केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से बहुत जल्द ही नौकरीपेशा लोगों के लिए एक बड़ी घोषणा की जा सकती है। इसके अनुसार सरकार ग्रेच्युटी के लिए मौजूदा योग्यता अवधि को घटाने पर विचार कर रही है। मौजूदा नियम के अनुसार कर्मचारियों को किसी भी कंपनी में पांच साल पूरा करने के बाद ही ग्रेच्युटी मिलती है।
सरकार अब हालांकि इसे घटाकर एक से तीन साल कर सकती है। अगर ऐसा होता है कर्मचारियों के लिए ये बड़ी राहत होगी और बड़ी संख्या में वे लोग भी ग्रेच्युटी के पैसे हासिल कर सकेंगे जो 5 साल से कम समय में ही नौकरी बदल लेते हैं। जानकार बताते हैं कि ग्रेच्युटी में बदलाव करने की दो प्रमुख वजहें हैं। सबसे पहला और बड़ा कारण जॉब सिक्योरिटी है जो अब पहले की तुलना में काफी घट गई है। वहीं, कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों की भी संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में बहुत कम कर्मचारी ही ग्रेच्युटी का फायदा उठा पाते हैं।
ग्रेच्युटी स्कीम का दायरा बढ़ाने पर भी विचार
सूत्रों के अनुसार सरकार अब कॉन्ट्रैक्ट वर्कर, गिग वर्कर, सीजनल वर्कर और फिक्स्ड टर्म पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी ग्रेच्युटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। मौजूदा नियमों के मुताबिक संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को एक संस्थान में पांच साल की नौकरी के बाद ही ग्रेच्युटी मिलती है।
कहा जा रहा है कि सरकार की कोशिश ग्रेच्युटी को भी पीएफ की तरह बनाने की है। इसके मायने ये हुए नौकरी बदलने पर शख्स ग्रेच्युटी को दूसरी कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर सकेगा। ये व्यवस्था अभी पीएफ के साथ है।
ग्रेच्युटी को सीटीसी यानी कॉस्ट टू कंपनी का हिस्सा बनाना का प्रस्ताव भी रखा गया है। इस पर श्रम मंत्रालय ने काम भी शुरू कर दिया है और एंप्लॉयर एसोसिएशन के साथ बैठक में चर्चा हुई है।