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उपराष्ट्रपति ने रोकी जा सकने वाली दृष्टिहीनता से बचने का आह्वान किया

By भाषा | Updated: September 4, 2021 21:58 IST

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उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को नेत्र स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाकर और ग्रामीण आबादी के लिए किफायती नेत्र देखभाल समाधान विकसित करके रोकी जा सकने वाली दृष्टिहीनता से बचने की जरूरत पर जोर दिया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि निजी क्षेत्र ग्रामीण इलाकों में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं लाकर इसमें बड़ा योगदान दे सकता है। नायडू ने कहा, “परिहार्य दृष्टिहीनता को रोकने की काफी जरूरत है। हमें नेत्र स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाने और किफायती नेत्र देखभाल समाधान विकसित करने की आवश्यकता है जिसतक हमारी ग्रामीण आबादी की भी पहुंच हो।” एक सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि नायडू श्री रामकृष्ण सेवाश्रम, पवागडा के रजत जयंती समारोह और श्री शारदादेवी नेत्र अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के नए ब्लॉक के उद्घाटन के कार्यक्रम को डिजिटल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे अपनी झिझक को दूर करें और मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान करने के लिए आगे आएं, क्योंकि किसी को दृष्टि का उपहार देना महान कार्य है। देश में कॉर्निया दान की भारी मांग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कॉर्निया (आंख का वह पारदर्शी हिस्सा है, जिस पर बाहर का प्रकाश पड़ता है) को दान किए जाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने राष्ट्रीय दृष्टिहीनता सर्वेक्षण (2015-19) का हवाला देते हुए कहा कि भारत में लगभग 68 लाख लोग कम से कम एक आंख में कॉर्निया की दृष्टिहीनता से पीड़ित हैं, जिनमें से करीब 10 लाख लोगों को दोनों आंखों में दृष्टिहीनता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय दृष्टिहीनता और दृष्टिबाधिता सर्वेक्षण 2019 के मुताबिक, भारत में 50 साल से कम उम्र के मरीजों में कॉर्निया की दृष्टिहीनता आंखों की रोशनी जाने की प्रमुख वजह है। दृष्टिबाधिता से पीड़ितों की मुश्किलों पर चिंता व्यक्त करते हुए नायडू ने कहा कि दृष्टिबाधित लोगों को अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और सभी को उनकी कठिनाइयों को कम करने और चुनौतियों को पार पाने में मदद करने के लिए प्रयास करने चाहिए। उन्होंने सरकार और निजी क्षेत्र से दिव्यांगजनों के अनुकूल बुनियादी ढांचा बनाने की अपील की। उन्होंने निजी क्षेत्र से आरक्षण को लागू करके दृष्टिबाधित और अन्य दिव्यांगजनों को सक्रिय रूप से रोजगार प्रदान करने का आह्वान किया। महामारी के दौरान डिजिटल उपकरणों के उपयोग में वृद्धि को लेकर उपराष्ट्रपति ने प्रौद्योगिकी के अत्यधिक उपयोग के कारण स्वास्थ्य समस्याओं में इजाफे पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बच्चों में उपकरणों (गैजेट) की लत बढ़ रही है और माता-पिता व शिक्षकों को इसका निदान करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी इस्तेमाल करने के दौरान यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्या न हो या इसपर अत्याधिक निर्भरता न हों। नायडू ने आगाह किया कि आगे जाकर, अधिकांश चीजों का डिजिटलीकरण किया जाएगा और इसलिए स्वास्थ्य पर डिजिटलीकरण के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के तरीके के खोजने की जरूरत है। नायडू ने श्री रामकृष्ण सेवाश्रम के संस्थापक और अध्यक्ष स्वामी जपानंदाजी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने गरीबों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रदान की।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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