मध्य प्रदेश में ज्यादा मत प्रतिशत मिलने के बाद भी हारी बीजेपी, जानें क्या है वजह
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 12, 2018 07:12 PM2018-12-12T19:12:30+5:302018-12-12T19:12:30+5:30
बीजेपी में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लड़े गए चुनाव में 2013 में 165 विधायक जीते थे, इस बार उनकी संख्या 109 रह गई है।
राम कुमार भारती
मध्यप्रदेश की 230 सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं। यानी बहुमत के लिए 116 सीटें चाहिए। यह कांग्रेस के लिए काफी बड़ी बढ़त है। पांच साल पहले 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 58 सीटें मिली थीं, यानी उसे 56 सीटों का फायदा हुआ है। वहीं, भाजपा में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लड़े गए चुनाव में 2013 में 165 विधायक जीते थे, इस बार उनकी संख्या 109 रह गई है। खास बात यह है कि भाजपा को 56 सीटों का नुकसान हुआ, जबकि कांग्रेस को इतनी सीटों का फायदा हुआ है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा को 41 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 40।9 प्रतिशत। यानी दोनों के बीच 0।1 प्रतिशत का अंतर है। इसका मतलब है कि भाजपा को कांग्रेस से कुछ ज्यादा वोट मिले हैं, लेकिन सीटें कांग्रेस को अधिक मिली हैं, इसकी वजह ये है कि कुछ सीटों पर कांग्रेस के वोट ज्यादा थे, लेकिन पूरे राज्य में भाजपा को कुल वोट ज्यादा मिले हैं।
आयोग के आंकड़ें बता रहे हैं, इस बार मध्य प्रदेश में भाजपा को एक करोड़ 56 लाख 42 हजार 980 वोट मिले हैं। जबकि कांग्रेस को एक करोड़ 55 लाख 95 हजार 153 वोट मिले। मतलब भाजपा को कांग्रेस से पूरे राज्य में 47 हजार 827 वोट ज्यादा मिले हैं, यही है 0।1 प्रतिशत का अंतर। यानी कांग्रेस को 4।6 प्रतिशत वोटों का फायदा हुआ है, जबकि 2013 के मुकाबले भाजपा के वोटों में 3।78 प्रतिशत की गिरावट आई है।
राजस्थान में भी कांग्रेस की गाड़ी 99 पर रुक गई
मध्य प्रदेश की ही तरह राजस्थान में भी कांग्रेस बहुमत के आंकड़े को अपने दम पर नहीं छू पाई है। राजस्थान विधानसभा में 200 सीटें हैं, यानी बहुमत के लिए 101 सीटें चाहिए,लेकिन कांग्रेस की गाड़ी 99 पर रु क गई है। राजस्थान में भी कांग्रेस और भाजपा को मिले कुल वोटों में अंतर काफी कम है।
भाजपा को 38।8 प्रतिशत वोट मिले हैं जबकि कांग्रेस को 39।3, यहां भी कुल वोटों का अंतर 1 प्रतिशत से कम है। पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस के वोट 6।2 प्रतिशत बढ़े हैं, इस वजह से उसे 78 सीटों का फायदा हुआ है, पिछली बार उसे महज 21 सीटों से संतोष करना पड़ा था। दूसरी ओर भाजपा को 2013 के मुकाबले, 6।4 प्रतिशत का नुकसान हुआ है।
इस नुकसान का मतलब है कि उसकी सीटों की संख्या में भारी गिरावट आई है, 2013 में 163 सीटें जीतने वाली भाजपा 73 पर सिमट गई है, यानी उसने 90 सीटें गंवा दी हैं। भाजपा के नुकसान की एक बड़ी वजह निर्दलीय और छोटे दल हैं, उनकी संख्या 21 तक जा पहुंची है। पिछले चुनाव में संख्या 16 थी।