RSS प्रचारक परमेश्वरन के निधन पर उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने जताया शोक, उनके बारे में जानिए ये महत्वपूर्ण बातें
By भाषा | Published: February 9, 2020 02:07 PM2020-02-09T14:07:18+5:302020-02-09T14:07:18+5:30
आरएसएस प्रचारक पी. परमेश्वरन का निधन: जन संघ के दिनों में दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और एल. के. आडवाणी जैसे नेताओं के साथ काम कर चुके परमेश्वरन को देश के दूसरे सबसे बड़े असैन्य सम्मान पद्म विभूषण से 2018 में और पद्म श्री से 2004 में नवाजा गया था।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरएसएस प्रचारक पी. परमेश्वरन के निधन पर रविवार को शोक जताया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठतम प्रचारकों में से एक और पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ के नेता रहे पी. परमेश्वरन का शनिवार की देर रात निधन हो गया था। वह 93 वर्ष के थे। नायडू ने ट्वीट किया, ‘‘ श्री परमेश्वरन जी के निधन से बेहद दुखी हूं। वह एक बेहतरीन लेखक, कवि, अनुसंधानकर्ता और ‘भारतीय विचार केंद्रम्’ के संस्थापक एवं निदेशक थे।’’ उपराष्ट्रपति ने परमेश्वरन को भारतीय विचार और दर्शन का एक अवतार भी बताया। वहीं मोदी ने कहा कि परमेश्वरन भारत के एक महान और समर्पित पुत्र थे।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘ उनका जीवन भारत की सांस्कृतिक जागरूकता, आध्यात्मिक उत्थान और गरीब लोगों की सेवा करने के लिए समर्पित रहा। परमेश्वरन जी की सोच महान और लेखनी कमाल थी। वह अपने विचारों पर हमेशा अडिग रहे।’’ परमेश्वरन ने ‘भारतीय विचार केंद्रम्’, ‘विवेकानंद केंद्र’ जैसे प्रख्यात संस्थानों को अपनी सेवाएं दीं। मोदी ने कहा, ‘‘मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे उनसे बातचीत के कई अवसर मिले। वह एक बुद्धिजीवी थे। उनके निधन से दुखी हूं। ओम शांति।’’
जन संघ के दिनों में दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और एल. के. आडवाणी जैसे नेताओं के साथ काम कर चुके परमेश्वरन को देश के दूसरे सबसे बड़े असैन्य सम्मान पद्म विभूषण से 2018 में और पद्म श्री से 2004 में नवाजा गया था। परमेश्वरन एक बेहतरीन लेखक, कवि, अनुसंधानकर्ता और सम्मानित आरएसएस विचारक थे।
उन्होंने भारतीय जन संघ के सचिव (1967-1971) और उपाध्यक्ष (1971-1977) के अलावा नयी दिल्ली स्थित दीनदयाल अनुसंधान संस्थान के निदेशक (1977-1982) के तौर पर भी सेवाएं दीं। परमेश्वरन का जन्म 1927 में अलप्पुझा जिले के मुहम्मा में हुआ था। वह आरएसएस के साथ तभी जुड़ गए थे, जब वह छात्र थे।
परमेश्वरन ने आपातकाल के दौरान इसके खिलाफ सत्याग्रह में भाग लिया था और इसी कारण वह 16 महीने जेल में भी रहे थे। उन्होंने ‘‘केरलवासियों में राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए’’ 1982 में ‘भारतीय विचार केंद्रम्’ की स्थापना की थी। सूत्रों ने बताया कि उनके पार्थिव देह को रविवार सुबह कोच्चि में आरएसएस मुख्यालय लाया जाएगा जहां लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देंगे। उनका अंतिम संस्कार शाम को मुहम्मा में किया जाएगा।