MP: इनक्यूबेटर ऑपरेटिंग में लापरवाही से मासूम की चली गई रोशनी, अस्पताल पर अब 85 लाख का लगा जुर्माना

By संजय परोहा | Published: September 23, 2023 11:38 AM2023-09-23T11:38:47+5:302023-09-23T12:08:44+5:30

यह निर्णय 14 सितंबर को राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के सदस्य ए के तिवारी श्रीकांत पांडे और डीके श्रीवास्तव की बेंच ने सुनाया । 

Consumer Disputes Redressal Commission imposed a fine an jabalpur hospital of Rs 85 lakh | MP: इनक्यूबेटर ऑपरेटिंग में लापरवाही से मासूम की चली गई रोशनी, अस्पताल पर अब 85 लाख का लगा जुर्माना

फोटोः Social Media

Highlightsयह मामला जबलपुर स्थित आयुष्मान चिल्ड्रन अस्पताल का है ।इनक्यूबेटर ऑपरेटिंग में लापरवाही के चलते एक मासूम की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई ।

जबलपुरः यहां इनक्यूबेटर ऑपरेटिंग में लापरवाही के चलते एक मासूम की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई । बच्ची के पिता शैलेंद्र जैन ने इस बात की शिकायत राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में की श्री जैन के अधिवक्ता दीपेश जोशी ने बताया कि यह फैसला एक ऐतिहासिक फैसला है अभी तक इतनी बड़ी राशि का कंपनसेशन किसी भी अस्पताल पर लापरवाही के चलते नहीं लगाया गया है। यह निर्णय 14 सितंबर को राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के सदस्य ए के तिवारी श्रीकांत पांडे और डीके श्रीवास्तव की बेंच ने सुनाया।  प्रकरण के अनुसार दीपेश जोशी ने बताया कि वर्ष 2004 में शैलेंद्र जैन की बेटी साक्षी जब 1 साल की थी  तब उन्होंने आयोग में अस्पताल की लापरवाही को लेकर शिकायत की  थी।

साक्षी जन्म के समय प्री मेच्योर  बच्ची थी उसे डॉक्टर की सलाह पर आयुष्मान चिल्ड्रन अस्पताल में इनक्यूबेटर में रखा गया हालांकि कुछ दिन बाद बच्ची ठीक हो गई और उसे माता-पिता घर ले गए कुछ समय बाद समझ आया कि उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है ।तब बच्ची को  कई डॉक्टर को दिखाया गया डॉक्टर ने परीक्षण उपरांत बचाए बताया कि बच्ची को रेटिनोपैथी आप प्रीमेच्योरिटी है । बच्ची के सभी परीक्षण कराए गए तो पता चला की बच्ची को रेटिनोपैथी आप मेच्योरिटी है  यह इनक्यूबेटर में ऑक्सीजन की अत्यधिक डोज  के कारण हुई है ।इसको लेकर अस्पताल की लापरवाही सामने आई है ।

रेटिनोपैथी आफ मेच्योरिटी में आंख रेटिना के पीछे छोटी रक्त वाहिकाएं असामान्य रूप से बढ़ जाती हैं । इस बात की शिकायत जब आयोग के समक्ष की गई तो यह मामला लगभग  19 वर्ष तक चला 19 वर्ष बाद आयोग ने अपना फैसला सुनाया आयोग ने 60 दिन के अंदर 40 लख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है ।साथ ही इस रकम पर 12 अप्रैल 2004 से भुगतान दिनांक तक 6% की दर से ब्याज का भुगतान करने के आदेश दिए हैं । साथ ही यह चेतावनी भी दी गई है कि राशि का भुगतान 60 दिन के अंदर किया जाए अगर नहीं किया जाता तो इस आदेश से भुगतान दिनांक तक आठ प्रतिशत का ब्याज देना होगा।

 आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि पीड़ित बच्ची साक्षी जैन को अस्पताल एवं चिकित्सकों की अपेक्षा के कारण ही उसकी दृष्टि आजीवन समाप्त हो गई है वह अंधी हो गई है। उसके भावी जीवन पर कथित रूप से प्रभाव पड़ने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। सामाजिक दृष्टि से भी उसे वह स्थान व सम्मान प्राप्त नहीं हो पाएगा जैसा कि वह सामान्य दृष्टि रखते हुए समाज में अपना स्थान बना पाती । उससे बहुत से कार्यों के लिए सहयोगी की आवश्यकता भी पड़ती रहेगी। तथा आजीविका का अर्जित करने की क्षमता भी आंखों की कमी के कारण प्रभावित रहेगी ।

Web Title: Consumer Disputes Redressal Commission imposed a fine an jabalpur hospital of Rs 85 lakh

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