एशियन गेम्स 2018 में मेडल जीतने वाले हरीश कुमार की मुश्किल भरी कहानी, दिल्ली में चाय बेचने को मजबूर
By अभिषेक पाण्डेय | Published: September 7, 2018 05:35 PM2018-09-07T17:35:36+5:302018-09-07T17:35:36+5:30
Harish Kumar: एशियन गेम्स 2018 में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले हरीश कुमार दिल्ली में परिवार के जीवने यापन के लिए चाय बेचने को मजबूर हैं
नई दिल्ली, 07 सितंबर: भारत ने हाल ही में इंडोनेशिया में आयोजित हुए 18वें एशियन गेम्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए 15 गोल्ड समेत 69 मेडल जीतते हुए अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। लेकिन इन खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाला एक भारतीय एथलीट पर फिर से चाय बेचने पर मजबूर है।
जकार्ता एशियन गेम्स 2018 में सेपक टकारॉ में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले भारतीय दल का हिस्सा रहे हरीश कुमार स्वेदश वापसी के बाद दिल्ली के मजनूं-का-टीला स्थित अपने पिता की चाय की दुकान पर उनकी मदद के अपने काम पर वापस लौट आए हैं।
हरीष ने कहा, 'मेरे परिवार में कई लोग हैं और कमाई बहुत कम है। मैं चाय की दुकान पर अपने पिता की मदद अपने परिवार की सहायता के लिए करता हूं। मैं हर दिन 2 बजे से 6 बजे तक चार घंटे प्रैक्टिस करता हूं। मेरे भविष्य के लिए, अपने परिवार के समर्थन के लिए मैं एक अच्छी नौकरी पाना चाहता हूं।'
हरीश ने कहा कि उनका परिचय सेपक टकारॉ खेल से 2011 में उनके कोच के जरिए हुआ। उन्होंने कहा, 'मैंने 2011 से ये खेल खेलना शुरू किया। मेरे कोच हेमराज मुझे इस खेल में लेकर आए। हम टायर से खेला करते थे जब मेरे कोच ने मुझे देखा और भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) में मेरा दाखिला कराया। इसके बाद से मुझे हर महीने फंड्स और किट्स मिलने लगे। मैं हर दिन प्रैक्टिस करता हूं और देश के लिए और मेडल लाता रहूंगा।'
हरीश के परिवार के लिए जीवन यापन काफी मुश्किल रहा है लेकिन हरीश की मां ने तैयारी के दौरान दिल्ली सरकार द्वारा उनके बेटे को भोजन और आश्रय देने के लिए शुक्रिया अदा किया है।
हरीश के भाई धवन ने भी भारतीय खेल प्राधिकरण को उनके भाई की ट्रेनिंग को स्पॉन्सर करने और हर महीने आर्थिक मदद और किट्स देने के लिए आभार व्यक्त किया है।
धवन ने अब दिल्ली सरकार से उसके भाई को एक सरकारी नौकरी देने की अपील की है जिससे वे अपने परिवार का खर्च उठा सकें।