इलाहाबाद में जन्मे भारतीय विदेश सेवा के 1986 बैच के अधिकारी विकास स्वरूप के बारे में जानिए
By सतीश कुमार सिंह | Published: July 12, 2019 01:37 PM2019-07-12T13:37:32+5:302019-07-12T13:37:32+5:30
राजनयिक विकास स्वरूप को विदेश मंत्रालय में दूतावास संबंधी, पासपोर्ट, वीजा और प्रवासी भारतीय मामलों का सचिव नियुक्त किया गया है। कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी एक आदेश में कहा कि भारतीय वन सेवा के 1986 बैच के अधिकारी स्वरूप इस समय ओटावा में भारत के उच्चायुक्त हैं।
वरिष्ठ राजनयिक विकास स्वरूप को विदेश मंत्रालय में दूतावास संबंधी, पासपोर्ट, वीजा और प्रवासी भारतीय मामलों का सचिव नियुक्त किया गया है। कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी एक आदेश में कहा कि भारतीय वन सेवा के 1986 बैच के अधिकारी स्वरूप इस समय ओटावा में भारत के उच्चायुक्त हैं।
आदेश के अनुसार उन्हें विदेश मंत्रालय (दूतावास संबंधी, पासपोर्ट, वीजा और प्रवासी भारतीय मामलों का) सचिव नियुक्त किया गया है। यह आदेश एक अगस्त 2019 से लागू होगा।
Vikas Swarup has been appointed as Secretary (Consular, Passport and Visa & Overseas Indian Affairs) in the Ministry of External Affairs. https://t.co/djVjzZF0m7
— ANI (@ANI) July 12, 2019
इससे पहले इस पद पर संजीव अरोड़ा तैनात थे। उन्होंने 25 फरवरी 2019 को पदभार ग्रहण किया था। इससे पहले संजीव अरोड़ा लेबनान में भारत के राजदूत थे। भारतीय विदेश सेवा के 1986 बैच के अधिकारी स्वरूप, वर्तमान में ओटावा में भारत के उच्चायुक्त हैं।
इलाहाबाद में एक वकील के घर में जन्म लेने वाले विकास स्वरूप ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इतिहास, मनोविज्ञान और दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया है। विकास स्वरूप भारतीय विदेश सेवा के 1986 बैच के अधिकारी हैं। स्वरूप इससे पहले कनाडा के उच्चायुक्त और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भी रह चुके हैं। विकास ब्रिटेन, अमरीका और तुर्की में भारतीय विदेश सेवाओं में काम कर चुके हैं।
विकास स्वरूप साल 2000 से 2003 के बीच लंदन में कार्यरत थे। इसी दौरान उन्होंने अपना पहला उपन्यास 'क्यू एंड ए' लिखा था। उनका उपन्यास 43 भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है।उस वक्त भारत में 'कौन बनेगा करोड़पति' की बेहद चर्चा थी और उन्होंने महज दो महीने के भीतर अपने उपन्यास को पूरा कर लिया।
स्वरूप के उपन्यास 'क्यू एंड ए' पर ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त करने वाली फिल्म 'स्लमडॉग मिलेनियर' बन चुकी है। उनके उपन्यास 'क्यू एंड ए' एक काफी चर्चित किताब रही है और फिल्म बनने से पहले ही उसे काफी सराहना मिल चुकी थी। बाद में किताब का शीर्षक बदलकर 'स्लमडॉग मिलेनियर' कर दिया गया और किताब के कवर पर फ़िल्म की तस्वीर भी लगा दी गई।
हालांकि विकास अपनी किताब का शीर्षक बदले जाने से खुश नहीं हैं और यह बात उन्होंने सार्वजनिक रूप से भी कही है। उन्होंने टाइम, न्यूजवीक, द गार्जियन, द टेलीग्राफ (ब्रिटेन), द फिनांसियल टाइम्स (ब्रिटेन) और लिबरेशन समेत कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए भी लिखा है।