मुज़फ्फरनगर (22 मार्च): योगी आदित्यनाथ सरकार मुज़फ्फरनगर दंगे के आरोपियों को बड़ी राहत देने वाली है। खबर के मुताबिक यूपी के मुजफ्फर दंगे के आरोपियों पर से 131 मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की है। वापस लिए जाने वाले इन मुकदमों में हत्या के 13 और हत्या के प्रयास के 11 मामले हैं।
500 से ज्यादा लोगों पर 2013 में मुजफ्फरनगर में कथिततौर पर दंगे फैलाने पर के आरोप लगे थे। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक इस केस से जुड़े दस्तावेजों में पाया गया है कि सभी केस गंभीर अपराध से जुड़े हैं। जिसमें कम से कम सात साल की सजा होती है। ऐसे में धारा 153 ए यानी धार्मिक आधार पर दुश्मनी फैलाने के आरोप तथा दो मुकदमे सेक्शन 295 पर 16 लोगों पर केस दर्ज हैं। ऐसे में अब खबरों के मुताबिक बीजेपी के जिन लोगों के ऊपर इन दंगों को फैलाने के आरोप लगे थे उनको वापस लिया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि बीजेपी सांसद संजीव बालियान और विधायक उमेश मलिक के नेतृत्व में खाप पंचायतों के साथ 5 फरवरी को यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर उन्हें 179 केस की लिस्ट सौंपकर वापस कराने की मांग की थी। इस मीटिंग में सीएम ने उनको आश्वासन दिया था कि जल्द इसके लिए कुछ करेंगे। वहीं, अब इसके बाद से हरकत में आई सरकार ने मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया शुरू भी की है। वहीं, 23 फरवरी को यूपी के कानून विभाग ने मुजफ्फरनगर और शामली के डीएम को पत्र लिखकर 131 मामलों का ब्योरा मांगा।
गौरतलब है कि सितंबर 2013 में हुए इन दंगों में कम से कम 62 लोग मारे गए थे। मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने मुजफ्फरनगर और शामली थानों में करीब 1,455 लोगों के खिलाफ 503 मामले दर्ज कराए थे। जिसके कई बीजेपी से जुड़े लोग भी थे।