World Environment Day 2018: भारत में रोजाना निकलता है 24,940 टन कचड़ा, कूड़ा निकालने में दिल्ली सबसे आगे

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 5, 2018 08:20 AM2018-06-05T08:20:36+5:302018-06-05T08:20:36+5:30

सीएसआईआर के रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015-16 में लगभग 900 किलो टन प्लास्टिक बोतल का उत्पादन हुआ था।

World Environment Day 2018: 24,940 tonnes of garbage daily in India, Delhi on top | World Environment Day 2018: भारत में रोजाना निकलता है 24,940 टन कचड़ा, कूड़ा निकालने में दिल्ली सबसे आगे

World Environment Day 2018: भारत में रोजाना निकलता है 24,940 टन कचड़ा, कूड़ा निकालने में दिल्ली सबसे आगे

नई दिल्ली, 5 जून: प्लास्टिक प्रदूषण की थीम पर भारत विश्व पर्यावरण दिवस मौके पर ग्रीनपीस इंडिया ने आज प्लास्टिक इस्तेमाल करने वाले कंपनियों को कठोर संदेश देते हुए उनसे मांग किया है कि वे प्लास्टिक कचरे की जिम्मेदारी लें। गौरतलब है कि पैकेजिंग उद्योग सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा उत्पादित करते हैं। इनमें बोतल, कैप, खाने का पैकेट, प्लास्टिक बैग आदि शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक समुद्र को प्रदूषित करे वाले टॉप 5 प्रदूषकों में से चार पैकेजिंग उद्योग से निकलने वाला प्लास्टिक है।

ग्रीनपीस की कैंपेन निदेशक दिया देब ने कहा 'भारत में 24,940 टन प्लास्टिक कचरा प्रतिदिन निकलता है। यह बहुत जरुरी है कि हम एकबार इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक के बारे में सोचें, नहीं तो प्लास्टिक हमारी पूरी पारस्थितिकीय तंत्र को खत्म कर देगा। रि-साईकिल की क्षमता होने के बावजूद कंपनियों द्वारा एकबार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक का बड़ा हिस्सा कचरा ही बनता है। हम जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर 90 प्रतिशत प्लास्टिक को रिसाईकिल ही नहीं किया जाता है और अंत में ये सारा कचरा प्लास्टिक पर्यावरण के लिये नुकसानदेह साबित होता है।'

दिया ने आगे कहा 'चाहे सुपरमार्केट में पैकेजिंग हो या हमारे घर में, प्लास्टिक का इस्तेमाल दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।  अब वक्त आ गया है कि प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ आवाज उठाई जाए। हम एक ऐसी दुनिया में रहे हैं जो प्लास्टिक मुक्त था, और अब वैसी दुनिया बनाने के लिये देश के नागरिकों और समूहों को एकजुट होकर कंपनियों से सवाल पूछना होगा और उनसे इस समस्या से निदान करने की मांग करनी होगी।' ग्रीनपीस लगातार बड़ी कंपनियां से अपने प्लास्टिक पैकेज वाले उत्पादों के बारे में फिर से विचार करने और प्लास्टिक कचरे को 100 प्रतिशत रिसाईकिल करने की लिए प्रतिबद्धता की बात की है।  इसके साथ ही उनका मकसद है कि सरकार को भी प्लास्टिक समर्थक लॉबी के प्रभाव से मुक्त होकर कंपनियों को विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी कानूनों के तहत जिम्मेदार बनाने की जरुरत है।

बोतलों से होता है सबसे ज्यादा कचड़ा, जाने क्या कहते हैं आकड़ें 

बता दें कि भारत में सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा प्लास्टिक बोतलों से ही आता है। सीएसआईआर के रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015-16 में लगभग 900 किलो टन प्लास्टिक बोतल का उत्पादन हुआ था।  वहीं केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की माने तो देश में हर रोज 24,940 टन प्लास्टिक कचरा भारत में उत्पन्न हो रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सभी महानगरों की तुलना में दिल्ली सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा पैदा करने वाला शहर है।  साल 2015 के आंकड़ों की माने तो दिल्ली में 689.52 टन, चेन्नई में 429.39 टन, मुंबई में 408.27 टन, बंगलोर में 313.87 टन और हैदराबाद में 199.33 टन प्लास्टिक कचरा तैयार होता है। ये शहर देश में सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा पैदा करते हैं। वैश्विक रूप से प्लास्टिक के 90 प्रतिशत कचरे को रिसाईकिल नहीं किया जाता है जिससे कि हमारी धरती पर खतरा मंडरा रहा है।

Web Title: World Environment Day 2018: 24,940 tonnes of garbage daily in India, Delhi on top

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