#KuchhPositiveKarteHain: एक डॉक्टर जो किसानों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: August 6, 2018 02:37 PM2018-08-06T14:37:57+5:302018-08-06T14:37:57+5:30

डॉ जी वी रामानंजयुलु या डॉ रामू के नाम से मशहूर इस शख्स को भला कौन नहीं जानता है। जिसने अपना पूरा जीवन किसानों के नाम कर दिया।

#KuchhPositiveKarteHain: This Man Gave up an IRS Job to Sow The Seeds of Change in 7000 Villages | #KuchhPositiveKarteHain: एक डॉक्टर जो किसानों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं

#KuchhPositiveKarteHain: एक डॉक्टर जो किसानों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं

डॉ जी वी रामानंजयुलु या डॉ रामू के नाम से मशहूर इस शख्स को भला कौन नहीं जानता है। जिसने अपना पूरा जीवन किसानों के नाम कर दिया। उनका जन्म उस परिवार में हुआ जहां सेवा की प्रथम प्रधान रही। कहते हैं  उनके दादाजी ने कृषि का अभ्यास किया लेकिन उसे छोड़कर वह भारतीय रेलवे के लिए काम करने चले गए थे। 

अब उनके परिवार के अधिकांश उत्तराधिकारी राष्ट्रीय वाहक के लिए काम करते हैं। लेकिन खुद डॉक्टर परिवार से अलग निकलकर किसानों के लिए सड़कों पर उतरे अपना सब कुछ बिना किसी मोह के उनके नाम कर दिया । कहते हैं सभी को चौंकाते हुए उन्होंने कृषि में पीएचडी की। जिसके बाद 1995 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की।

लेकिन उन्हें  भारतीय राजस्व सेवाओं के लिए चुना गय पर उन्होंने इसके लिए साफ मना कर दिया। वहीं, उन्होंने इसके बिल्कुल विपरीत जाकर  मिट्टी के टिलरों के साथ काम करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के साथ कृषि अनुसंधान वैज्ञानिक के रूप में काम करने का विकल्प चुना। जिसके बाद उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान में रिसर्च किया और  1 99 6 से 2003 तक परिषद की सेवा करने के बाद, 2004 में सेंटर फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर नामक गैर-लाभकारी संगठन स्थापित करने के लिए नौकरी छोड़ दी। यहां उन्होंने एक नए जीवन की शुरूआत भी की।

नई शुरुआत

उन्होंने जब नौकरी छोड़ किसानों के लिए जीवन देने का फैसला दिया तब किसान सबसे ज्यादा आत्महत्याएं कर रहे थे खास कर आंध्र प्रदेश में। उस समय किसान हर तरह की परेशानियों को झेल रहे थे। वह खेतों में उत्पादन के दौरान कीटनाशक-जहर के कारण या दिवालिया होने के बाद खुद को मार रहे थे। ऐसे में उन्होंने खुद किसानों के पास जाकर चीजों के बारे में अवगत करवाया।

2005 से 2008 तक, उन्होंने सोशल फॉर एलिमिनेशन ऑफ रूरल पॉवर्टी, (एसईआरपी), के जरिए आंध्र प्रदेश, की महिलाओं के स्व-सहायता समूहों का संघ तैयार किया। किसान फील्ड स्कूल (एफएफएस) के माध्यम से दो सत्रों में 45 सप्ताह के लिए महिला किसानों को प्रशिक्षण दिया गया जिसमें गैर-कीटनाशक प्रबंधन (एनपीएम) का प्रचार करने के बारे में बताया गया। जिसके बाद से अलग अलग तरीकों से वह किसानों को सही फसल के बारे में गांव गांव जाकर अवगत करवा रहे हैं। महिलाएं पुरुष हर एक को खेती उनके बीज कीटनाश हर एक के बारे में बताते हैं साथ सरकार से क्या मदद मिल सकती है बताते हैं। आज वह किसानों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। 2010 से अब तक उन्होंने आधे से ज्यादा आंध्रा के गांवों तक अपनी सुविधाएं पहुंचाईं हैं।

यूं कर रहे हैं मदद

खुद डॉ जी वी रामानंजयुलु  का कहना है कि आज किसान मित्रा मदद के लिए किसान की कॉल है। यदि कोई किसान भूमि की रिकॉर्ड, ऋण या सब्सिडी इत्यादि के बारे में जानकारी या फिर बीमा, उत्पादन, बाजार या सरकारी समर्थन से संबंधित मुद्दों या मुद्दों की जानकारी चाहता है तो उसके इसके जरिए वो प्राप्त होती है। आज तेलंगाना के हर एक जिले से हमें 6,000 से अधिक कॉल प्राप्त होते हैं जिनमें से हम 3,000 से अधिक मुद्दों को हल करने में सक्षम होते हैं। हम पूरे देश के किसानों के लिए इसी तरह से मदद करने की कोशिश में लगे हुए हैं। आज उनके कार 7000 गावों के किसानों को सही दिशा मिल पाई है।

अगर आप भीडॉ जी वी रामानंजयुलु से संपर्क साधना चाहते हैं तो Ramoo@csa-india.org पर व्हाट्सएप या फिर उन्हें 0850078 33 00 पर कॉल कर सकते हैं।
 

Web Title: #KuchhPositiveKarteHain: This Man Gave up an IRS Job to Sow The Seeds of Change in 7000 Villages

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