जम्मू: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में हिमालय की तलहटी में पाए जाने वाले उर्दू भाषा में 'गुच्छी' और चिनाब घाटी के स्थानीय कश्मीरी में 'काइच' नाम के एक जंगली मशरूम को अगले दो से तीन महीनों के भीतर भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्राप्त होने की उम्मीद है। जीआई टैग एक मान्यता है जो किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले और अद्वितीय गुणों वाले उत्पाद की पहचान करता है।
गुच्छी दुनिया का सबसे महंगा मशरूम है, जिसकी कीमत 30,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये प्रति किलो तक है। प्राकृतिक रूप से उगने वाले इस मशरूम को एक सुपरफूड माना जाता है क्योंकि यह विटामिन बी, सी, डी और के से भरपूर होता है। इसमें स्पंजी बनावट, दिलकश स्वाद और छत्ते जैसी संरचना होती है।
गुच्छी- जंगली मशरूम कहां पाया जाता है?
गुच्छी एक जंगली मशरूम है जो प्राकृतिक रूप से हिमालय की अल्पाइन ट्री लाइन अर्थात वृक्ष रेखा पर उगती है। इसे माना गया हे कि गुच्छी की खेती के लिए अभी तक कोई मानक वैज्ञानिक तकनीक नहीं है। यह अखनूर में चिनाब नदी के किनारे भी पाया जाता है। मशरूम बड़े पैमाने पर जम्मू कश्मीर के राजौरी, पुंछ, डोडा, किश्तवाड़, कुपवाड़ा और रामबन जिलों में पाया जाता है।
जम्मू शिवालिक में स्थानीय आबादी, स्वयं सहायता समूहों और आदिवासियों को मशरूम संग्रह, प्रसंस्करण तकनीक और बाजार ज्ञान के बारे में औपचारिक प्रशिक्षण और निर्देश दिए जा रहे हैं। इस पहल से स्थानीय लोगों को गुच्ची इकट्ठा करके और बाजार में बेचकर आजीविका कमाने में मदद मिलेगी।
गुच्छी को जीआई टैग मिलने से होगा बड़ा फायदा
गुच्छी के लिए जीआई टैग अगले दो से तीन महीनों में स्वीकृत होने की उम्मीद है, जो मशरूम के अद्वितीय गुणों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा और अन्य क्षेत्रों या देशों द्वारा इसके दुरुपयोग को रोकेगा। जीआई टैग मिलने से गुच्छी का बाजार मूल्य भी बढ़ेगा, जिससे स्थानीय लोगों को फायदा होगा जो इसे इकट्ठा करते हैं और बेचते हैं।
गुच्छी के लिए जीआई टैग की मंजूरी जम्मू कश्मीर के डोडा जिले के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी, क्योंकि यह मशरूम के अद्वितीय गुणों को पहचानेगा और इसके बाजार मूल्य को बढ़ावा देगा।