नई दिल्ली, 24 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ( यूआईडीएआई ) से पूछा कि उसे सेवाओं और लाभों के लिए आधार सत्यापन कराने वाले नागरिकों के निजी लेनदेन का 'मेटा डेटा' एकत्रित करने की जरूरत क्यों है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ यूआईडीएआई की इस दलील पर प्रतिक्रिया दे रही थी कि उसने केवल 'सीमित तकनीकी मेटा डेटा' एकत्रित किया।
पीठ आधार और इससे जुड़े 2016 के कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने कहा, 'आप ( यूआईडीएआई ) आधार सत्यापन के जरिये डाले गए लोगों के निजी लेनदेन का मेटा डेटा क्यों रखते हैं।'
'मेटा डेटा' वह डेटा होता है जो अन्य डेटा के बारे में जानकारी देता है। यूआईडीएआई और गुजरात सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी कल पीठ के सामने अपनी दलीलें जारी रखेंगे।