भारतीय स्टेट बैंक के 44 करोड़ सेविंग अकाउंट होल्डर्स के लिए बड़ी खुशखबरी है। बैंक ने खाते में मिनिमन बैलेंस रखने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। इससे अब बैंक के सभी बचत खाताधारकों को जीरों बैलेंस खाते की सुविधा मिलने लगेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंक के न्यूनतम राशि की अनिवार्यता खत्म करने के फैसले की सराहना की है।
एसबीआई ने एक बयान में कहा कि ‘ग्राहकों के हित सर्वोपरि’ की अवधारणा पर चलते हुए और देश में वित्तीय समावेशन आगे बढ़ाने के लिए उसने औसत मासिक न्यूनतम राशि रखने की अनिवार्यता खत्म की है। साथ ही त्रैमासिक आधार पर एसएमएस सेवा के लिए वसूले जाने वाले शुल्क को भी खत्म कर दिया गया है। एएमबी समाप्त किए जाने से बैंक के इन खाताधारकों को ‘जीरो बैलेंस’ की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा बैंक ने बचत खातों पर वार्षिक ब्याज दरों को तर्कसंगत बनाते हुए सभी श्रेणियों के लिए समान रूप से तीन प्रतिशत कर दिया है।
वित्तमंत्री सीतारमण ने ट्वीट में एसबीआई के इस फैसले की सराहना की है। उन्होंने कहा कि इससे गरीब और मध्यम वर्ग को बहुत मदद मिलेगी। यह फैसला उनके जीवन को और आसान बनाएगा।
आइए, अब आपको बताते हैं कि अभी तक क्या नियम थे...
वर्तमान में एक लाख रुपये तक की जमा पर बचत खाताधारकों को 3.25 प्रतिशत वार्षिक और एक लाख रुपये से अधिक की जमा पर तीन प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज मिलता है। नए नियम के मुताबिक अब सभी को 3 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा। एसबीआई के बचत खाताधारकों को मेट्रो शहरों में अभी एएमबी के रूप में 3,000 रुपये, कस्बों में 2,000 रुपये और ग्रामीण इलाकों में 1,000 रुपये खाते में रखने होते हैं। एएमबी की शर्तें पूरी नहीं करने पर उन्हें पांच से 15 रुपये तक जुर्माने और करों का भुगतान करना होता है।
खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान एसबीआई ने अप्रैल 2017 में शुरू किया था। बाद में अक्टूबर 2017 में जुर्माने की राशि को कम कर दिया था। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों अनुसार यह व्यवस्था शुरू करने के बाद वित्त वर्ष 2017-18 की अप्रैल-नवंबर अवधि में एसबीआई ने इस जुर्माने से 1,771.67 करोड़ रुपये की आय की थी। निजी क्षेत्र के विभिन्न बैंकों के बचत खातों में 10,000 रुपये तक की न्यूनतम राशि रखने का नियम है।
इससे पहले एसबीआई एमसीएलआर में कटौती की भी घोषणा की। नई दरें 10 मार्च से प्रभाव होंगी। बैंक ने एक महीने में यह दूसरी बार ऋण ब्याज दर में कटौती की है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रधानमंत्री मोदी के सबका साथ सबका विकास की नीति पर चलने वाला कदम बताया।