जलवायु परिवर्तनः ला नीना का असर, IMD महानिदेशक बोले-शीत लहर और ज्यादा ठंड की उम्मीद
By भाषा | Published: October 14, 2020 04:27 PM2020-10-14T16:27:23+5:302020-10-14T16:27:23+5:30
मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, ‘‘चूंकि ला नीना की स्थिति कमजोर है, इसलिए हम इस वर्ष ज्यादा ठंड की उम्मीद कर सकते हैं। अगर शीत लहर की स्थिति के लिए बड़े कारक पर विचार करें तो अल नीनो और ला नीना बड़ी भूमिका निभाते हैं।’’
नई दिल्लीः इस वर्ष ला नीना की स्थिति के कारण कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। यह जानकारी बधुवार को भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने दी।
उन्होंने कहा कि यह नहीं समझना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन से तापमान में बढ़ोतरी होती है बल्कि इसके विपरीत इसके कारण मौसम अनियमित हो जाता है। महापात्र ने कहा, ‘‘चूंकि ला नीना की स्थिति कमजोर है, इसलिए हम इस वर्ष ज्यादा ठंड की उम्मीद कर सकते हैं। अगर शीत लहर की स्थिति के लिए बड़े कारक पर विचार करें तो अल नीनो और ला नीना बड़ी भूमिका निभाते हैं।’’
वह राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की तरफ से ‘शीत लहर के खतरे में कमी’ पर आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘शीत लहर की स्थिति के लिए ला नीना अनुकूल होता है जबकि अल नीनो की स्थिति इसके लिए सहायक नहीं होती।’’
महापात्र ने कहा कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार उन राज्यों में शामिल है, जहां शीतलहर के कारण काफी संख्या में मौतें होती हैं। आईएमडी हर वर्ष नवम्बर में शीत लहर का पूर्वानुमान भी जारी करता है जिसमें दिसम्बर से फरवरी के दौरान शीत लहर की स्थिति की जानकारी दी जाती है।
ला नीना प्रशांत महासागर में सतह के जल के ठंडा होने से जुड़ा हुआ है जबकि अल नीनो इसकी गर्मी से जुड़ा हुआ है। समझा जाता है कि दोनों कारकों का भारतीय मॉनसून पर भी असर पड़ता है। उदाहरण के लिए 2020 में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई और इस वर्ष नौ फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई। पिछले वर्ष सर्दी के मौसम के दौरान शीत लहर अधिक लंबा खींचा।