नागपुर पहुंचाए गए चार नन्हे शावक, अब बिन मां के रहेंगे तेंदुए के बच्चे, बोतल से पी रहे हैं दूध

By फहीम ख़ान | Published: July 17, 2020 12:17 PM2020-07-17T12:17:01+5:302020-07-17T12:17:01+5:30

30 जून को ग्राम पास्टुल परिसर से बहने वाली मोर्णा नदी के किनारे झाड़ियों में तीन शावक मिले थे। दूसरे दिन एक अन्य शावक भी इसी परिसर से मिला था। जानकारी मिलते ही वन विभाग के अधिकारियों ने उन्हें अपने कब्जे में लिया था।

Four cubs brings to Nagpur, leopard children will remain without mother | नागपुर पहुंचाए गए चार नन्हे शावक, अब बिन मां के रहेंगे तेंदुए के बच्चे, बोतल से पी रहे हैं दूध

चार नन्हें शावकों नागपुर लाया गया है।

Highlightsवनविभाग की टीम ने चार नन्हे शावकों को नागपुर स्थित गोरेवाडा में भेज दिया। पातूर वन परिक्षेत्र के तहत नदी तट पर इन चार शावकों को मादा तेंदुए ने जन्म दिया था।

नागपुर: अकोला जिले के पातुर इलाके में एक मादा तेंदुए ने चार खूबसूरत शावकों को जन्म दिया और इसके बाद उन्हें छोड़ कर चली गई। मादा तेंदुआ जब लंबे समय बाद भी नहीं लौटी तो वनविभाग की टीम ने इन नन्हे शावकों को आखिरकार नागपुर स्थित गोरेवाडा में भेज दिया। 30 जून को अकोला के पातूर वन परिक्षेत्र के तहत नदी तट पर इन चार शावकों को मादा तेंदुए ने जन्म दिया था। गुरुवार को ये शावक नागपुर पहुंच गए। 

उल्लेखनीय है कि मादा के इंतेजार में जंगल मे जब इन बच्चों को रखा गया था तो उन्हें वेटरनरी डॉक्टरों के मार्गदर्शन में वन कर्मचारी ही बोतल से दूध पिलाते थे। इन बच्चो को प्लास्टीक के करैट में रख कर उसी जगह रखा गया था जहाँ इनको माँ ने इन्हें जन्म दिया था। उस स्थान पर निगरानी के लिए नाइट विजन कैमरा, सीसीटीवी लगाए गए थे।

30 जून को ग्राम पास्टुल परिसर से बहने वाली मोर्णा नदी के किनारे झाड़ियों में तीन शावक मिले थे। दूसरे दिन एक अन्य शावक भी इसी परिसर से मिला था। जानकारी मिलते ही वन विभाग के अधिकारियों ने उन्हें अपने कब्जे में लिया था। शावकों को देखकर माना गया था कि, उनका जन्म तीन सप्ताह पहले हुआ होगा। चारों शावकों को सब्जी के एक कैरेट में रखकर उन्हें उसी स्थान पर ले जाया गया था, जहां वह मिले थे। 

शावकों को मां वापस नहीं आई लेने

माना जा रहा था कि, उनकी मां उन्हें लेने वापस जरूर जाएगी। इस बीच शावकों की देखभाल का दायित्व उपवनसंरक्षक वि. ग. माने के मार्गदर्शन में वन परिक्षेत्र अधिकारी धीरज मदने, प्रशिक्षणार्थी अधिकारी कुंडलिक होटे और सहायक वनसंरक्षक नितिन गोंडवणे को सौंपा गया था। एक पखवाड़ा गुजर जाने के बाद भी शावकों की मां का कुछ पता नहीं होने से शावकों को गोरेवाड़ा भेजने का निर्णय लिया गया था, जिसके लिए नागपुर के गोरेवाड़ा स्थित अंतर्राष्ट्रीय गोरेवाड़ा वन्यप्राणी बचाव केंद्र से संपर्क किया गया था। जरूरी खानापूर्ति के बाद चारों शावकों को नागपुर भेजा गया।

Web Title: Four cubs brings to Nagpur, leopard children will remain without mother

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