यह कैसा दलील दे रहे हैं, जो अपराधी भाग रहा है, उसे आप पकड़िए, उसे देश से भागने क्यों दे रहे हैंः सुप्रीम कोर्ट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 23, 2019 02:21 PM2019-10-23T14:21:39+5:302019-10-23T14:21:39+5:30

पीठ ने कहा,  ‘‘इस समय हमारे लिये यह संकेत देना जरूरी है कि हम सालिसीटर जनरल की इस दलील को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि आर्थिक अपराधियों के ‘‘भागने के जोखिम’’ को एक राष्ट्रीय चलन के रूप में देखा जाना चाहिए और उनके साथ उसी तरह पेश आना चाहिए क्योंकि चुनिन्दा अन्य अपराधी देश से भाग गये हैं।’’

What kind of arguments are you giving, you catch the criminal who is running, why are you letting him escape from the country: Supreme Court | यह कैसा दलील दे रहे हैं, जो अपराधी भाग रहा है, उसे आप पकड़िए, उसे देश से भागने क्यों दे रहे हैंः सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा कि किसी आरोपी के भागने के जोखिम का आकलन असंबद्ध मामलों से प्रभावित हुये बगैर ही मामले विशेष के आधार पर करना होगा।

Highlightsन्यायालय ने आर्थिक अपराधियों के ‘भागने के जोखिम’ को राष्ट्रीय चलन’ बताने की सीबीआई की दलील ठुकराई।आचरण की वजह से एक आरोपी को जमानत देने से इंकार करने का कोई एक समान फार्मूला नहीं हो सकता है।

उच्चतम न्यायालय ने आर्थिक अपराधियों को को ‘भागने के जोखिम’ को ‘राष्ट्रीय चलन’ बताने की सीबीआई की दलील ठुकराते हुये कहा कि विजय माल्या सहित कई ऐसे व्यक्तियों के देश से भाग जाने की वजह से ही इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

शीर्ष अदालत ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को जमानत देते हुये कहा कि अन्य अपराधियों के आचरण की वजह से एक आरोपी को जमानत देने से इंकार करने का कोई एक समान फार्मूला नहीं हो सकता है।

न्यायमूर्ति आर भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा,  ‘‘इस समय हमारे लिये यह संकेत देना जरूरी है कि हम सालिसीटर जनरल की इस दलील को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि आर्थिक अपराधियों के ‘‘भागने के जोखिम’’ को एक राष्ट्रीय चलन के रूप में देखा जाना चाहिए और उनके साथ उसी तरह पेश आना चाहिए क्योंकि चुनिन्दा अन्य अपराधी देश से भाग गये हैं।’’

पीठ ने कहा कि किसी आरोपी के भागने के जोखिम का आकलन असंबद्ध मामलों से प्रभावित हुये बगैर ही मामले विशेष के आधार पर करना होगा। पीठ ने कहा कि उसकी राय में दूसरे अपराधियों के आचरण की वजह से हमारे समक्ष आये मामले में जमानत देने से इंकार करने का यह आधार नहीं हो सकता, यदि पेश मामले में मेरिट के आधार पर व्यक्ति जमानत का हकदार है।

न्यायालय ने आगे कहा कि अत: हमारी राय में ‘भागने के जोखिम’ सहित अन्य बिन्दुओं से किसी दूसरे मामलों से प्रभावित हुये बगैर ही विचार करना चाहिए और वह भी ऐसी स्थिति में जब यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सवाल हो। शीर्ष अदालत ने पी चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज करने के 30 सितंबर के फैसले को निरस्त करते हुये अपने निर्णय में ‘भागने के जोखिम’ की सीबीआई की दलील अस्वीकार करते हुये ये टिप्पणियां कीं।

मेहता ने अपनी दलील में कहा था, ‘‘हम इस व्यक्ति के साथ किसी अन्य की तुलना नहीं कर रहे हैं लेकिन इनमें से ही एक तो संसद सदस्य था।’’ निश्चित ही मेहता का इशारा विजय माल्या के बारे था जिन पर बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपए बकाया था और वह 2016 में विदेश भाग गया था।

पीठ ने अपने 27 पेज के फैसले में कहा, ‘‘अपीलकर्ता के ‘भागने का जोखिम’ नहीं है और जमानत की शर्तो के मद्देनजर उसके सुनवाई से भागने की संभावना नहीं है।’’ साथ ही उसने सीबीआई की वह याचिका भी खारिज कर दी जिसमें उच्च न्यायालय के इस निष्कर्ष को चुनौती दी गयी थी जिसमें कहा गया था कि चिदंबरम के भागने का खतरा और साक्ष्यों से छेड़छाड़ की भी संभावना नहीं है।

केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने भ्रष्टाचार के मामले में चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। जांच ब्यूरो ने यह मामला 15 मई, 2017 को दर्ज किया था। यह मामला 2007 मे वित्त मंत्री के रूप में पी चिदंबरम के कार्यकाल में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया को 305 का विदेशी निवेश प्राप्त करने की मंजूरी में हुयी कथित अनियमित्ताओं से संबंधित है। सीबीआई द्वारा प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद ही प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन का मामला दर्ज किया था। पूर्व केन्द्रीय मंत्री इस समय प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं। 

Web Title: What kind of arguments are you giving, you catch the criminal who is running, why are you letting him escape from the country: Supreme Court

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