असम के भरलुमुख इलाके के सोनाराम हायर सेकेंड्री स्कूल जाएंगे तो सफेद शर्ट और काली पैंट में एक शख्स दिखाई देंगे। क्लासरूम में गणित के समीकरणों को सुलझाते हुए। बड़े प्यार से छात्रों की जिज्ञासाओं को शांत करते हुए। ये शख्स कोई और नहीं कुछ दिन पहले तक असम के टॉप-कॉप रहे मुकेश सहाय हैं। कुछ महीने पहले तक बदमाशों के जी का जंजाल रहे मुकेश सहाय इस समय बीजगणित के समीकरण हल कर रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद मुकेश सहाय का ये फैसला एक प्रेरणा है। #KuchhPositiveKarteHain कैंपेन में आज कहानी असम के डीजीपी रहे मुकेश सहाय की जो सेवानिवृत्ति के अगले ही दिन स्कूल पहुंचे।
34 सालों तक प्रशासनिक सेवा में रहे मुकेश सहाय 30 अप्रैल को असम के डॉयरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) के पद से रिटायर हुए थे। रिटायरमेंट से पहले ही उन्होंने तय कर लिया था आगे क्या करना है। अपराधियों के पीछे बहुत भाग लिए अब नई फसल को अपराध की तरह जाने से रोकना है। इसके बाद उन्होंने सोनाराम हायर सेकेंड्री स्कूल में गणित का अध्यापक बनने का फैसला किया। स्कूल में दो साल से गणित का कोई अध्यापक ही नहीं था।
सोनाराम हायर सेकेंड्री स्कूल के प्रिंसिपल द्विजेंद्र नाथ के अनुसार इसकी शुरुआत 2016 में हुई थी जब उन्होंने मुकेश सहाय को एक कार्यक्रम में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। प्रिंसिपल ने बताया, 'इस स्कूल की स्थापना 1984 में हुई थी। यहां से पढ़कर बड़े-बड़े राजनेता बने हैं। लेकिन 2016 से स्कूल में गणित का कोई अध्यापक नहीं था। मैं केमिस्ट्री का अध्यापक हूं उसके बावजूद गणित की कक्षाएं लेता था।'
मुकेश सहाय ने गणित के अध्यापक की जरूरत देखते हुए पढ़ाने की इच्छा व्यक्ति की। उन्होंने अगस्त 2017 में भी पढ़ाने की कोशिश की थी लेकिन व्यस्त प्रशासनिक कामकाज के चलते बात नहीं बन सकी। लेकिन 30 अप्रैल 2018 को रिटायर होने के अगले ही दिन उन्होंने प्रिंसिपल से संपर्क किया और 7 मई से स्कूल में पढ़ाने की शुरुआत कर दी। वो नियमित रूप से गणित की कक्षाएं लेते हैं।
मुकेश सहाय का कहना है कि उन्होंने इससे पहले कभी अध्यापक के रूप में काम नहीं किया। हालांकि पुलिस अधिकारी को दी गई ट्रेनिंग से मदद मिली। अपने शुरुआती दिनों में पैसे कमाने के लिए वो मजबूरी में ट्यूशन पढ़ाते थे। सोनाराम स्कूल के छात्रों को पूर्णकालिक गणित का अध्यापक मिलने से खुशी है।
Northeast Now ने पूर्व डीजीपी मुकेश सहाय का साक्षात्कार किया। सहाय ने बताया, 'मेरे लिए पुलिस और अध्यापन दोनों समाज की सेवा है। 34 साल की सेवा के बाद मैं डीजीपी पद से रिटायर हुआ ये मेरे लिए गर्व की बात है। पिछले साल जब मैं इस स्कूल में आया तो प्रिंसिपल ने मुझे बताया कि यहां गणित का अध्यापक नहीं है। हालांकि अब इस स्कूल में दो गणित के अध्यापक हैं लेकिन मैं 10वीं के छात्रों को गणित पढ़ाता हूं। मेरी तपस्या तभी सफल होगी जब छात्र परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।'
मुकेश सहाय का कहना है, 'शिक्षा का व्यापक असर होता है। अगर लोग शिक्षित और जागरूक होंगे तो अपराधिक गतिविधियां कम हो जाएंगी। सिर्फ किताबें शिक्षा से कुछ नहीं होगा। बच्चों में लैंगिग असमानता, बड़ों का आदर, लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूक करना होगा।'
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