वित मंत्रालय जीएसटी निल फाइल करने वालों के लिए उठाने जा रही है ये कदम, करदाताओं को होगा फायदा
By विकास कुमार | Published: December 4, 2018 08:53 PM2018-12-04T20:53:06+5:302018-12-04T20:53:06+5:30
निल और नॉन फाइलर्स दोनों ही कर जमा नहीं करते लेकिन आयकर विभाग इनकी जांच करता है. इससे सरकार पर अनुपालन बोझ बढ़ जाता है और देश के बाकी करदाताओं से कर वसूली का औसत मूल्य बढ़ जाता है.
वित मंत्रालय जीएसटी के तहत निल और नॉन फाइल करने वालों के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। मंत्रालय की तरफ से वन टाइम एमनेस्टी स्कीम के तहत उनलोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है जो जीएसटी के तहत निल फाइल (शून्य कर ) करते हैं। और नॉन फाइलर्स को अप्रत्यक्ष कर प्रारूप के भीतर लाने के लिए कदम उठाये जा सकते हैं। जीएसटी परिषद उन सभी विकल्पों की तलाश कर रही है। यह एक संवैधानिक संस्था है जो जीएसटी के सभी मामलों को देखने का काम करती है।
हिन्दू बिज़नेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी के तहत लगभग 25 लाख निल फाइलर हैं और औसत रूप से 10 प्रतिशत ने कभी भी कर नहीं दिया है। इन्हें बाहर करने की योजना से करदाताओं का बोझ हलका हो जाएगा क्योंकि इससे अनुपालन मूल्य में कमी आएगी और जीएसटी तंत्र पर भी दबाव कम होगा।
नियम के मुताबिक, जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड व्यापारी को रिटर्न फाइल करना आवश्यक है। फिलहाल इसके तहत 1 करोड़ 16 लाख व्यापारी रजिस्टर्ड हैं। निल और नॉन फाइलर्स दोनों ही कर जमा नहीं करते लेकिन आयकर विभाग इनकी जांच करता है। इससे सरकार पर अनुपालन बोझ बढ़ जाता है और देश के बाकी करदाताओं से कर वसूली का औसत मूल्य बढ़ जाता है।
जीएसटी के तहत पंजीकृत ईकाई यदि रिटर्न फाइल नहीं करते हैं तो उन्हें जुर्माना भरना पड़ता है। अधिकतम 5000 तक के जुर्माने का प्रावधान है। अब सरकार एमनेस्टी स्कीम के तहत जुर्माने की राशि में राहत दे सकती हैं। सरकार की कोशिश है कि उन लोगों को सिस्टम का हिस्सा बनाना चाहती है जो ईमानदारी से टैक्स भरना चाहते हैं।