एक ऐसे शहर में जहां राजनीतिक दलों की निगाहें 46 फीसदी महिला मतदाताओं को अपने पाले में करने पर हैं, वहां राजनीतिक अखाड़े में महिलाओं की भागीदार बेहद कम बनी हुई है।
मुंबई की 36 विधानसभा सीटों में पर लड़ रहे कुल 334 उम्मीदवारों में से महज 31 ही महिलाएं हैं, जो कुछ उम्मीदवारों का 9.3 फीसदी ही है। मुंबई की 36 विधानसभा सीटों में से 21 पर ही महिला उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रही हैं।
बीजेपी-कांग्रेस ने मुंबई से उतारे सिर्फ तीन-तीन उम्मीदवार
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही सिर्फ तीन-तीन महिला उम्मीदवार ही उतारे हैं। बीजेपी जो 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, ने अपनी तीनों वर्तमान विधायकों को फिर से टिकट दिया है, इनमें दहिसर से मनीषा चौधरी, वर्सोवा से भारती लावेकर और गोरेगांव से विद्या ठाकुर शामिल हैं।
वहीं मुंबई की 29 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने भी महज तीन महिला उम्मीदवार ही उतारे हैं। उसने धारावी से वर्तमान विधायक वर्षा गायकवाड़ को उतारा है, जबकि घाटकोपर ईस्ट से मनीषा सूर्यवंशी और कांदिवली ईस्ट से डॉ. अजंता यादव को टिकट दिया है।
वहीं 19 सीटों पर लड़ रही शिवसेना ने यामिनी जाधव के रूप में सिर्फ एक महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है। वहीं छह सीटों पर लड़ रही एनसीपी ने धिंडोसी से विद्या चव्हाण को मौका दिया है। साथ ही 11 निर्दलीय उम्मीदवारों ने नामांकन किया है।
धारावी विधानसभा सीट पर सबसे अधिक 11 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरी हैं। इनमें कांग्रेस की वर्षो गायकवाड़, बहुजन समाज पार्टी की अनीता गौतम और निर्दलीय उम्मीदवार बबिता शिंदे शामिल हैं।
80 के दशक में चुनी गई थीं सर्वाधिक महिला विधायक
मुंबई में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की हिस्सेदारी कम है। ये संख्या 80 के दशक में सर्वाधिक थी, जब सामाजिक आंदोलन अपने चरम पर था। 1985 में शहर से महज छह महिलाएं ही चुनी गईं।
वहीं 1990 में मुंबई शहर से एक भी महिला विधायक नहीं चुनी गई। 1995 और 1999 के चुनावों में एक-एक महिला विधायक चुनी गईं। 2004 और 2009 के चुनावों में ये संख्या 2-2 रही।
वहीं 2014 में बीजेपी की सुनामी में मुंबई से चार महिला विधायक चुनी गईं।