महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस द्वारा दो लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी कथित रूप से मुहैया नहीं कराने के मामले में उच्चतम न्यायालय की ओर से सुनवाई का आदेश देने के बाद कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री को नैतिक आधार पर पद पर नहीं बने रहना चाहिए।
पार्टी प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने हलफनामे में दो आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाई। अब उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद हलफनामा मामले में सुनवाई आगे चलेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नैतिकता और मोदी विपरीत दिशा में चलते हैं। लेकिन फिर भी हमारा यह कहना है कि जब आपराधिक मामला चलता है तो उन्हें (फड़नवीस को) नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री बने रहने का अधिकार नहीं है।’’
गोहिल ने कहा कि अगर आरोपी मुख्यमंत्री पद पर बैठा रहेगा तो कानूनी प्रक्रिया में रुकावट आ सकती है। दरअसल, फड़नवीस को झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने दो लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी कथित रूप से मुहैया नहीं कराने के मामले में बंबई उच्च न्यायालय का आदेश मंगलवार को निरस्त कर दिया और भाजपा नेता को मामले में सुनवाई का सामना करने का आदेश दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने सतीश यूकी की याचिका पर यह आदेश दिया।
फड़नवीस को इस्तीफा दे देना चाहिए: राकांपा
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस को उनके खिलाफ आये उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और राजनीति छोड़ देनी चाहिए। फड़नवीस को आज उस समय झटका लगा जब उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव के दौरान दाखिल हलफनामे में आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं देने के कारण उन्हें मुकदमे का सामना करना होगा।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाले सतीश अंकी की अपील पर यह निर्णय दिया। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि फड़णवीस को इन कथित अपराधों के लिये जनप्रतिनिधत्व कानून के तहत मुकदमे का सामना करने की जरूरत नहीं है। राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि फड़नवीस को चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं है। महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने है।
मलिक ने कहा, ‘‘हम इस निर्णय का स्वागत करते है। इससे साबित होता है कि मुख्यमंत्री नियमों का पालन नहीं करते हैं। अब, उनके पास राजनीति में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं बचा है। उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए और राजनीति छोड़ देनी चाहिए। उन्हें चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं है।’’
राकांपा के एक अन्य प्रवक्ता महेश तापसे ने आरोप लगाया कि वह अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के बारे में तथ्यों को छुपाकर मतदाताओं से झूठ बोल रहे हैं। तापसे ने कहा, ‘‘उच्च नैतिक मानकों को अपनाने का दावा करने वाली भाजपा को उनकी उम्मीदवारी को खारिज कर देना चाहिए।’’ ये दोनों आपराधिक मामले कथित कपट और जालसाजी के हैं जो फड़णवीस के खिलाफ 1996 और 1998 में दायर हुये थे लेकिन इनमे अभी तक आरोप निर्धारित नहीं किये गये थे।