आयुष्मान कार्ड योजना में मध्य प्रदेश के साथ बड़ा पक्षपात
By राजेश मूणत | Published: February 28, 2024 03:27 PM2024-02-28T15:27:49+5:302024-02-28T15:41:45+5:30
जानकारी के अनुसार सरकार ने सभी महत्पूर्ण ऑपरेशन को आयुष्मान योजना में शासकीय चिकित्सालयों की लिस्ट में डाल दिया है। जबकि, सुविधाओं के अभाव के कारण लगभग सभी शासकीय चिकित्सालय मरीजों को हायर सेंटर पर रेफर करते है।
राजेश मूणत: जनवरी 2021 की 15 तारीख ने मध्यप्रदेश के गरीब मरीजों के साथ बड़ा अन्याय किया है। इस दिन के एक फेसले ने बड़े अत्याधुनिक अस्पतालों में गरीबों के उपचार के सपने को तोड़ दिया है। इसी के साथ मामला गुजरात और मध्यप्रदेश के मध्य पक्षपात का भी है।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार सरकार ने सभी महत्पूर्ण ऑपरेशन को आयुष्मान योजना में शासकीय चिकित्सालयों की लिस्ट में डाल दिया है। जबकि, सुविधाओं के अभाव के कारण लगभग सभी शासकीय चिकित्सालय मरीजों को हायर सेंटर पर रेफर करते है। अब इन सेंटरों पर आयुष्मान कार्ड नहीं चलते है।
इससे सबसे ज्यादा नुकसान नाक कान और गले में नाक की हड्डी बढ़ना, प्लास्टिक सर्जरी, कान का पर्दा बदलना और मेस्ट्रॉयद सर्जरी के मरीजों को हो रहा है। इसी के साथ एक्सीडेंटल में न्यूरोलाजी मरीजों के मामले मे जांच का खर्च मरीज पर डाल दिया गया है।
यह बड़ी महंगी होती है। यूरोलाजी के मरीजों के मामले मे भी जिला स्तर पर कई जगह सुविधा शून्य है। लेकिन मूत्र रोग के उपचार के मामले मे मरीज को जबरन बड़े सेंटरों पर जाना पड़ता है। बड़े सेंटरों पर इलाज और परिजनों के रहने खाने का इंतजाम भी महंगा रहता है। इलाज के लिए गरीब मरीजों को भारी खर्च वहन करना पड़ रहा है।
होना यह चाहिए की गंभीर मामलों में आयुष्मान कार्ड की तत्काल जरूरत के समय कलेक्टर को जारी करने का विशेषाधिकार भी मिलना चाहिए। गुजरात में लगभग सभी निजी अस्पताल आयुष्मान योजना से सम्बद्ध है। लेकिन मध्यप्रदेश में स्थिति बड़ी विकट है। यहां ऑपरेशन के पूर्व की जांच भी आयुष्मान के दायरे मे नही होने की बात सामने आ रही है।