मंदी, कोरोना वायरस संकट के समय निवेशकों के लिए ‘वरदान’ साबित हो रहा है सोना, निवेश का बना बेहतर विकल्प

By भाषा | Published: August 16, 2020 02:06 PM2020-08-16T14:06:10+5:302020-08-16T14:06:47+5:30

सोने की ‘भौतिक’ मांग कम है, इसके बावजूद ‘जोखिम’ के बीच निवेशकों को अपनी बचत तथा निवेश के लिए पीली धातु में सबसे बेहतर विकल्प दिख रहा है।

Gold is proving to be a 'boon' for investors in times of recession, corona virus crisis | मंदी, कोरोना वायरस संकट के समय निवेशकों के लिए ‘वरदान’ साबित हो रहा है सोना, निवेश का बना बेहतर विकल्प

सांकेतिक तस्वीर (File Photo)

Highlightsवैक्सीन को लेकर जैसे-जैसे सकारात्मक खबरें आएंगी, अन्य परिसंपत्तियों में निवेश बढ़ेगा ओर सोना स्थिर होगा।दिल्ली बुलियन एंड ज्वेलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विमल गोयल का मानना है कि कम से कम एक साल तक सोना उच्च स्तर पर ही रहेगा।विमल गोयल मानते हैं कि दिवाली के आसपास सोने में 10 से 15 प्रतिशत तक का उछाल आ सकता है।

नयी दिल्ली: सोना गहरे संकट में काम आने वाली संपत्ति है, मौजूदा कठिन वैश्विक परिस्थितियों में यह धारणा एक बार फिर सही साबित हो रही है। कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक संकट के बीच सोना एक बार फिर रिकॉर्ड बना रहा है और अन्य संपत्तियों की तुलना में निवेशकों के लिए निवेश का बेहतर विकल्प साबित हुआ है।

विश्लेषकों का मानना है कि उतार-चढ़ाव के बीच सोना अभी कम से कम एक-डेढ़ साल तक ऊंचे स्तर पर बना रहेगा। ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन के पूर्व चेयरमैन बच्छराज बमाल्वा ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘वैश्विक अनिश्चितता की वजह से सोना चढ़ रहा है।

हालांकि, सोने की ‘भौतिक’ मांग कम है, इसके बावजूद ‘जोखिम’ के बीच निवेशकों को अपनी बचत तथा निवेश के लिए पीली धातु में सबसे बेहतर विकल्प दिख रहा है।’’ बमाल्वा कहते हैं कि रूस ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का दावा किया है, लेकिन अभी इसको लेकर दुनिया बहुत निश्चिंत नहीं हैं।

हालांकि, वह मानते हैं कि वैक्सीन को लेकर जैसे-जैसे सकारात्मक खबरें आएंगी, अन्य परिसंपत्तियों में निवेश बढ़ेगा ओर सोना स्थिर होगा। दिल्ली बुलियन एंड ज्वेलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विमल गोयल का मानना है कि कम एक साल तक सोना उच्चस्तर पर रही रहेगा। वह कहते हैं कि संकट के इस समय सोना निवेशकों के लिए ‘वरदान’ है।

गोयल मानते हैं कि दिवाली के आसपास सोने में 10 से 15 प्रतिशत तक का उछाल आ सकता है। जिंस विश्लेषक एवं आजाद फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रमुख अमित आजाद मानते हैं कि सोने में इस समय तेजी की वजह ‘हेजिंग’ है। उन्होंने कहा कि अमेरिका-चीन के बीच जो तनाव है वह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव तक रहेगा। उसके बाद चीजें स्थिर होंगी।

मिलवुड केन इंटरनेशनल के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नीश भट्ट ने कहा कि 2020 के कैलेंडर वर्ष के शुरू से ही सोना छलांगे मार रहा है। शुरुआत में इसकी वजह विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती थी, बाद में कोविड-19 को लेकर अनिश्चितता। दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने संकट के समय अपनी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए प्रणाली में जमकर तरलता डाली है।

उन्होंने कहा कि तरलता उपलब्ध होने के बीच निवेश के सीमित विकल्पों के चलते निवेशक पीली धातु में निवेश कर रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के एसोसिएट निदेशक एवं प्रमुख (जिंस एवं मुद्रा) किशोर नार्ने कहते हैं कि सोने की कीमतों में तेजी की प्रमुख वजह कोविड-19 के चलते अर्थव्यवस्थाओं में आई सुस्ती तथा ब्याज दरों का करीब शून्य के स्तर पर होना है।

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में व्यापार युद्ध और वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट की आशंका के बीच सोना आकर्षक परिसपंत्ति है। उन्होंने कहा कि अगले 12 से 15 महीने में सोना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करीब 2,450 डॉलर प्रति औंस पर होगा। घरेलू बाजार में यह 67,000 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर को छू सकता है। विश्व स्वर्ण परिषद की रिपोर्ट के अनुसार, चालू साल की दूसरी तिमाही में वैश्विक स्तर पर सोने की हाजिर मांग सालाना आधार पर 11 प्रतिशत घटकर 1,015.7 टन रही है।

पहली छमाही में सोने की हाजिर मांग छह प्रतिशत घटकर 2,076 टन पर आ गई। लेकिन कोविड-19 की वजह से पहली छमाही में गोल्ड ईटीएफ में रिकॉर्ड 734 टन का निवेश हुआ है। जिसकी वजह से सोना चढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार पहली छमाही में डॉलर मूल्य में सोना 17 प्रतिशत चढ़ चुका है। गोयल ने कहा कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट किया है कि अभी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गुंजाइश नहीं है। ऐसे में लोगों के लिए संकट के समय बचत करने और कुछ कमाने के लिए सोने से अच्छा निवेश नहीं है।

वहीं बमाल्वा का कहना है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के वर्ष में शेयर बाजार हो या सोना या कच्चा तेल या अन्य कोई जिंस, सबमें सट्टेबाजी चलती है, जिससे जिंस बाजार प्रभावित होता है। दिल्ली सर्राफा बाजार में इस समय 24 कैरट सोने का भाव 53,000 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर पर है।

दिसंबर, 2019 के अंतिम सप्ताह में यह 39,700 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर पर था। इस तरह 7-8 महीने में सोना 13,000 रुपये से अधिक चढ़ा है। निवेशकों की दृष्टि से देखा जाए, तो इसने 30 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया है। 

Web Title: Gold is proving to be a 'boon' for investors in times of recession, corona virus crisis

पर्सनल फाइनेंस से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे