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कुश्ती में विनेश और बजरंग पदक उम्मीद , रवि दहिया बन सकते हैं छिपे रूस्तम

By भाषा | Updated: July 14, 2021 17:04 IST

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(अमनप्रीत सिंह)

नयी दिल्ली, 14 जुलाई तोक्यो ओलंपिक से पहले भारतीय पहलवानों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है और कम से कम तीन तो पदक के प्रबल दावेदार हैं ।

भारत के सात पहलवान कुश्ती में चुनौती पेश करेंगे जिनमें से विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया पर सभी की नजरें होंगी । उनके अलावा अंशु और सोनम मलिक ने जूनियर से सीनियर स्तर तक तेजी से कामयाबी हासिल की है । भारतीय पहलवानों की ताकत और कमजोरियों का आकलन इस प्रकार है ।

बजरंग पूनिया (65 किलो) :

ताकत : दमखम, बल , आक्रमण

कमजोरी : पैर का बचाव, जल्दी अंक गंवाना

सफलता : तीन बार के विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता, सात बार एशियाई पदक विजेता

खतरा : इताकुतो ओटोगुरो (जापान) , गाजिमुराद राशिदोव (रूस) ।

बजरंग पिछले दस अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में पदक जीतने में कामयाब रहे हैं । उन्होंने छह स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य जीता । दमखम के आधार पर जीतने वाले बजरंग के लिये ‘लेग डिफेंस’ समस्या रहा है । उन्होंने इस पर मेहनत की है लेकिन उनके भारवर्ग में चुनौती काफी कठिन होगी ।

रवि दहिया : (57 किलो)

ताकत : लगातार हमले बोलने की क्षमता

कमजोरी : निर्णायक क्षणों में दबाव में आ जाना

सफलता : 2019 विश्व कांस्य पदक विजेता, दो बार एशियाई चैम्पियन

खतरा : जावुद युगुएव (रूस), सुलेमान अली (तुर्की), युकी ताकाहाशी (जापान)

सुर्खियों में रहे बिना पदक के प्रबल दावेदारों में शुमार रवि दहिया दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम की देन है । वह तकनीक के धनी और काफी ताकतवर पहलवान हैं । उन्हें हालांकि बढत बनाने के बाद दबाव में होने का खामियाजा पोलैंड ओपन में भुगतना पड़ा ।

दीपक पूनिया :

ताकत : लचीलापन , दमखम, आक्रमण

कमजोरी : रक्षण

सफलता : 2019 विश्व रजत पदक विजेता, 2020 एशियाई कांस्य पदक

खतरा : हसन यजदानी (इरान), डेविड मौरिस टेलर(अमेरिका)

दीपक जूनियर से सीनियर स्तर पर कामयाबी के साथ पहुंचे लेकिन तोक्यो ओलंपिक की तैयारी उतनी पुख्ता नहीं कही जा सकती । उन्होंने 2020 विश्व कप के बाद नहीं खेला है और पोलैंड ओपन से पहले चोट के कारण बाहर होना पड़ा ।

विनेश फोगाट (53 किलो):

ताकत : दमखम, तकनीकी कौशल

कमजोरी : जवाबी हमलों पर अंक गंवाना

सफलता : 2019 विश्व कांस्य पदक विजेता, 2021 एशियाई चैम्पियन

खतरा : मायु मुकेइडा (जापान)

विनेश अपने वर्ग में स्वर्ण पदक की दावेदार है । भारवर्ग में बदलाव का भी उन्हें फायदा मिला है। वह तकनीकी कौशल की धनी है और उनमें अपार ताकत भी है । जवाबी हमलों पर अंक गंवाने से उन्हें बचना होगा ।

सीमा बिस्ला (50 किलो)

ताकत : सहनशीलता, वापसी की क्षमता

कमजोरी : बड़े स्तर पर खेलने के अनुभव का अभाव, रक्षण

सफलता : 2021 एशियाई कांस्य पदक विजेता

खतरा : मारिया स्टाडनिक (अजरबैजान), युइ ससाकी (जापान)

सीमा ने तोक्यो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करके सभी को चौका दिया है । वह बुल्गारिया में हुए टूर्नामेंट से तोक्यो का टिकट कटाने में कामयाब रही क्योंकि वहां बड़े पहलवान नहीं उतरे थे । बड़े स्तर पर अनुभव की कमी उनकी राह में रोड़ा बन सकती है । उनके वर्ग में आठ पहलवान ऐसे हैं जिनका उन्होंने कभी सामना नहीं किया ।

अंशु मलिक : (57 किलो)

ताकत : तकनीकी रूप से सक्षम, आक्रामक

कमजोरी : अनुभव का अभाव

सफलता : 2021 एशियाई चैम्पियन

खतरा : रिसाको कावाइ (जापान), ओडुनायो एफ (नाइजीरिया)

बेहद प्रतिभाशाली अंशु के पास खोने के लिये कुछ नहीं है । तोक्यो का अनुभव भविष्य में उनके काम आयेगा ।

सोनम मलिक : (62 किलो)

ताकत : तकनीक, जवाबी हमलों पर स्कोर करने की क्षमता

कमजोरी : अनुभव का अभाव

सफलता : 2021 एशियाई चैम्पियन

खतरा : युकाको कावाइ (जापान), तायबे मुस्तफा (बुल्गारिया)

सोनम भी अंशु की तरह ‘सरप्राइज क्वालीफायर’ हैं । वह कैडेट स्तर से सीधे सीनियर स्तर पर पहुंची । घरेलू स्तर पर उन्होंने लगातार चार बार रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक को हराया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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