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ओलंपिक स्वर्ण पदक के बाद नीरज की निगाहें विश्व चैंपियनशिप के खिताब पर

By भाषा | Updated: August 10, 2021 17:31 IST

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नयी दिल्ली, 10 अगस्त राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेल 2018 में खिताब जीतने के बाद ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाले भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा का लक्ष्य अब अगले वर्ष अमेरिका में होने वाली विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है।

विश्व चैंपियनशिप अमेरिका के इयुगेन में इस वर्ष होनी थी लेकिन कोविड-19 के कारण तोक्यो ओलंपिक को एक साल के लिये स्थगित किये जाने के बाद इसे 2022 में आयोजित करने का फैसला किया गया। अब इसका आयोजन 15 से 24 जुलाई 2022 के बीच होगा।

चोपड़ा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेलों में पहले ही स्वर्ण पदक जीत चुका हूं और अब मेरे पास ओलंपिक का स्वर्ण पदक भी है। इसलिए मेरा अगला लक्ष्य अगले वर्ष विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है। ’’

चोपड़ा ने सोमवार को तोक्यो में भाला फेंक के फाइनल में 87.58 मीटर भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीता था। यह भारत का ओलंपिक में एथलेटिक्स में पहला पदक है। वह ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने।

उन्होंने कहा, ‘‘विश्व चैंपियनशिप बड़ी प्रतियोगिता है और कभी कभी यह ओलंपिक से भी कड़ी होती है। मैं इस ओलंपिक स्वर्ण पदक से ही संतुष्ट नहीं होने वाला हूं। मैं इससे भी बेहतर प्रदर्शन करना चाहूंगा तथा एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल और ओलंपिक में फिर से स्वर्ण पदक जीतना चाहूंगा। ’’

इस 23 वर्षीय सुपरस्टार को इसके अलावा लगता है कि राष्ट्रीय खेलों में पांचवें स्थान पर रहने के बावजूद भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) का उन्हें राष्ट्रीय शिविर में शामिल करना उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट था।

राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने से पहले चोपड़ा पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में अभ्यास कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अच्छा अभ्यास कर रहे थे लेकिन सुविधाएं, उपकरण, आहार वहां (पंचकुला) अच्छे नहीं थे लेकिन एक बार जब मैं राष्ट्रीय शिविर (एनआईएस पटियाला) से जुड़ा तो सब कुछ बदल गया। ’’

चोपड़ा ने कहा, ‘‘मुझे बेहतर सुविधाएं, बेहतर आहार और बेहतर उपकरण राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने के बाद ही मिले। सबसे महत्वपूर्ण यह अहसास था कि मैं देश के सर्वश्रेष्ठ भाला फेंक एथलीटों के साथ अभ्यास कर रहा था। यह अलग तरह का अहसास था। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए राष्ट्रीय शिविर से जुड़ने से मेरा करियर बदला और मैं इसके लिये एएफआई का आभार व्यक्त करता हूं। मैंने जो चाहा वह मुझे मिला। मैंने कड़ी मेहनत की जिसकी बदौलत आज मैं यहां हूं। ’’

राष्ट्रीय शिविर में शामिल होने के बाद चोपड़ा पहले ऑस्ट्रेलिया के दिवंगत कोच गैरी कैल्वर्ट के साथ थे। उसके बाद, वह बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञ क्लॉस बार्टोनीट्ज की देखरेख में अभ्यास करने लगे। इस बीच चोपड़ा ने  पूर्व विश्व रिकॉर्ड धारक उवे हॉन की देखरेख में अभ्यास किया था।

चोपड़ा ने कहा, ‘‘मैं हॉन सर का सम्मान करता हूं, मैंने उनकी देखरेख में 2018 एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। लेकिन उनका तकनीकी दृष्टिकोण और प्रशिक्षण की शैली अलग थी। मैंने उनसे कहा कि मैं क्लॉस सर के साथ काम करना चाहता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उनकी (क्लॉस) प्रशिक्षण योजनाएं अच्छी थीं और मेरे अनुकूल थीं। वह एथलीट के शरीर के अनुसार प्रशिक्षण की योजना बनाते हैं, उन्होंने विभिन्न देशों में बहुत सारे एथलीटों के साथ भी काम किया है।’’

महिलाओं के चक्का फेंक में छठे स्थान पर रहने वाली कमलप्रीत कौर ने महामारी के कारण ओलंपिक से पहले अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की कमी पर अफसोस जताया।

कमलप्रीत ने कहा, ‘‘मुझे ओलंपिक से पहले अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका नहीं मिला। मुझे अगले साल विश्व चैंपियनशिप में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी कोच (राखी त्यागी) ने मुझसे कहा कि प्रतियोगियों की प्रतिष्ठा से घबराना नहीं है और मैंने बस यही किया। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश कर रही थी लेकिन ऐसा नहीं कर सकी।’’

ओलंपिक खेलों में अविनाश साबले ने पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया लेकिन फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि वह ओलंपिक से पहले दो बार कोविड-19 से संक्रमित हुए थे।

मोहम्मद अनस याहिया, राजीव अरोकिया, नोआ टॉम निर्मल और अमोज जैकब की पुरुषों की चार गुणा 400 मीटर रिले की चौकड़ी भी यहां मौजूद थी, जिन्होंने एशियाई रिकॉर्ड तोड़ा लेकिन फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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