अप्रैल 2013 में लोकसभा चुनावों से एक साल पहले बीजेपी ने नागपुर से तीन बार के विधायक देवेंद्र फड़नवीस को महाराष्ट्र इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया था, उस समय शायद ही किसी ने सोचा होगा कि महज डेढ़ साल बाद ही फड़नवीस भारत के सबसे अमीर राज्यों में से एक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन जाएंगे। ये इसलिए भी उपलब्धि थी क्योंकि सीएम बनने से पहले उनके पास नागपुर मेयर के रूप में ही प्रशासनिक अनुभव था।
अब पांच साल बाद जब 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की वोटिंग के साथ ही बीजेपी-शिवेसना गठबंधन सत्ता में दोबारा वापसी की कोशिशों में जुटी है तो इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगर ये गठबंधन सत्ता में लौटा तो इसका नेता कौन होगा।
इन पांच सालों में, 49 वर्षीय फड़नवीस ने ना सिर्फ मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी जगह मजबूत की है, बल्कि खुद को राज्य के सबसे बड़े नेता के रूप में भी पेश किया है। यहां तक कि नागपुर से आने वाले और आरएसएस के एक और चहेते नेता नितिन गडकरी को भी उन्होंने फीका कर दिया है।
फड़नवीस ने इन पांच सालों में न सिर्फ विपक्षी वोट बैंक पर कब्जा जमाया है, बल्कि इन विधानसभा चुनावों से पहले विपक्षी खेमे का मनोबल तोड़ने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। आइए एक नजर डालते हैं, उन कारणों पर जिसने देवेंद्र फड़नवीस को महाराष्ट्र में बीजेपी का सबसे प्रमुख चेहरा बना दिया है।
फड़नवीस को हासिल है शीर्ष नेतृत्व का समर्थन
आरएसएस के कार्यकर्ता रहे देवेंद्र फड़नवीस को बीजेपी के शीर्ष नेताओं का समर्थन प्राप्त है, जो उनकी राजनीतिक सफलता की प्रमुख वजहों में से एक है। उनके पिता गंगाधर फड़नवीस जनसंघ के प्रमुख नेता थे और बीजेपी विधायक थे। उनकी चाची शोभा फड़नवीस, जो बीजेपी सदस्य हैं, पहली शिवसेना सरकार में मंत्री थीं।
शीर्ष नेताओं और संघ के समर्थन ने ये सुनिश्चित किया कि वह महाराष्ट्र के लिए अपने विजन को बिना किसी रुकावट के लागू कर सके। इससे उन्हें महाराष्ट्र के लिए स्पष्ट विकासकारी एजेंडे को अपनाने में भी मदद मिली।
चतुर राजनेता हैं देवेंद्र फड़नवीस
सीएम के तौर पर पिछले पांच सालों में फड़नवीस की राजनीतिक कार्यकुशलता ने दिखाया है कि वह महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे मंझे हुए खिलाड़ियों में से एक हैं, शायद एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भी बेहतर। अपनी राजनीतिक चतुराई से वह राज्य की राजनीति में मराठा आरक्षण और किसान आंदोलनों के मुद्दे पर कई दिग्गज राजनेताओं के खिलाफ मुकाबले में बीस साबित हुए।
उनके जानने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी वजह ये है कि फड़नवीस होशियार हैं, पढ़े-लिखे हैं, समझदार हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक गजब के रणनीतिकार हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि फड़नवीस ने अपनी इसी रणनीतिक समझ और शीर्ष नेताओं के समर्थन के दम पर अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को दरकिनार करने में कामयाबी पाई, जिनमें सीएम पद के दो उम्मीदवार-विनोद तावड़े और एकनाथ खड़से-शामिल हैं, जिन्हें इन विधानसभा चुनावों में टिकट तक नहीं मिला है।
फड़नवीस के शिवसेना के साथ अच्छे संबंध
एक और चीज जो फड़नवीस के पक्ष में गई, वह है शिवसेना के साथ उनके अच्छे संबंध। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ उनका सीधा संवाद तंत्र है। इसी रिश्ते ने उन्हें सरकार को स्थिर रखने में और लोकसभा चुनावों और अब विधानसभा चुनावों के लिए शिवसेना को गठबंधन के लिए मनाने में भी मदद की।
समस्याओं का तुरंत समाधान खोजने में माहिर हैं फड़नवीस
इसका नजारा मराठा आरक्षण और किसान आंदोलन के दौरान दिखा, जिसने फड़नवीस के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर दी थी। लेकिन उन्होंने इन समस्याओं को अनदेखा करने के बजाय उनके समाधान के लिए तुरंत ही कमिटी का गठन किया और आंदोलनकारियों को बातचीत की टेबल पर लाए।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि फड़नवीस किसी भी स्थिति को नियंत्रण से बाहर नहीं जाने देते। वह महाराष्ट्र में होने वाले किसी भी आंदोलन को नजरअंदाज नहीं करते और प्रदर्शनकारियों को बातचीत की टेबल पर लाने की कोशिश करते हैं, बातचीत की टेबल पर आने का मतलब है, आधी जंग जीत लेना।
ऐसा ही कुछ उन्होंने सूखे की समस्या से निपटने के लिए किया था। 2015 में मराठवाड़ा में पानी की कमी से निपटने के लिए उन्होंने लातूर से पानी की ट्रेन भेजी थी, जिससे जनसमर्थन उनके पक्ष में हो गया था।
फड़नवीस की छवि विकास करने वाले नेता की
विकास फड़नवीस का सबसे बड़ा एजेंडा रहा है-उन्होंने शहरी बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश से लेकर सिंचाई परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने जैसे कई कदम उठाए हैं।
फड़नवीस न सिर्फ नई योजनाओं पर काम कर रहे हैं, बल्कि अपनी पूर्ववर्ती सरकारों की भी महत्वपूर्ण योजनाओं को आगे बढ़ा रहे हैं।
उनकी पूर्ववर्ती सरकार में 11.4 किमी का सिर्फ एक मेट्रो कॉरिडोर ही बना था। लेकिन उनकी सरकार शहर में 1.40 लाख करोड़ के निवेश से 337 किमी मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण कर रही है, जिनमें से छह लेन निर्माणाधीन है। इसके अलावा-पुणे, नागपुर और नासिक में भी मेट्रो निर्माण की योजना है।
देवेंद्र फड़नवीस हैं 'मिस्टर क्लीन' साथ ही फड़नवीस की छवि बेहद साफ-सुथरी है और उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है। उदाहरण के लिए उन्होंने पूर्व हाउसिंग मंत्री प्रकाश मेहता के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों में उनके खिलाफ जांच के लिए लोकायुक्त की नियुक्ति की और इस साल उन्हें अपने कैबिनेट से बाहर कर दिया। हाल में मेहता को विधानसभा चुनावों के लिए टिकट भी नहीं दिया गया है।
वहीं पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से को भी 3 एकड़ प्लॉट की खरीदारी में भ्रष्टाचार के आरोपों में 2016 में इस्तीफा देना पड़ा था, हालांकि बाद में उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी।
अपने मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई से फड़नवीस की छवि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा ऐक्शन लेने वाले मिस्टर क्लीन की बनी है।