बाबरी मस्जिदः छह दिसंबर 1992 को राजेश पायलट पीएम से मिलने गए थे, लेकिन राव सो रहे थेः पुस्तक

By भाषा | Published: July 11, 2019 05:26 PM2019-07-11T17:26:54+5:302019-07-11T17:26:54+5:30

राव कैबिनेट में राज्यमंत्री रहे सलमान खुर्शीद ने अपनी पुस्तक ‘‘विजिबिल मुस्लिम, इनविंसीबल सिटिजन: अंडरस्टैंडिंग इस्लाम इन इंडियन डेमोक्रेसी’’ में इस बात का जिक्र किया है। मस्जिद ढहने के तुरंत बाद देश के कई भागों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे।

When Rajesh Pilot’s ideas on dispersing crowd at Ayodhya remained stillborn! | बाबरी मस्जिदः छह दिसंबर 1992 को राजेश पायलट पीएम से मिलने गए थे, लेकिन राव सो रहे थेः पुस्तक

खुर्शीद ने कहा, ‘‘फिर हम यह पूछने के लिए वापस पायलट के पास पहुंचे कि हमें क्या करना चाहिए।

Highlightsखुर्शीद ने पुस्तक में कहा है कि मस्जिद ढहने से कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया था।वह इस बात पर सहमत हुए कि अगर कुछ कनिष्ठ मंत्री प्रधानमंत्री को तैयार करें तो वह फैजाबाद जाएंगे।

एक नई पुस्तक में कहा गया है कि छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के समय आंतरिक सुरक्षा के प्रभारी रहे राजेश पायलट उस दिन अयोध्या में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से मिलने गये थे लेकिन उनके ‘‘विचार पर अमल नहीं हो पाया’’ क्योंकि राव सो रहे थे।

उस समय राव कैबिनेट में राज्यमंत्री रहे सलमान खुर्शीद ने अपनी पुस्तक ‘‘विजिबिल मुस्लिम, इनविंसीबल सिटिजन: अंडरस्टैंडिंग इस्लाम इन इंडियन डेमोक्रेसी’’ में इस बात का जिक्र किया है। मस्जिद ढहने के तुरंत बाद देश के कई भागों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे।

खुर्शीद ने पुस्तक में कहा है कि मस्जिद ढहने से कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया था। खुर्शीद ने याद किया, ‘‘ छह दिसंबर की रात को, मैं कुछ कदम उठाने का अनुरोध करने के लिए राजेश पायलट के पास गया था क्योंकि स्थल के आस पास भीड़ निरंतर बढती जा रही थी। वह इस बात पर सहमत हुए कि अगर कुछ कनिष्ठ मंत्री प्रधानमंत्री को तैयार करें तो वह फैजाबाद जाएंगे।’’

उन्होंने पुस्तक में लिखा, ‘‘मैं (सी के) जाफर शरीफ के पास गया ताकि वह प्रधानमंत्री को कॉल करें। उन्होंने कॉल किया और प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि हम प्रधान सचिव ए एन वर्मा या गृह सचिव के संपर्क में रहें जिनके शीघ्र ही उत्तर प्रदेश पहुंचने की संभावना थी।’’ वर्मा ने कुछ सवाल पूछे और यह स्पष्ट नहीं था कि दौरे पर तुरंत जा सकते हैं या नहीं।

खुर्शीद ने कहा, ‘‘फिर हम यह पूछने के लिए वापस पायलट के पास पहुंचे कि हमें क्या करना चाहिए। घड़ी की सुइयां आगे बढ़ रही थीं, शरीफ के आवास पर अंतिम दौर में हमें जवाब मिल गया लेकिन जब उन्होंने प्रधानमंत्री को फिर से फोन किया तो वह सो रहे थे।’’ उन्होंने कहा कि अगले दिन, अर्द्धसैनिक बलों ने ज्यादातर भीड़ को वहां से हटा दिया क्योंकि ऐसा स्पष्ट रूप से लग रहा था कि उनकी छत गिराने की योजना है। 

Web Title: When Rajesh Pilot’s ideas on dispersing crowd at Ayodhya remained stillborn!

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