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संसद का शीतकालीन सत्र आज से: आर्थिक सुस्ती और कश्मीर पर घेरेगा विपक्ष, नागरिकता विधेयक की तैयारी में मोदी सरकार

By भाषा | Updated: November 18, 2019 05:25 IST

कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद सहित विपक्षी नेताओं ने जम्मू कश्मीर में फारुक अब्दुल्ला जैसे मुख्यधारा के नेताओं को लगातार हिरासत में रखे जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि वे आर्थिक सुस्ती एवं बेरोजगारी जैसे मुद्दों को सत्र में उठायेंगे। संसद का शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा।

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ठळक मुद्देसोमवार से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र के काफी गर्मागर्म रहने की संभावना है। विपक्षी दल आर्थिक सुस्ती और कश्मीर में स्थिति को लेकर केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में हैं

सोमवार से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र के काफी गर्मागर्म रहने की संभावना है। विपक्षी दल जहां आर्थिक सुस्ती और कश्मीर में स्थिति को लेकर केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में हैं वहीं मोदी सरकार विवादित नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कराना चाहेगी जो भाजपा के वैचारिक एजेंडे का अहम हिस्सा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सर्वदलीय बैठक में अपने औपचारिक संबोधन में कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिये तैयार है। उन्होंने शीतकालीन सत्र को पिछले सत्र की तरह ही कारगर बनाने के लिये प्रोत्साहित किया। पिछले सत्र में संसद से कई अन्य अहम विधेयकों के अलावा जम्मू कश्मीर राज्य के बंटवारे और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने पर सहमति मिली थी।

कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद सहित विपक्षी नेताओं ने जम्मू कश्मीर में फारुक अब्दुल्ला जैसे मुख्यधारा के नेताओं को लगातार हिरासत में रखे जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि वे आर्थिक सुस्ती एवं बेरोजगारी जैसे मुद्दों को सत्र में उठायेंगे। संसद का शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा। भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने पिछले सत्र में खासकर राज्यसभा में जहां सत्ता पक्ष बहुमत में नहीं है, वहां स्वतंत्र क्षेत्रीय दलों और कई विरोधी नेताओं को अपने पाले में कर कई विधेयकों को पारित कराकर विपक्ष को चकित कर दिया था।

हालिया राजनीतिक घटनाक्रमों से कांग्रेस के नेतृत्व वाले समूह का उत्साह बढ़ा है। हाल के विधानसभा चुनावों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन, शिवसेना के साथ भाजपा का संबंध टूटना और आर्थिक सुस्ती पर रिपोर्ट ने हवा का रुख विपक्षी दलों के पाले में कर दिया है। लंबे समय से सहयोगी रही भाजपा के साथ संबंध खत्म होने के बाद महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिये शिवसेना के कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के साथ बातचीत जारी रखने के बीच लोकसभा में उसके 18 सांसदों और राज्यसभा में तीन सदस्यों को अब विपक्ष की पंक्तियों में सीटें आवंटित की गयी हैं।

हालांकि भाजपा अपने विधायी एजेंडे पर संसद की मंजूरी को लेकर आश्वस्त दिख रही है। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में ऊपरी सदन में विपक्ष का बहुमत होने के कारण विधेयकों को पारित कराने में मुश्किल आयी थी। अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय ने विवादित स्थल पर राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसने भाजपा का मनोबल बढ़ाया है।

सरकार ने नागरिकता (संशोधन विधेयक) को इस सत्र में पारित कराने के लिये सूचीबद्ध किया है, जिसका उद्देश्य पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को राष्ट्रीयता प्रदान करना है। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इस विधेयक को पेश किया था लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के चलते इसे पारित नहीं कराया जा सका। विपक्ष ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण बताया।

विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये जाने के कारण संबंधित देश से पलायन करने वाले हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध एवं पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। असम एवं अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध हो रहा है, जहां अधिकतर हिंदू प्रवासी रह रहे हैं।

सरकार की दो अहम अध्यादेशों पर भी स्वीकृति पाने की योजना है। आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2019 में संशोधन को प्रभावी बनाने के लिए सितंबर में एक अध्यादेश जारी किया गया था जिसका उद्देश्य नई एवं घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में कमी लाकर आर्थिक सुस्ती को रोकना और विकास को बढ़ावा देना है।

दूसरा अध्यादेश भी सितंबर में जारी किया गया था जिसमें ई-सिगरेट और इसी तरह के उत्पाद की बिक्री, निर्माण एवं भंडारण पर प्रतिबंध लगाया गया है। लोकसभा चुनाव में मिले अपार जनादेश के साथ सत्ता में वापसी करने वाली भाजपा नीत राजग सरकार का यह इस कार्यकाल में दूसरा संसद सत्र है। संसद के पहले सत्र के दौरान फौरी तीन तलाक की प्रथा को दंडनीय बनाने, राष्ट्रीय जांच एजेंसी को और अधिक शक्तियां देने जैसे कई अहम विधेयक दोनों सदनों में पारित हुए।

इस दौरान जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने और इसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों-जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने का प्रस्ताव भी दोनों सदनों में पारित हुआ। 1952 के बाद से इस सत्र में सबसे अधिक कामकाज हुआ था और 35 विधेयक पारित किये गये। राज्यसभा में कुल 32 विधेयक पारित हुए। दोनों सदनों ने जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने और इसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित करने के प्रस्ताव को भी पारित किया।

शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक अन्य सर्वदलीय बैठक बुलाई थी जिसमें विपक्ष ने कहा कि वह सरकार से आर्थिक सुस्ती, किसानों के संकट, बेरोजगारी और अगस्त में जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा हटाये जाने के बाद की स्थिति पर सरकार से जवाब मांगेगा।

बैठक के बाद मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘उम्मीद है कि यह संसद सत्र भी कामकाज के लिहाज से उत्कृष्ट रहेगा, जहां जन-केंद्रित एवं विकासोन्मुखी मुद्दों पर चर्चा होगी।’’ सत्र के दौरान 26 नवंबर को संविधान दिवस पर दोनों सदनों की एक विशेष संयुक्त बैठक की भी योजना है। 

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