West Bengal Panchayat Election: बंगाली होने के नाते, सिर शर्म से झुका और हर किसी को शर्मिंदा होना चाहिए, 2023 में भी हम हिंसा संस्कृति को रोक नहीं सके, 15 लोगों की मौत पर बोले कबीर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 10, 2023 07:10 PM2023-07-10T19:10:41+5:302023-07-10T19:12:36+5:30

West Bengal Panchayat Election:  पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा में 15 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई स्थानों पर मतपेटियां तोड़ दी गईं, मतपत्र फाड़ दिए गए और प्रतिद्वंद्वियों पर बम फेंके गए।

West Bengal Panchayat Election tmc neta Humayun Kabir Being Bengali, head bowed shame everyone ashamed even in 2023 not stop culture violence death of 15 people | West Bengal Panchayat Election: बंगाली होने के नाते, सिर शर्म से झुका और हर किसी को शर्मिंदा होना चाहिए, 2023 में भी हम हिंसा संस्कृति को रोक नहीं सके, 15 लोगों की मौत पर बोले कबीर

file photo

Highlightsचुनावी हिंसा में जान गंवाने वालों में 11 लोग टीएमसी से संबद्ध थे।कार्यक्रम की घोषणा होने के बाद से राजनीतिक झड़पों में 33 लोग मारे गये हैं।2003 में हुए चुनाव के दौरान यह आंकड़ा 76 था।

West Bengal Panchayat Election: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेताओं ने राजनीतिक हिंसा की संस्कृति खत्म करने की अपील करते हुए कहा है कि दो दिन पहले हुए पंचायत चुनाव में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की मौत को लेकर हर किसी को शर्मिंदा होना चाहिए।

बीते शनिवार को पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा में 15 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई स्थानों पर मतपेटियां तोड़ दी गईं, मतपत्र फाड़ दिए गए और प्रतिद्वंद्वियों पर बम फेंके गए। चुनावी हिंसा में जान गंवाने वालों में 11 लोग टीएमसी से संबद्ध थे।

टीएमसी विधायक एवं पूर्व पुलिस अधिकारी हुमायूं कबीर ने कहा, ‘‘एक बंगाली होने के नाते, मेरा सिर शर्म से झुक गया है, और इसके लिए हर किसी को शर्मिंदा होना चाहिए कि 2023 में भी हम हिंसा की इस संस्कृति पर रोक नहीं लगा सके हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें आत्मावलोकन करना चाहिए कि हम इस संस्कृति को बंद क्यों नहीं कर सकते। हम किसी अन्य स्थान पर इतनी हिंसा नहीं देखते।’’

पिछले महीने की शुरुआत में, पंचायत चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने के बाद से राजनीतिक झड़पों में 33 लोग मारे गये हैं। 2018 के पंचायत चुनावों में करीब 30 लोग मारे गये थे। इससे पहले, 2003 में हुए चुनाव के दौरान यह आंकड़ा 76 था।

टीएमसी के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा और हत्याओं की उम्मीद नहीं की जाती और उन्होंने इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘‘बेहतर होता, यदि चुनाव शांतिपूर्ण माहौल में होते। दुर्भाग्य से कई लोग मारे गए। चुनाव शांतिपूर्ण माहौल में हो, यह सुनिश्चित करना एसईसी का कर्तव्य है। राजनीतिक हिंसा की संस्कृति खत्म होनी चाहिए।’’

वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘सौगत रॉय कभी-कभी टीएमसी की अंतरात्मा की आवाज सुनाने की कोशिश करते हैं लेकिन दुर्भाग्य से उनके विचारों को उनकी पार्टी में ग्रहण करने वाला कोई नहीं है। ये कुछ और नहीं, बल्कि मगरमच्छ के आंसू हैं। माकपा ने बंगाल में यह संस्कृति शुरू की, और टीएमसी ने इसे परवान चढ़ाया।’’

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