हम सिर्फ महिला के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, हम दूसरे धर्म में या अंतर-जातीय विवाह के खिलाफ नहीं हैंः सुप्रीम कोर्ट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 12, 2019 01:19 PM2019-09-12T13:19:31+5:302019-09-12T13:19:31+5:30

शीर्ष न्यायालय ने एक हिंदू महिला के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। महिला ने एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी की थी, जिसने कुछ समय के लिए हिंदू धर्म अपना लिया था। महिला के पिता ने न्यायालय से अनुरोध किया कि उनकी बेटी को मायके में रहने की इजाजत दी जाए, जबकि उसने इसका विरोध किया।

We are only concerned about the future of women, we are not against another religion or inter-caste marriage: Supreme Court | हम सिर्फ महिला के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, हम दूसरे धर्म में या अंतर-जातीय विवाह के खिलाफ नहीं हैंः सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने कहा, ‘‘हम सिर्फ उसके (महिला के) भविष्य को लेकर चिंतित हैं। हम दूसरे धर्म में या अंतर-जातीय विवाह के खिलाफ नहीं हैं।’’

Highlightsपिता ने आरोप लगाया कि उसके पति का हिंदू धर्म अपनाना एक ढोंग था क्योंकि शादी के बाद वह इस्लाम धर्म में लौट गया।न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह ने महिला और छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर 24 सितंबर तक जवाब मांगा है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह अंतर-धर्मीय या अंतर-जातीय विवाहों के खिलाफ नहीं है। हालांकि, इसने दुर्भावनापूर्ण इरादे के साथ ऐसी शादी के बाद पुरुषों द्वारा महिलाओं को मुश्किल हालात में छोड़ देने के उदाहरणों पर चिंता जाहिर की।

शीर्ष न्यायालय ने एक हिंदू महिला के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। महिला ने एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी की थी, जिसने कुछ समय के लिए हिंदू धर्म अपना लिया था। महिला के पिता ने न्यायालय से अनुरोध किया कि उनकी बेटी को मायके में रहने की इजाजत दी जाए, जबकि उसने इसका विरोध किया।

पिता ने आरोप लगाया कि उसके पति का हिंदू धर्म अपनाना एक ढोंग था क्योंकि शादी के बाद वह इस्लाम धर्म में लौट गया। न्यायालय ने कहा कि वह याचिका की पड़ताल करेगा क्योंकि ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें दुर्भावनापूर्ण इरादे के साथ ऐसी शादियां करने वाले पुरुष महिलाओं को मुश्किल हालात में छोड़ जाते हैं।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह ने महिला और छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर 24 सितंबर तक जवाब मांगा है। पीठ ने कहा, ‘‘हम सिर्फ उसके (महिला के) भविष्य को लेकर चिंतित हैं। हम दूसरे धर्म में या अंतर-जातीय विवाह के खिलाफ नहीं हैं।’’

गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय में यह दूसरे दौर की याचिका है। पिछले साल पति ने एक याचिका दायर कर महिला को अपने साथ रहने देने का निर्देश देने की मांग की थी। यह 23 वर्षीय महिला उस वक्त अपने मायके में रह रही थी। 

Web Title: We are only concerned about the future of women, we are not against another religion or inter-caste marriage: Supreme Court

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