याकूब मेमनः एक ऐसा आतंकवादी जिसने पाकिस्तान को बेनकाब करने में भारत की मदद की!
By आदित्य द्विवेदी | Published: July 30, 2018 07:41 AM2018-07-30T07:41:01+5:302018-07-30T13:03:10+5:30
Yakub Memon Birth and Death Anniversary:1993 के मुंबई बम धमाकों के जुर्म में याकूब मेमन को उसके जन्मदिन के दिन 30 जुलाई को ही फांसी पर लटकाया गया। याकूब के आखिरी के शब्द थे, 'यदि वो मुझे मेरे भाई के गुनाहों के लिए सजा दे रहे हैं तो मुझे कबूल है। अगर उनको लगता है कि मैं गुनाहगार हूं और सजा दे रहे हैं तो यह गलत है। मैं बेकसूर हूं।'
12 मार्च 1993। भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में शुक्रवार की एक अलसाई दोपहर थी। लोग अपने कामों में मशगूल थे तभी मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में 1.30 बजे एक जोरदार धमाका हुआ। आनन-फानन में मौके पर पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची। घटनास्थल की घेरेबंदी करके बचाव कार्य चल रहा था। धमाके के कारणों की जांच-पड़ताल चल रही थी 2.15 बजे पर एक और मस्जिद बंदर में नरसीनाथ गली में दूसरा धमाका हुआ। प्रशासन उधर दौड़ा तो 15 मिनट बाद 2.30 बजे पर शिवसेना भवन के पास एक धमाका हुआ। मुंबई पुलिस और बमरोधी दस्तों के वायरलेस घनघना उठे।
पूरी मुंबई भयावह आतंकी हमलों की चपेट में थी। 2 घंटे 10 मिनट के अंतराल में मुंबई के अलग-अलग हिस्सों में बम धमाकों की झड़ी लग गई। एक के बाद एक 12 बम धमाकों ने 257 लोगों की जान ले ली और 700 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए। मुंबई पुलिस कमिश्नर अमरजीत सिंह सामरा ने शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह आतंकी हमला था जिसके पीछे दाऊद इब्राहिम का दिमाग है। इन धमाकों को इब्राहिम मुश्ताक अब्दुल रज्जाक उर्फ टाइगर मेमन और इसके भाइयों ने अंजाम दिया। जिसमें याकूब मेमन भी शामिल था।
यहीं से शुरू होती है एक ऐसे आतंकवादी की कहानी जिसने मुंबई हमलों के पीछे पाकिस्तान की भूमिका को बेनकाब करने में मदद की।
21 जुलाई 1994 की सुबह यूसुफ मोहम्मद अहमद नाम का सूट-बूट वाला एक बिजनेसमैन काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर पहुंचा। ये याकूब मेमन की नई पहचान थी। उसके दिमाग में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी। मुंबई धमाकों के बाद पिछले सात महीनें उसने बड़ी मुसीबत में गुजारे थे। मुंबई बम धमाकों वाले दिन याकूब समेत पूरा मेमन परिवार दुबई में था। भारत के प्रत्यर्पण के दबाव के बीचे उन्हें पाकिस्तान भेज दिया गया। जहां आईएसआई अधिकारियों के संरक्षण में उन्हें करांची के घर में रखा गया। वहां नया पहचान पत्र और पाकिस्तान का पॉसपोर्ट बना दिया गया। इस दौरान याकूब मेमन बैंकॉक और दुबई भी गया लेकिन आईएसआई के अधिकारी उसके साथ थे। याकूब मेमन को एहसास हुआ कि वो एक तरीके की कैद में है। उसने अपने माता-पिता और पत्नी की चिंता थी। वो अपने बच्चों को डर की जिंदगी नहीं देना चाहता था।
24 जुलाई 1994 की सुबह याकूब होटल से काठमांडू एयरपोर्ट पहुंचा। वो करांची जाने वाली फ्लाइट में सवार होने ही वाला था कि सुरक्षा जांच में उसके पास से दो पॉसपोर्ट बरामद हुए। नेपाल पुलिस ने इंटरपोल और भारतीय अधिकारियों को सूचना दी। 28 जुलाई को उसे भारत लाया गया और सीबीआई ने पूछताछ शुरू की। इस कहानी को याकूब मेमन लगातार दोहराता रहा। हालांकि भारत और नेपाल ने याकूब मेमन की इस बात को नकार दिया।
भारतीय अधिकारियों ने बताया कि 5 अगस्त की सुबह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उसे गिरफ्तार किया गया है। उसके पास से दो पासपोर्ट और कई कागजात बरामद किए गए हैं। कुछ देर बाद गृहमंत्री एसबी चवन ने लोकसभा में याकूब मेमन की गिरफ्तारी की घोषणा की। उन्होंने कहा कि याकूब के पास से ऐसे सबूत मिले हैं जो मुंबई बम धमाकों में पाकिस्तान की भूमिका जाहिर करते हैं। याकूब मेमन को पटियाला हाउस कोर्ट ले जाया गया जहां जज के सामने याकूब ने कहा कि मुंबई धमाकों में टाइगर मेमन के परिवार के किसी सदस्य का हाथ नहीं था। उसे 30 दिनों की सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया।
याकूब मेमन ने बताया कि मुंबई धमाकों के दो दिन पहले टाइगर मेमन उन्हें दुबई लेकर चला गया था। दुबई से वो पाकिस्तान के कराची गए जहां उन्हें आईएसआई के अधिकारियों ने रिसीव किया। उन्हें कराची के एक घर में रखा गया। सभी को पाकिस्तान का पासपोर्ट और नए पहचान पत्र जारी किए गए। पाकिस्तानी पासपोर्ट पर वो बैंकॉक और दुबई भी गए। पाकिस्तान में टाइगर मेमन ने 60 लाख का एक बड़ा फ्लैट भी खरीदा।
याकूब मेमन ने कबूला कि मुंबई धमाकों के पीछे पाकिस्तान की आईएसआई का बड़ा हाथ है। याकूब मेमन ने अंतर्राष्ट्रीय जगत में पाकिस्तान को बेनकाब किया। याकूब मेमन के प्रयासों से मेमन परिवार के कई अन्य सदस्यों को भी वापस भारत बुलाया जा सका। लेकिन मुंबई ब्लॉस्ट में मेमन के शामिल ना होने के बयान संदिग्ध साबित हिए। याकूब को टाडा कोर्ट ने 27 जुलाई 2007 को मौत की सजा सुनाई। याकूब मेमन को 30 जुलाई 2015 को नागपुर जेल में फांसी पर लटका दिया गया। उसे बचान के लिए सुप्रीम कोर्ट में आधी रात तक सुनवाई हुई थी।
याकूब मेमन के बारे में कुछ तथ्यः-
- याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन का जन्म 30 जुलाई 1962 को मुंबई में हुआ था।
- याकूब पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट था।
- 1993 मुंबई बम धमाकों के मुख्य आरोपी टाइगर मेमन का छोटा भाई था।
- याकूब पर धमाके की साजिश के लिए पैसे जुटाने का आरोप था।
- 2013 में याकूब ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया।
- 30 जुलाई 2015 को याकूब मेमन को नागपुर में जेल में फांसी दी गई।
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