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Tokyo 2020 Paralympics: भारत का शानदार प्रदर्शन, सुमित अंतिल और अवनि लेखरा ने स्वर्ण पदक किया कब्जा, जानें अब तक कितने मेडल

By भाषा | Updated: August 30, 2021 21:57 IST

Tokyo 2020 Paralympics: दो बार के स्वर्ण पदक विजेता अनुभवी देवेंद्र झाझरिया (भालाफेंक) और योगेश कथूनिया (चक्काफेंक) ने रजत तथा सुंदर सिंह गुर्जर (भालाफेंक) ने कांस्य पदक जीता।

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ठळक मुद्देरियो पैरालंपिक 2016 में भारत ने चार पदक जीते थे।लेखरा ने महिलाओं के आर-2 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय खेलों में नया इतिहास रचा।19 वर्षीय निशानेबाज पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गयी हैं।

Tokyo 2020 Paralympics: टोक्यो पैरालंपिक में भारत के लिए सोमवार का दिन यादगार रहा, जब रिकॉर्ड भी टूटे और इतिहास भी बार बार रचा गया। अनुभवी और युवा खिलाड़ियों ने प्रतियोगिता के छठे दिन शानदार प्रदर्शन करते हुए कई पदक जीते और पैरालंपिक के इतिहास में भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर दिखाया।

पहली बार पैरालंपिक खेल रहे भालाफेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल (23 वर्ष) और निशानेबाज अवनि लेखरा (19 वर्ष) ने स्वर्ण पदक जीता जबकि दो बार के स्वर्ण पदक विजेता अनुभवी देवेंद्र झाझरिया (भालाफेंक) और योगेश कथूनिया (चक्काफेंक) ने रजत तथा सुंदर सिंह गुर्जर (भालाफेंक) ने कांस्य पदक जीता।

भारत ने अब तक पैरालंपिक के इतिहास में 14 पदक जीते हैं, जिनमें से आधे मौजूदा खेलों में ही जीत लिए और आगे भी पदक मिलने की उम्मीद है। भारत ने एथलेटिक्स में एक स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य समेत पांच पदक जीते। टेबल टेनिस में भाविनाबेन पटेल ने रविवार को रजत पदक जीता था।

रियो पैरालंपिक 2016 में भारत ने चार पदक जीते थे। भारत के लिए निराशाजनक खबर चक्काफेंक खिलाड़ी विनोद कुममार (एफ52) का कांस्य पदक वापिस लिया जाना रही, जो उनके शारीरिक विकास से जुड़े क्लासीफकेशन निरीक्षण में ‘अयोग्य ’ करार दिये गए।

लेखरा ने महिलाओं के आर-2 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय खेलों में नया इतिहास रचा। जयपुर की रहने वाली यह 19 वर्षीय निशानेबाज पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गयी हैं। उनकी रीढ़ की हड्डी में 2012 में कार दुर्घटना में चोट लग गयी थी।

उन्होंने 249.6 अंक बनाकर विश्व रिकार्ड की बराबरी की। यह पैरालंपिक खेलों का नया रिकार्ड है। इसके बाद भालाफेंक खिलाड़ियों ने भारतीय पैरालंपिक खेलों का स्वर्णिम अध्याय लिखा। अंतिम ने अपना ही विश्व रिकॉर्ड पांच बार दुरुस्त करके स्वर्ण पदक जीता, जबकि 40 वर्ष के झाझरिया ने एफ46 वर्ग में रजत पदक जीतकर साबित कर दिया कि वह भारत के महानतम पैरा एथलीट हैं।

गुर्जर ने इसी वर्ग में कांस्य पदक जीता। कथूनिया ने एफ56 वर्ग में रजत पदक जीता। हरियाणा के सोनीपत के 23 साल के सुमित ने अपने पांचवें प्रयास में 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका जो दिन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और एक नया विश्व रिकार्ड था।

2015 में मोटरबाइक दुर्घटना में उन्होंने बायां पैर घुटने के नीचे से गंवा दिया था। बल्कि उन्होंने 62.88 मीटर के अपने ही पिछले विश्व रिकार्ड को दिन में पांच बार बेहतर किया। हालांकि उनका अंतिम थ्रो ‘फाउल’ रहा। उनके थ्रो की सीरीज 66.95, 68.08, 65.27, 66.71, 68.55 और फाउल रही।

