मीर उस्मान अली खानः एक ऐसा निजाम जिसने 1965 की जंग में भारतीय सेना के लिए खोल दिए अपने खजाने!
By आदित्य द्विवेदी | Published: October 21, 2018 07:44 AM2018-10-21T07:44:26+5:302018-10-21T07:44:26+5:30
Nizam Mir Osman Ali Khan: हैदराबाद रियासत का आखिरी निज़ाम जिसने 1965 की जंग में भारतीय सेना को 5 टन सोना दान किया। जानें क्या है पूरी कहानी....
1947 में आजादी मिलने के बाद महज 18 साल में भारत तीन बड़ी जंग लड़ चुका था। इससे भारतीय सेना आर्थिक रूप से पस्त हो चुकी थी। 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने रेडियो से एक सार्वजनिक गुहार लगाई। उन्होंने आम जनता और राजे-रजवाड़ों से देश के लिए मदद मांगी थी। हैदराबाद रियासत के आखिरी निजाम मीर उस्मान अली खान बहादुर ने इस अपील को सुना तो उन्होंने पीएम शास्त्री को हैदराबाद आने का न्यौता भेजा। एक ही मुलाकात में निजाम मीर उस्मान अली खान ने नेशनल डिफेंस फंड को 5,000 किलो सोना दान कर दिया जो कि आज तक का सबसे बड़ा योगदान है।
उस्मान अली खान को देशभक्ति की भावना और प्रगतिशील सोच के लिए जाना जाता है। वो हैदराबाद रियासत के सातवें और आखिरी निजाम थे। उन्हें आधुनिक हैदराबाद का निर्माता भी माना जाता है। यहां जाने मीर उस्मान अली खान बहादुर की ज़िंदगी के बारे में कुछ रोचक और जरूरी बातेंः-
- मीर उस्मान अली खान का जन्म 6 अप्रैल 1886 को हुआ था। उन्होंने 1911 को हैदराबाद रियासत की बागडोर संभाली और 1947 में भारत की आजादी तक निजाम बने रहे।
- उन्हें मॉडर्न हैदराबाद का आर्किटेक्ट कहा जाता है क्योंकि उस्मानिया यूनिवर्सिटी, उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल और हैदराबाद हाई कोर्ट उन्हीं की देन है। हैदराबाद का अधिकांश सार्वजनिक इमारतें उन्हें के कार्यकाल में बनाई गई हैं।
- 1937 में टाइम पत्रिका के कवर पर उस्मान अली खान थे और उन्हें दुनिया का सबसे अमीर शख्स बताया गया था। माना जाता है कि आज की तारीख तक वो भारत के सबसे अमीर शख्स हैं। अंबानी-टाटा भी नहीं छू पाए।
- हैदराबाद रियासत के छठवें निजाम मीर महबूब अली खान की मृत्यु के बाद महज 25 साल की उम्र में उस्मान अली खान ने गद्दी संभाली। उनके 37 साल लंबे कार्यकाल में ही राज्य में बिजली, सड़क और रेलवे रूट आया।
- 24 फरवरी 1967 में उस्मान अली खान के निधन के बाद 21 तोपों की सलामी दी गई। उनकी इच्छा थी कि उनके शव को मस्जिद-ए-जुडी में दफनाया जाए जोकि उनकी शाही कोठी के ठीक सामने थी।