्त मंत्रालय ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि बैंकों ने आठ जनवरी 2021 तक 1.68 लाख करोड़ की क्रेडिट सीमा के साथ 1.8 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जारी किये हैं।
प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) से 41 करोड़ से ज्यादा लोगों से जुड़कर इसका फायदा लिया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार इस योजना के तहत 6 जनवरी 2021 तक जनधन खातों की कुल संख्या 41.6 करोड़ हो गई। मंत्रालय ने सोशल मीडिया द्वारा दी गई जानकारी में बताया है कि जीरो बैलेंस वाले अकाउंट्स की संख्या कम हुई है।
जनधन खाताधारकों को मिलती हैं कई सुविधाएं
जनधन योजना के तहत 10 साल से कम उम्र के बच्चे का खाता भी खुलवाया जा सकता है।
इस योजना के तहत खाता खुलवाने पर आपको रुपे एटीएम कार्ड, 2 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कवर, 30 हजार रुपए का लाइफ कवर और जमा राशि पर ब्याज मिलता है।
आपको इस पर आपको 10 हजार की ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी मिलती है।
इस अकाउंट को किसी भी बैंक में खोला जा सकता है। इसमें आपको मिनिमम बैलेंस मैंटेन नहीं करना होता है।
पी- नोट के जरिये निवेश दिसंबर में 87,132 करोड़ रुपये पर पहुंचा, 31 माह में सर्वाधिक
घरेलू पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट (पी- नोट्स) के जरिये निवेश दिसंबर 2020 के अंत में 87,132 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह पिछले 31 माह का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इससे देश में निवेश को लेकर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के रुख का पता चलता है। पी- नोट भारत में पंजीकृत एफपीआई द्वारा जारी किये जाते हैं। एफपीआई ये नोट ऐसे विदेशी निवेशकों को जारी करते हैं जो कि भारतीय बाजारों में खुद पंजीकृत हुये बिना निवेश करना चाहते हैं।
हालांकि पी- नोट के जरिये निवेश करने से पहले उन्हें जांच पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। सेबी के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय बाजारों में पी- नोट का मूल्य दिसंबर अंत में बढ़ाकर 87,132 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इससे पहले नवंबर अंत में यह मूल्य 83,114 करोड़ रुपये पर था। इसमें शेयर, रिण पत्र और अन्य मिली जुली प्रतिभूतियों में किया जाता है। आंकड़े बताते हैं कि पी- नोट के जरिये किया गया यह निवेश मई 2018 के बाद सबसे ऊंचा है जब निवेश का आंकड़ा 93,497 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।
कोरोना वायरस महामारी फैलने के समय मार्च में यह निवेश 15 साल के निम्न्स्तर 48,006 करोड़ रुपये तक नीचे आ गया था। उस समय वैश्विक बाजारों में काफी उठापटक चल रही थी। उसके बाद यह धीरे धीरे बढ़ना शुरू हुआ और अप्रैल में 57,100 करोड़ रुपये, मई में 60,027 करोड़ रुपये, जून में 62,138 करोड़ रुपये, जुलाई में 63,228 करोड़ रुपये और अगसत में 74,027 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
सितंबर 2020 में यह घटकर 69,820 करोड़ रुपये रह गया लेकिन अक्टूबर में फिर बढ़कर 78,686 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। दिसंबर अंत तक निवेश की गई 87,132 करोड़ रुपये की राशि में से 78,870 करोड़ रुपये शेयरों में निवेश किये गये हैं जबकि 7,562 करोड़ रुपये रिण पत्रों में और 700 करोड़ रुपये हाईब्रिड प्रतिभूतियों में निवेश किये गये हैं।
(इनपुट एजेंसी)