अंतिल ने इस प्रदर्शन के बाद कहा, ‘‘ट्रेनिंग में मैंने कई बार भाला 71 मीटर और 72 मीटर फेंका था। नहीं जानता कि प्रतिस्पर्धा के दौरान क्या हो गया। एक चीज निश्चित है कि भविष्य में मैं इससे कहीं बेहतर थ्रो करूंगा। ’’ एफ64 स्पर्धा में एक पैर कटा होने वाले एथलीट कृत्रिम अंग (पैर) के साथ खड़े होकर हिस्सा लेते हैं।

दिल्ली के रामजस कॉलेज के छात्र अंतिल दुर्घटना से पहले पहलवान थे। दुर्घटना के बाद उनके बायें पैर को घुटने के नीचे से काटना पड़ा। उनके गांव के एक पैरा एथलीट 2018 में उन्हें इस खेल के बारे में बताया। कृत्रिम पैर के कारण शुरू में उन्हें काफी मुश्किल हुई जिसमें दर्द के साथ रक्त स्राव भी होता था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और डटे रहे।

भारतीय सेना में जेडब्ल्यूओ अधिकारी के बेटे अंतिल पटियाला में पांच मार्च को पटियाला में इंडियन ग्रां प्री सीरीज 3 में ओलंपिक चैम्पियन नीरज चोपड़ा के खिलाफ खेले थे जिसमें वह 66.43 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ सातवें स्थान पर रहे थे जबकि चोपड़ा ने 88.07 मीटर के थ्रो से अपना राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ा था।

अंतिल ने दुबई में 2019 विश्व चैम्पियनशिप में एफ64 भाला फेंक स्पर्धा में रजत पदक जीता था। वह पुरुषों के भाला फेंक के एफ46 स्पर्धा में झाझरिया के बाद तीसरे स्थान पर रहे। एफ46 में एथलीटों के हाथों में विकार और मांसपेशियों में कमजोरी होती है। इसमें खिलाड़ी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं।

एथेंस (2004) और रियो (2016) में स्वर्ण पदक जीतने वाले 40 वर्षीय झाझरिया ने एफ46 वर्ग में 64.35 मीटर भाला फेंककर अपना पिछला रिकार्ड तोड़ा। श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने हालांकि 67.79 मीटर भाला फेंककर भारतीय एथलीट का स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी करने का सपना पूरा नहीं होने दिया।

श्रीलंकाई एथलीट ने अपने इस प्रयास से झाझरिया का पिछला विश्व रिकार्ड भी तोड़ा। झाझरिया जब आठ साल के थे तो पेड़ पर चढ़ते समय दुर्घटनावश बिजली की तार छू जाने से उन्होंने अपना बायां हाथ गंवा दिया था। उनके नाम पर पहले 63.97 मीटर के साथ विश्व रिकार्ड दर्ज था। गुर्जर ने 64.01 मीटर भाला फेंका जो उनका इस सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

इस 25 वर्षीय एथलीट ने 2015 में एक दुर्घटना में अपना बायां हाथ गंवा दिया था। जयपुर के रहने वाले गुर्जर ने 2017 और 2019 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे। उन्होंने जकार्ता पैरा एशियाई खेल 2018 में रजत पदक जीता था। भारत के एक अन्य एथलीट अजीत सिंह 56.15 मीटर भाला फेंककर नौ खिलाड़ियों के बीच आठवें स्थान पर रहे।

इससे पहले कथूनिया ने पुरुषों के चक्का फेंक के एफ56 स्पर्धा में रजत पदक जीता था। दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से बी कॉम करने वाले 24 वर्षीय कथूनिया ने अपने छठे और आखिरी प्रयास में 44.38 मीटर चक्का फेंककर रजत पदक जीता।

आठ साल की उम्र में लकवाग्रस्त होने वाले कथूनिया शुरू में पहले स्थान पर चल रहे थे लेकिन ब्राजील के मौजूदा चैंपियन बतिस्ता डोस सांतोस 45.59 मीटर के साथ स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे। क्यूबा के लियानार्डो डियाज अलडाना (43.36 मीटर) ने कांस्य पदक जीता। विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता कथूनिया ने तोक्यो में अपनी स्पर्धा की शुरुआत की।

उनका पहला, तीसरा और चौथा प्रयास विफल रहा जबकि दूसरे और पांचवें प्रयास में उन्होंने क्रमश: 42.84 और 43.55 मीटर चक्का फेंका था। कथूनिया ने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2019 में 42.51 मीटर चक्का फेंककर पैरालंपिक के लिये क्वालीफाई किया था। 

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