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शिवसेना किसकी? उद्धव ठाकरे गुट को सुप्रीम कोर्ट से राहत, चुनाव आयोग को शिंदे की याचिका पर अभी फैसला नहीं लेने का निर्देश

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 4, 2022 13:59 IST

शिवसेना पर किसका अधिकार होगा, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से उद्धव ठाकरे गुट को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने चुनाव आयोग को फिलहाल इस संबंध में फैसला नहीं लेने का निर्देश दिया है।

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ठळक मुद्देचीफ न्यायाधीश एनवी रमण, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ कर रही है सुनवाई।महाराष्ट्र के हाल के राजनीतिक संकट से संबंधित मामलों को संविधान पीठ के पास भेजने पर विचार, सोमवार को होगा फैसला।इससे पहले चुनाव आयोग ने 8 अगस्त तक शिंदे और ठाकरे पक्षों से पार्टी पर अधिकार को लेकर सबूत मांगे थे।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट को बड़ी राहत देते हुए निर्वाचन आयोग को अभी एकनाथ शिंदे धड़े की उस याचिका पर कोई फैसला नहीं लेने का निर्देश दिया, जिसमें कहा गया है कि उसे ही असली शिवसेना माना जाए और पार्टी का चुनावी चिह्न दिया जाए। 

चीफ न्यायाधीश एनवी रमण, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि वह महाराष्ट्र के हाल के राजनीतिक संकट से संबंधित मामलों को संविधान पीठ के पास भेजने पर सोमवार तक फैसला लेगी।

शिंदे गुट से सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सवाल 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गुरुवार को चीफ जस्टिस एनवी रमण ने शिंदे गुट से अहम सवाल पूछे और कहा कि 'चुनाव के बाद अगर आप राजनीतिक दलों की पूरी तरह अनदेखी कर रहे हैं तो क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा नहीं है।' इस पर शिंदे खेमे का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने जवाब दिया- नहीं।

पीठ ने कहा, ‘हम इस पर फैसला लेंगे कि मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजा जाए या नहीं।’ कोर्ट ने महाराष्ट्र में हाल के राजनीतिक संकट के दौरान शिवसेना और उसके बागी विधायकों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। 

इस संकट से राजनीतिक दलों में विभाजन, विलय, दल बदल और अयोग्य करार देने समेत संवैधानिक मुद्दे पैदा हुए हैं। बता दें कि शिवसेना पर अधिकार की लड़ाई के बीच चुनाव आयोग ने 8 अगस्त तक दोनों पक्षों से सबूत मांगे थे, जिसके बाद मामले की सुनवाई होनी थी।

शिंदे ने चुनाव आयोग के सामने क्या दिए हैं तर्क

एकनाथ शिंदे ने तर्क दिया है कि वह असली शिवसेना है। शिंदे का कहना है कि 15 विधायकों का एक समूह 39 के समूह को विद्रोही नहीं कह सकता है। शिंदे के नेतृत्व वाले गुट ने स्वयं को असली शिवसेना के तौर पर मान्यता दिए जाने का अनुरोध किया है। 

शिंदे गुट ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर उसे लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में दी गई मान्यता का हवाला देते हुए शिवसेना का चुनाव चिह्न आवंटित करने की मांग की थी। इसके बाद उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

पीठ के पास महाराष्ट्र के हालिया राजनीतिक संकट से जुड़ी छह याचिकाएं लंबित हैं। इस राजनीतिक संकट के कारण राज्य में सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी और एकनाथ शिंदे शिवसेना के अन्य बागी विधायकों और भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बन गए।

(भाषा इनपुट)

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