'आखिर सवाल पूछने वाले को क्यों धमका और डरा रहे हैं मोदी', कांग्रेस का केंद्र सरकार पर हमला
By शीलेष शर्मा | Published: June 25, 2020 04:03 PM2020-06-25T16:03:27+5:302020-06-25T20:02:58+5:30
कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा कि क्या यह सच नहीं कि 19 जनवरी 2011 को भारतीय जनता पार्टी के उस वक्त के अध्यक्ष नितिन गडकरी भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल को चीन की पांच दिवसीय यात्रा पर ले गए थे जिसका मक़सद , भाजपा और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संबंधों को और मजबूती देना था मई 2014 में भाजपा की सरकार बनी और नवम्बर 2014 में भाजपा के 13 सांसद व विधायक चीन गए
नई दिल्ली:चीन से सटी भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों की गतिविधियों को लेकर कांग्रेस ने मोदी पर हमला बोलते हुये आरोप लगाया कि देश की अखंडता और चीनी सेना के मंसूबों को लेकर जो भी सरकार से सवाल कर है ,यह सरकार उसको डराने में लगी है ,फिर चाहे सेना के पूर्व अधिकारी हों अथवा राजनैतिक दल। पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने साफ़ किया कि आज देश की सीमाओं पर एक गंभीर चुनौती है।
सरकार के सामने दो विकल्प हैं, या तो पूरे देश को साथ लेकर सेना के पीछे खडे होकर चीन का मुकाबला करें और या शुतुरमुर्ग की तरफ रेत मे सर छुपाकर यह मान लें कि नियंत्रण रेखा पर कोई घुसपैठ हुई ही नहीं। कांग्रेस ने सरकार से 5 सवालों के जबाब मांगे हैं ,साथ ही अपने दावों को सही साबित करने के लिये सैटेलाइट तस्बीरें ज़ारी की। कांग्रेस ने पूछा आर्मी जनरल व सैटेलाईट तस्वीरों द्वारा प्रधानमंत्री जी के हमारी सीमा में घुसपैठ न होने के दावे को क्यों झुठलाया जा रहा है? क्या प्रधानमंत्री जी ने सर्वदलीय बैठक को चीनी घुसपैठ के बारे में झूठ बोला ?
2. क्या चीन द्वारा PP-14 प्वाईंट के साथ नए टैंट लगा कब्जा करना व पैंगोंग त्सो इलाके में फिंगर-4 से फिंगर-8 के बीच नए निर्माण व नए बंकर बनाना भारत की सरजमीं पर नए सिरे से कब्जा करने का चीनी दुस्साहस है? क्या आर्मी जनरलों, रक्षा विशेषज्ञों, सैटेलाईट तस्वीरों व समाचार पत्रों की यह खबर सही है कि चीनी सेना ने गलवान नदी के रिवरबेड पर सैन्य जमावड़ा, सड़क निर्माण, सैन्य वाहनों व बुलडोज़रों को इकट्ठे कर जबरन घुसपैठ के दुस्साहस का माहौल पैदा किया हुआ है?
4. क्या चीन की सेना ने दौलत बेग ओल्डी, डेपसांग सेक्टर व पूर्वी लद्दाख में बख्तरबंद रेजिमेंट व तोपखानों का जमावड़ा बना रखा है?
5. जब भारतीय सेना बहादुरी से देश की सरजमीं की रक्षा के लिए चीनी सैनिकों को PP-14 प्वाईंट, गलवान घाटी सहित पूरे इलाके से चीनियों को खदेड़ने में लगी है, तो प्रधानमंत्री अपने दावों से सेना का मनोबल क्यों गिरा रहे हैं?
लेकिन मोदी सरकार ने एक तीसरा रास्ता चुना, जहां सेवानिवृत सेना अधिकारी, सुरक्षा विशेषज्ञ, विपक्ष, मीडिया कोई भी अगर सरकार से सीमाओं की अखंडता पर प्रश्न पूछे या सरकार को आगाह करें तो उन्हें लाल आंख दिखाई जा रही है और देश के दुश्मन को क्लिन चिट दी जा रही है।
खेड़ा ने भाजपा द्वारा राहुल के एमओयू को लेकर उठाये विवाद पर भाजपा का चिठ्ठा खोलते हुये बताया कि जब राजनाथ सिंह के समय चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का प्रतिनिधि मंडल 30 जनवरी 2007 को उनसे मिलने आया जिसको कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के ऐतिहासिक संबंध हैं। 17 अक्टूबर 2008 को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के महत्वपूर्ण सदस्य फिर राजनाथ से मुलाक़ात करते हैं
जनवरी 2009 में आरएसएस एवं भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के आमंत्रण पर पांच चीन की यात्रा की। जहां अरूणाचल प्रदेश और तिब्बत पर चर्चा की गई। न तो आरएसएस एक राजनीतिक दल है और न भारतीय जनता पार्टी उस समय सत्ता में थी फिर चीन जाकर, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ अरूणाचल प्रदेश और तिब्बत जैसे महत्वूपर्ण विषयों पर चर्चा की जा रही थी। कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा कि क्या यह सच नहीं कि 19 जनवरी 2011 को भारतीय जनता पार्टी के उस वक्त के अध्यक्ष नितिन गडकरी भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल को चीन की पांच दिवसीय यात्रा पर ले गए थे जिसका मक़सद , भाजपा और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के संबंधों को और मजबूती देना था
मई 2014 में भाजपा की सरकार बनी और नवम्बर 2014 में भाजपा के 13 सांसद व विधायक चीन गए , उद्देश्य था दोनों सतारूढ़ दलों को मजबूती देना। यह प्रतिनिधिमंडल चीन के ’द पार्टी स्कूल’भी गये ,यह जानने के लिये कि चीन अपने संघटन और सरकार को कैसे चलाता है।
नरेन्द्र मोदी के चीन से संबंध कोई आज के नहीं जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस वक्त की परिस्थितियों में विश्व के अनेक देश मोदी जी के संपर्क में नहीं आना चाहते थे।लेकिन 2014 के बाद का इतिहास भी सबके सामने है। मोदी बतौर प्रधानमंत्री 5 बार चीन गए और 3 बार चीन के राष्ट्रपति को भारत आमंत्रित किया। 2014 में अहमदाबाद, 2016 में गोवा और 2019 में महाबलिपुरम में। खबरें आ रही हैं कि डोकलाम में चीन ने फिर से जोर शोर से निमार्ण गतिविधियां शुरू कर दी हैं। आज चीन लद्दाख के गलवान घाटी इलाके बहुत आगे तक आ चुका है और सरकार ध्यान नहीं दे रही है , उल्टे सवाल पूछने या आगाह करने वाले को डराया ,धमकाया जा रहा है।