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यूपी में तबादलों और भ्रष्टाचार को लेकर घिरी योगी सरकार, सीएम योगी ने आईजी स्टांप को हटाया, 210 ट्रांसफर निरस्त

By राजेंद्र कुमार | Updated: June 20, 2025 18:21 IST

UP News: अपने मंत्री के इस के इस आरोप पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्टांप एवं पंजीयन विभाग में हुए 210 तबादलों को रद्द करते हुए समीर वर्मा हटाकर प्रतिक्षारत कर दिया है.

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लखनऊ:उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरे साल भी सरकारी विभागों में हुए तबादलों को लेकर योगी सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी है. सरकार के स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) रवींद्र जायसवाल ने अपने ही विभाग के महानिरीक्षक निबंधक (आईजी स्टांप) समीर वर्मा पर नियमों की अनदेखी करते हुए तबादलों में लाखों रुपए के लेनदेन का आरोप लगाया हैं. यही नहीं उन्होंने आईजी स्टांप को हटाने और मामले की एसटीएफ से जांच कराने की मांग भी है. 

अपने मंत्री के इस के इस आरोप पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्टांप एवं पंजीयन विभाग में हुए 210 तबादलों को रद्द करते हुए समीर वर्मा हटाकर प्रतिक्षारत कर दिया है. वही दूसरी तरफ बेसिक शिक्षा, स्वास्थ्य, आयुष आदि विभागों में भी आरोपों के चलते तबादला आदेश जारी ही नहीं हो सके और इन विभागों में तबादला सत्र शून्य हो चुका है. तबादलों को लेकर सूबे में मचे इस घमासान को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सीएम योगी पर हमला बोला है. तो अब योगी सरकार इस मामले में बैकफुट पर है. 

तबादलों पर ऐसे शुरू हुआ घमासान :   

उत्तर प्रदेश में तबादलों को लेकर घमासान ही शुरुआत 15 जून से उस समय शुरू हुई, जब कुछ विभागों ने स्थानांतरण नीति के तहत विभागों में किए गए तबदलों के सूची जारी की. प्रदेश सरकार की स्थानांतरण नीति के तहत 15 मई से 15 जून तक तबादले किए जाने थे, लेकिन अधिकतर विभागों ने 14 और 15 जून को स्थानांतरणों को अंतिम रूप दिया और तबादला सूची जारी की. इसके ठीक पहले सूबे के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक जो चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हैं ने प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य द्वारा तैयार ही गई तबादला सूची को मुख्यमंत्री कार्यालय भिजवा दिया. ताकि उनके ऊपर कोई आरोप ना लगे. 

इसी प्रकार बेसिक शिक्षा विभाग में तबादला सूची तैयार कर ली गई, परंतु उसे ऊपर से अनुमोदन नहीं मिला. आयुष विभाग की तबादला सूची को भी रोक दिया गया. आबकारी और सिंचाई विभाग में भी तबादलों को लेकर मनमानी के आरोप लगाए गए. इसी बीच स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विभाग में हुए तबादलों में बड़े पैमाने पर पैसे के लेनदेन की शिकायत की. और उन्होने इस मामले में कार्रवाई करते हुए महानिरीक्षक निबंधक (आईजी स्टांप) समीर वर्मा को हटाने की मांग सीएम योगी से की. 

सीएम योगी को राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल का लिखा गया यह पत्र मीडिया को मिल गया और योगी सरकार को विपक्ष ने अपने निशाने पर ले लिया. तो गुरुवार की देर रात मुख्यमंत्री योगी ने रवींद्र जायसवाल के पत्र पर विभाग में हुए तबादलों की जांच कराने के आदेश देते हुए समीर वर्मा को हटाकर उनके स्थान पर परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव अमित गुप्ता को आईजी स्टांप का अतिरिक्त प्रभार दिया है. 

अखिलेश और मायावती का कथन : 

सीएम योगी की इस कार्रवाई के बाद शुक्रवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा, जिसको ट्रांसफर में नहीं मिला हिस्सा.  वही राज खोलके सुना रहा है किस्सा. सच तो ये है कि कई मंत्रियों ने ट्रांसफर की फाइल की ‘फीस’ नहीं मिलने पर फाइल लौटा दी है. सुना तो ये था कि इंजन ईंधन की माँग करता है पर यहां तो डिब्बा तक अपने ईंधन के जुगाड़ में लगा है. सपा प्रमुख के इस बयान को सीधे तौर पर योगी सरकार के भीतर ट्रांसफर-पोस्टिंग में चल रही अंदरूनी खींचतान और कथित वसूली से जोड़कर देखा जा रहा है. 

योगी सरकार पर किए गए अखिलेश यादव के इस तंज़ के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने यह मांग की है कि योगी सरकार में अलग-अलग विभागों के तबादले में हो रहे भ्रष्टाचार की विजिलेंस और एसआईटी का गठन कर जांच की जानी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. सोशल मीडिया पर जारी की गई पोस्ट में मायावती ने  यह मांग ही है. उन्होने यह भी लिखा है कि देश के अधिकतर प्रदेशों की तरह यूपी में भी हर स्तर पर सरकारी कार्यकलापों के साथ ही विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार और हिस्सेदारी के आरोपों से घिरे तबादलों की अनवरत आम चर्चा होती है. 

ऐसी खबरों का मुख्यमंत्री को कड़ा संज्ञान लेकर ना सिर्फ भ्रष्टाचार निरोधक विजिलेंस विभाग आदि को सक्रिय करना चाहिए बल्कि समयबद्ध एसआईटी का भी गठन करके व्यवस्था में आवश्यक सुधार करना जन व देशहित में जरूरी है. सरकारी भ्रष्टाचार व अफसरों की द्वेषपूर्ण मनमानी पर यूपी सीएम जितना जल्द सख्त कदम उठाए उतना बेहतर है.  

सरकार की सफाई

तबादलों में हुए भ्रष्टाचार को लेकर सपा और बसपा द्वारा योगी सरकार को निशाने पर लेते ही इस मामले पर स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रविंद्र जायसवाल ने आगे आकर अब सरकार का पक्ष रखा है. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार खत्म करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं, उसमे अगर किसी ने होल करने का प्रयास किया तो, माफ नहीं किया जाएगा. अपने विभाग के तबादलों को लेकर मचे घमासान के बाबत उन्होंने सफाई ही है और कहा कि आयुक्त ने विभाग में किए गए तबादलों को लेकर ना चर्चा की और ना ही मुझे लिस्ट दिखाई, सीधे लिस्ट जारी कर दी. 

तबादला सूची को देखने पर पता चला कि इसमें बहुत सी कमियां है. जिनके खिलाफ शिकायत थी उनका बड़े जिलों में तबादला कर दिया गया है. इंटर पास बाबू को रजिस्ट्रार बना दिया गया है. आयुक्त लेवल से किए गए तबादलों में तमाम कमियां मिली. इन कमियों का संज्ञान लेकर सीएम योगी को अवगत कराया गया था. मुख्यमंत्री जी ने इस मामले पर जांच बैठा दी है और ट्रांसफर पर रोक लगा दी है. जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी. यह दावा तो रविंद्र जायसवाल ने किए लेकिन उन्होने यह नहीं बताया कि उन सीएम योगी को लिखा पत्र मीडिया को कैसे मिल गया. 

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