राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के विरोध के चलते 27 सालों तक लटका रहा महिला आरक्षण बिल
By एस पी सिन्हा | Published: September 19, 2023 05:13 PM2023-09-19T17:13:57+5:302023-09-19T17:15:20+5:30
दरअसल, मनमोहन सरकार के पहले कार्यकाल यानि 2004 से 2009 तक लालू यादव उस सरकार में मंत्री थे।

फोटो क्रेडिट- ट्विटर
पटना: केन्द्र सरकार ने नए संसद भवन में महिला आरक्षण बिल को पेश कर दिया है लेकिन केन्द्र सरकार के द्वारा संसद में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिए जाने के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के उस बयान की चर्चा होने लगी है।
जब 2010 में लालू यादव अपनी जनसभा से लेकर संसद के भीतर भाषणों में यह ऐलान करते थे कि मेरी लाश पर महिला आरक्षण बिल पास होगा।
संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने का बिल राजनीतिक डकैती है, इसे कभी पास नहीं होने देंगे। 27 सालों तक लालू यादव और उनकी जमात के तीन नेताओं ने महिला आरक्षण बिल को पास नहीं होने दिया। लेकिन अब नरेंद्र मोदी सरकार इस बिल को पारित कराने जा रही है।
दिलचस्प बात तो यह है कि इस बिल को सबसे पहले कांग्रेस और नीतीश कुमार की पार्टी ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या लालू प्रसाद यादव इन दोनों पार्टियों ने अपना नाता तोड़ लेंगे? जिस महिला आरक्षण बिल को उन्होंने 27 सालों तक रोके रखा, वह कांग्रेस और जदयू के समर्थन से पास होने जा रहा है।
क्या अब बेटे को सेट करने के लिए लालू प्रसाद यादव पुराना सारा इतिहास भूल गए? बताया जाता है कि केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 8 मार्च 2010 को राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक को पेश किया था। 8 मार्च 2010 को राज्यसभा में राजद के सांसद राजनीति प्रसाद ने बिल को फाड़कर सभापति हामिद अंसारी पर फेंक दिया था।
राजद के एक और सांसद सुभाष यादव ने सदन के भीतर जमकर उत्पात मचाया था। राजद और सपा के सांसद सभापति की मेज पर चढ़ गए थे और माइक उखाड़ दिया था। आखिरकार सभापति हामिद अंसारी ने मार्शल को बुलाकर राजद और सपा के 7 सांसदों को सदन से बाहर कराया और तब 9 मार्च 2010 को बिल पास कराया गया।
लेकिन यूपीए सरकार लालू यादव और मुलायम सिंह यादव की धमकियों के बाद बिल को लोकसभा से पास कराने से डर गई। लालू यादव ने तब कहा था कि राज्यसभा में पारा मिलिट्री फोर्स मंगवा कर, सीआरपीएफ मंगवा कर हमारे और समाजवादी पार्टी के सांसदों को बाहर फिंकवा दिया।
आओ तो लोकसभा में, हम वहां हैं, फिकवा दोगे? लालू यादव का लाश उठेगा तभी लोकसभा से बिल पास होगा। मार्च 2010 में जब केंद्र की मनमोहन सरकार ने संसद में महिला आरक्षण बिल को पेश किया तो लालू प्रसाद यादव ने इस सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया था।
दरअसल, मनमोहन सरकार के पहले कार्यकाल यानि 2004 से 2009 तक लालू यादव उस सरकार में मंत्री थे। 2009 के चुनाव में उन्हें बेहद कम सीटें आयी तो वे मंत्री नहीं बन सके थे। लेकिन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे थे।
2010 में महिला आरक्षण बिल पर लालू यादव ने कहा था कि ये राजनीतिक डकैती है, हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसलिए यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं। इसके बाद महिला आरक्षण का मामला पिछले 27 सालों से लटका रहा। इस बिल को पास नहीं होने देने में लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव और शरद यादव की तिकड़ी का सबसे बड़ा रोल रहा।