‘क्वारंटीन’, ‘लॉकडाउन’ ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ जैसे शब्द 2020 में बन गए आम बोलचाल का हिस्सा

By भाषा | Updated: January 4, 2021 19:16 IST2021-01-04T19:16:42+5:302021-01-04T19:16:42+5:30

Words like 'quarantine', 'lockdown', 'social distancing' became part of the common lore in 2020 | ‘क्वारंटीन’, ‘लॉकडाउन’ ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ जैसे शब्द 2020 में बन गए आम बोलचाल का हिस्सा

‘क्वारंटीन’, ‘लॉकडाउन’ ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ जैसे शब्द 2020 में बन गए आम बोलचाल का हिस्सा

(कुणाल दत्त)

नयी दिल्ली, चार जनवरी कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में ‘क्वारंटीन’ से लेकर ‘लॉकडाउन’, ‘कंटेनमेंट जोन’ और ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ जैसे शब्दों का जमकर इस्तेमाल हुआ तथा 2020 में यह आम लोगों की बोलचाल का हिस्सा बन गया।

चीन के वुहान शहर में कोविड-19 का पहला मामला सामने आने के बाद महामारी के दौरान दुनिया में इन शब्दों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ।

प्रथम विश्व युद्ध के ठीक बाद 1918-19 में दुनिया में दस्तक देने वाली महामारी ‘स्पेनिश फ्लू’ के समय भी कई शब्द चलन में आए थे।

‘क्वारंटीन’, ‘सैनेटाइजेशन’, ‘कंटेनमेंट जोन’ या ‘हॉटस्पॉट’ जैसे शब्द चिकित्सा क्षेत्र या सेना से जुड़ी गतिविधियों में इस्तेमाल होते रहे हैं लेकिन मुख्य रूप से इन क्षेत्रों के विशेषज्ञ ही इसका इस्तेमाल करते थे।

हालांकि, कोविड-19 के प्रसार के बाद ये तकनीकी शब्द खासकर ‘क्वारंटीन’ और ‘सैनेटाइजेशन’ भी आम बोलचाल का हिस्सा बन गए।

राज्यों और केंद्र सरकार के प्राधिकारों द्वारा जारी स्वास्थ्य बुलेटिनों और परामर्श के अलावा मीडिया में भी इन शब्दों का धड़ल्ले से प्रयोग हुआ।

लोकप्रियता के हिसाब से और लिखित तथा बाचतीत में इन शब्दों के इसतेमाल के आधार पर ही कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने ‘क्वारंटीन’ को 2020 का साल का शब्द करार दिया जबकि कोलिंस शब्दकोश ने ‘लॉकडाउन’ को वर्ष का शब्द बताया।

भारत सरकार ने मार्च के बाद से ‘लॉकडाउन 1.0’, ‘लॉकडाउन 2.0’ और इसके बाद ‘अनलॉक’ शब्दों का इस्तेमाल किया।

लंदन से लखनऊ और वाशिंगटन से वारंगल तक ये शब्दावली आम बोलचाल में शामिल हो गयी और मास्क पहनना, सैनेटाइजर की बोतल रखना या ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ बनाकर रखना जीवनशैली का हिस्सा बन गया।

लोगों के अलग-थलग रहने के लिए ‘सेल्फ आइसोलेशन’ या ‘आइसोलेशन’ शब्द का भी इस्तेमाल हुआ। महामारी के दौरान संक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार की रणनीतियों के दौरान ‘होम आइसोलेशन’ शब्द को स्वीकार्यता मिली।

अपोलो अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट सुरनजीत चटर्जी ने कहा कि स्पेनिश फ्लू के दौरान भी इसी तरह के कदम उठाए गए थे और ‘स्टे एट होम’ यानि घर पर रहने के आदेश जारी किए गए थे ताकि लोग संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में ना आएं।

उन्होंने कहा, ‘‘जागरूकता फैलाने के लिए बड़े बड़े पोस्टर और बैनर बनाए जाते थे। आज टीवी और सोशल मीडिया के जरिए लोगों को बताना आसान है लेकिन महामारी के कारण ये तकनीकी शब्दावली भी बिल्कुल चलन में आ गयी।’’

‘कंटेनमेंट जोन’ या ‘हॉटस्पॉट’ जैसे शब्द उन क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया गया जहां कम से कम तीन संक्रमित लोग मिले जबकि संक्रमण रोकने के वास्ते लोगों के बीच उचित दूरी बनाए रखने के लिए ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ शब्द का प्रयोग किया गया।

महामारी की शुरुआत में ट्विटर पर ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ के लिए कुछ लोगों ने हिंदी के शब्द ‘तन दूरी’ का भी इस्तेमाल किया।

वाट्सऐप वीडियो कॉल का भी इस्तेमाल जोर पकड़ने लगा और जूम के जरिए कक्षाओं में पढ़ाई की शुरुआत हुई। अदालतों में सुनवाई डिजिटल तरीके से होने लगी, और सेमिनार की जगह ‘वेबिनार’ राय रखने का नया मंच बन गया।

महामारी के दौरान जब लोग घरों तक सीमित हो गए, बाहरी दुनिया से संपर्क के लिए वीडियो कॉल और इंटरनेट के जरिए एक-दूसरे से रूबरू होने और हाथ मिलाने के बजाए अभिवादन के लिए ‘नमस्ते’ का चलन जोर पकड़ने लगा।

महामारी से मुकाबले के दौरान वर्ष 2020 में ये शब्द बोलचाल का हिस्सा बन गए और 2021 तथा लंबे समय तक ये चलन में रहेंगे।

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Web Title: Words like 'quarantine', 'lockdown', 'social distancing' became part of the common lore in 2020

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