वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल
By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 23, 2020 05:59 AM2020-01-23T05:59:18+5:302020-01-23T05:59:18+5:30
केरल के कायमकुलम कस्बे के मुसलमानों ने सांप्रदायिक सद्भाव की ऐसी मिसाल कायम की है, जो शायद पूरी दुनिया में अद्वितीय है. उन्होंने अपनी मस्जिद में एक हिंदू जोड़े का विवाह करवाया. विवाह याने हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार मंत्र-पाठ, पूजा, हवन, दीप प्रज्ज्वलन, मंगल-सूत्र आदि यह सब होते हुए आप यू-ट्यूब पर भी देख सकते हैं.
केरल के कायमकुलम कस्बे के मुसलमानों ने सांप्रदायिक सद्भाव की ऐसी मिसाल कायम की है, जो शायद पूरी दुनिया में अद्वितीय है. उन्होंने अपनी मस्जिद में एक हिंदू जोड़े का विवाह करवाया. विवाह याने हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार मंत्र-पाठ, पूजा, हवन, दीप प्रज्ज्वलन, मंगल-सूत्र आदि यह सब होते हुए आप यू-ट्यूब पर भी देख सकते हैं.
शरत शशि और अंजू अशोक कुमार के इस विवाह में आए 4000 मेहमानों को शाकाहारी प्रीति-भोज भी करवाया गया. विवाह के बाद वर-वधू ने मस्जिद के इमाम रियासुद्दीन फैजी का आशीर्वाद भी लिया.
चेरावल्ली मुस्लिम जमात कमेटी ने वर-वधू को 10 सोने के सिक्के, 2 लाख रु . नकद, टीवी, फ्रिज और फर्नीचर वगैरह भी भेंट में दिए.
इस जमात के सचिव नजमुद्दीन ने बताया कि वधू अंजू के पिता अशोक कुमार उनके मित्र थे और 49 वर्ष की आयु में अचानक उनका निधन हो गया था. खुद नजमुद्दीन गहनों के व्यापारी हैं और अशोक सुनार थे. अशोक की पत्नी ने अपनी 24 साल की बेटी अंजू की शादी करवाने के लिए नजमुद्दीन से प्रार्थना की. उनकी अपनी आर्थिक स्थिति काफी नाजुक थी. नजमुद्दीन को मस्जिद कमेटी ने अपना पूरा समर्थन दे दिया. इस काम ने यह सिद्ध कर दिया है कि हमारे देश का मलयाली समाज कितना महान है, कितना दरियादिल है और उसमें कितनी इंसानियत है!
यदि ईश्वर सबका पिता है तो पूरा मानव-समाज एक-दूसरे के रीति-रिवाजों का सम्मान क्यों नहीं कर सकता? लेकिन दुर्भाग्य यह है कि मजहब के नाम पर सदियों से निम्नतम कोटि की राजनीति होती रही है. मनुष्यों ने अपने-अपने मनपसंद भगवान गढ़ लिए हैं और उन्हें वे अपने हिसाब से आपस में लड़ाते रहते हैं. उन्हें एक-दूसरे से ऊंचा-नीचा दिखाते रहते हैं.
मस्जिद में हिंदू विवाह करवाकर मलयाली मुसलमानों ने सिद्ध कर दिया है कि वे पक्के मुसलमान तो हैं ही, पक्के भारतीय भी हैं. वे ऊंचे इंसान हैं, इसमें तो कोई शक है ही नहीं.