सुब्रमण्यम स्वामी ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू से क्यों कहा, "मोदी सरकार से बर्खास्त हो गये तो मुझे दोष न देना", जानिए पूरा किस्सा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: November 6, 2022 01:21 PM2022-11-06T13:21:42+5:302022-11-06T13:26:54+5:30
सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम सिस्टम के जरिये जजों की नियुक्ति पर सवाल उठाने के लिए कानून मंत्री किरेन रिजिजू का सपोर्ट किया लेकिन साथ में मोदी कैबिनेट के गठन को भी अपारदर्शी बताते हुए रिजिजू पर तीखा व्यंग्य भी कर दिया है।
दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और बेबाक बयानों के लिए सुर्खियों में बने रहने वाले पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम सिस्टम के जरिये जजों की नियुक्ति के सवाल उठाने के लिए कानून मंत्री किरेन रिजिजू का सपोर्ट करते हुए उन्हीं पर तीखा व्यंग्य भी कर दिया है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि वो भी कानून मंत्री रिजिजू की इस बात से पूरी तरह इत्तेफाक रखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता का आभाव है और कई बार कॉलेजियम सिस्टम से होने वाली जजों की नियुक्ति का विरोध भी कर चुका हूं लेकिन उससे बड़ी अपारदर्शी तो मोदी सरकार के कैबिनेट गठन में है, रिजिजू को पहले उसे सही करना चाहिए।
सुब्रमण्यम स्वामी ने बेहद तीखे और चुभने वाले अंदाज में ट्वीट करते हुए कहा, "केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिस्टम "अपारदर्शी" है। मैं एक पूर्व केंद्रीय कानून कैबिनेट मंत्री के रूप में और सैकड़ों बार अदालतों में बहस के दौरान भी यह कह चुका हूं, लेकिन मैं साथ में यह भी कह सकता हूं कि मोदी कैबिनेट सिस्टम कहीं अधिक अपारदर्शी है, तो रिजिजू पहले उसे ठीक करें। लेकिन अगर आपको उस कारण बर्खास्त किया जाता है तो मुझे दोष न दें।"
Union Law Minister Rijiju says SC Collegium System is “opaque”. I as a former Union Law Cabinet Minister and one who has argued in Courts hundreds of times, can state Modi Cabinet System is far more opaque. So Rijiju fix that first. Don’t blame me if you are sacked.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) November 6, 2022
सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम सिस्टम न केवल मोदी सरकार बल्कि हर सरकार के कार्यकाल में विवाद का बड़ा मुद्दा बना रहता है। बीते 18 अक्टूबर को भी कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में जजों की नियुक्ती में सुधार पर बल देते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की निुयुक्ति के लिए प्रयोग में लाये जाने वाली कॉलेजियम सिस्टम बहुत अपारदर्शी है क्योंकि खुद न्यायपालिका के भीतर बहुत आंतरिक टकराव और राजनीति स्थिति बनी रहती है।
संघ की ओर से प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका 'पांचजन्य' द्वारा आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि संविधान देश का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण दस्तावेज है। हमारे लोकतंत्र तीन स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका पर ही खड़ा हैं। दो स्तंभ कार्यपालिका और विधायिका संविधान प्रदत्त अपने कर्तव्यों और अधिकारों में बंधें हुए हैं और कई बार जब वो भटक जाते हैं तो उन्हें सही रास्ते पर लाने का कार्य न्यायपालिका ही करती है लेकिन जब न्यायपालिका अपने रास्ते से भटक जाती है तो उसे सही रास्ते पर लाने का कोई भी उपाय नहीं बचता है।
मालूम हो कि कॉलेजियम सिस्टम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई में बना पैनल जजों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार के पास वकीलों या हाईकोर्ट के जजों के नाम भेजता है। ठीक उसी तरह से केंद्रीय कानून मंत्रालय भी अपनी ओर से कुछ प्रस्तावित नामों को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को भेजती है। सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति पर अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई में बना पैनेल ही करता है और उनके द्वारा सुझाये गये नामों को केंद्र द्वारा मंजूरी देनी ही होती है।