Waqf Amendment Bill: ‘वक्फ शब्द का अर्थ अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान’?, अमित शाह ने लोकसभा में कहा, देखें वीडियो

By सतीश कुमार सिंह | Updated: April 2, 2025 18:55 IST2025-04-02T18:30:47+5:302025-04-02T18:55:17+5:30

Waqf Amendment Bill: दोपहर 12 बजे से चल रही चर्चा को ध्यान से सुन रहा हूं। मुझे लगता है कि कई सदस्यों के बीच कई गलतफहमियां हैं, चाहे वह वास्तविक हो या राजनीतिक।

Waqf Amendment Bill live Amit Shah speaks Lok Sabha word Waqf means donation property in name of Allah many misunderstandings members watch video | Waqf Amendment Bill: ‘वक्फ शब्द का अर्थ अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान’?, अमित शाह ने लोकसभा में कहा, देखें वीडियो

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Highlightsपिछड़े मुसलमानों को भी इसमें जगह देने की बात कही जा रही है तो इसमें विपक्षी दलों को क्या परेशानी है। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि देश में वक्फ की आठ लाख संपत्ति है।अनाथालय बने और विधवाओं या बेटियों को सिलाई-कढ़ाई सिखाने की व्यवस्था की गई?

नई दिल्लीः वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी द्वारा पेश किए गए विधेयक का समर्थन करता हूं। मैं दोपहर 12 बजे से चल रही चर्चा को ध्यान से सुन रहा हूं। मुझे लगता है कि कई सदस्यों के बीच कई गलतफहमियां हैं, चाहे वह वास्तविक हो या राजनीतिक। साथ ही, इस सदन के माध्यम से उन गलतफहमियों को पूरे देश में फैलाने की कोशिश की जा रही है। ‘वक्फ शब्द का अर्थ अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान’ है।

 

शाह ने लोकसभा में कहा कि वक्फ परिषद, वक्फ बोर्ड 1995 में अस्तित्व में आए; धार्मिक मामलों में गैर-मुस्लिमों की कोई भूमिका नहीं होगी। वक्फ विधेयक को मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताना वोट बैंक के लिए भय पैदा करने के वास्ते। वक्फ परिषद और बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल किया गया है। ये निकाय पूरी तरह से घोषित उद्देश्यों के अनुरूप संपत्तियों का प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए हैं।

शाह ने कहा कि वक्फ अधिनियम और बोर्ड 1995 में लागू हुआ। गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के बारे में सभी तर्क वक्फ में हस्तक्षेप के बारे में हैं। सबसे पहले, कोई भी गैर-मुस्लिम वक्फ में नहीं आएगा। इसे स्पष्ट रूप से समझें... धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन करने वालों में किसी भी गैर-मुस्लिम को शामिल करने का कोई प्रावधान नहीं है।

हम ऐसा नहीं करना चाहते हैं। यह एक बहुत बड़ी गलत धारणा है कि यह अधिनियम मुसलमानों के धार्मिक आचरण में हस्तक्षेप करेगा और उनके द्वारा दान की गई संपत्ति में हस्तक्षेप करेगा। यह गलत धारणा अल्पसंख्यकों में अपने वोट बैंक के लिए डर पैदा करने के लिए फैलाई जा रही है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद रविशंकर प्रसाद ने वक्फ को धार्मिक संस्था के बजाय ‘‘वैधानिक संस्था’’ करार देते हुए बुधवार को लोकसभा में कहा कि मौजूदा कानून में संशोधन के जरिये यदि पिछड़े मुसलमानों को भी इसमें जगह देने की बात कही जा रही है तो इसमें विपक्षी दलों को क्या परेशानी है।

उन्होंने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि देश में वक्फ की आठ लाख संपत्ति है, लेकिन इनमें से कितने पर स्कूल, अस्पताल बने, कौशल विकास केंद्र खोले गए, अनाथालय बने और विधवाओं या बेटियों को सिलाई-कढ़ाई सिखाने की व्यवस्था की गई?

भाजपा सांसद ने विपक्षी दलों पर हमला करते हुए सवाल किया, ‘‘वक्फ की फंडिंग बढ़ने पर उस जमात का कल्याण होगा तो उन्हें क्या परेशानी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आप इस विधेयक का विरोध क्यों कर रहे हैं? आपको इस विधेयक से क्या परेशानी है? क्या आप नहीं चाहते कि वक्फ की संपत्ति गरीबों, पसमांदा मुसलमानों और बेटियों के काम आए...।’’

पूर्व कानून मंत्री ने कहा, ‘‘मैं जिस प्रदेश, बिहार से आता हूं वहां पिछड़े मुसलमान भी हैं। उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में ये लोग हैं। लेकिन पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों को वक्फ में अधिकार नहीं मिलता। यदि पिछड़े मुसलमानों को भी वक्फ में जगह देने की बात की जा रही, तो उन्हें क्या परेशानी है?’’

उन्होंने विपक्षी दलों के कुछ नेताओं पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘आजकल लाल किताब लेकर बहुत से लोग घूमते हैं, जब भी कोई बात होती है इसे दिखाया जाता है।’’ उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें लिखा है कि सरकार महिलाओं के विकास के लिए कानून बना सकती है, अब वक्फ में उनकी भूमिका के लिए कानून लाया जा रहा तो यह गैर कानूनी कैसे हो गया।

प्रसाद ने कहा कि इसी अनुच्छेद में यह भी लिखा है कि सरकार सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए काम कर सकती है और वक्फ अधिनियम में संशोधन की अनुमति अनुच्देद 15 से मिलती है। उन्होंने कहा, ‘‘सदन में कांग्रेस के उपनेता (गौरव गोगोई) ने अनुच्छेद 25 का जिक्र किया। मैं कहना चाहता हूं कि वक्फ की जमीन यदि बर्बाद हो रही, लूटी जा रही, हड़पी जा रही, तो संविधान का अनुचछेद 25 इसपर कानून बनाने का अधिकार देता है। वक्फ कोई धार्मिक संस्था नहीं है, बल्कि यह सिर्फ वैधानिक संस्था है।’’

भाजपा सांसद ने एक किताब का हवाला देते हुए कहा, ‘‘मुतवल्ली ‘मैनेजर (प्रबंधक)’ होता है और मुतवल्ली को वक्फ से जुड़ी संपत्तियों पर कोई अधिकार नहीं है बल्कि वह महज एक ‘मैनेजर’ है लेकिन विपक्ष को परेशानी इस बात की है कि मुतवल्ली के उपर ‘कंट्रोल (नियंत्रण)’ नहीं होना चाहिए।’’

प्रसाद ने कहा कि वक्फ की आठ लाख संपत्ति है, यह दुनिया की सबसे बड़ी संपत्ति है और मुतवल्ली उनका प्रबंधन करते हैं। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या मुतवल्ली की जवाबदेही होती है? उन्होंने कहा, ‘‘अगर ‘वक्फ’ देने वालों की संपत्ति लूटी जा रही तो क्या खामोशी चलेगी?’’

उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि राजीनितक मजबूरी इनके पैर पीछे खींचती है और बहुत सालों से उनका राग, सुर तीखापन और भाषा वही है। प्रसाद ने कहा कि याद करिये शाहबानो मामले को, जब उच्चतम न्यायालय के फैसले पर हो-हल्ला किया गया। उन्होंने उल्लेख किया कि उस समय राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, लेकिन मात्र एक बेवा मुस्लिम महिला को शीर्ष अदालत के फैसले में कुछ सौ रुपये दिये जाने का आदेश सुनाये जाने पर देश में हंगामा खड़ा कर दिया गया था।

उन्होंने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहा कि ‘तीन तलाक’ की प्रथा पर दो साल तक इनकी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में जवाब नहीं दाखिल किया, ताकि मामला लटका रहे। प्रसाद ने कहा कि जब ‘तीन तलाक’ पर कानून बना तो ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड ने पूरे देश में आंदोलन खड़ा करने कोशिश की।

उन्होंने कहा, ‘‘नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर क्या-क्या तूफान खड़ा किया गया...।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुस्लिम जमात के आदर्श कौन होंगे? यदि वे वोटों की दलाली और सौदागरी करने वाले लोग होंगे, तो यह स्वीकार्य नहीं होगा।’’

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