नई दिल्ली: पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी के नरेंद्र मोदी सरकार पर लगातार हो रहे हमलों के बीच राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोर पकड़ती जा रही है कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों से पूर्व वरुण भाजपा को अलविदा कह सकते हैं और मां मेनका गांधी से जुदा राजनीतिक रास्ता अपना सकते हैं।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने जिस तरीके से उनको राष्ट्रीय समिति से अलग किया उससे वरुण काफी आहत महसूस कर रहे हैं। वरुण के एक नज़दीकी सूत्र ने दलील दी कि भाजपा नेतृत्व को फैसला लेने से पहले वरुण को विश्वास में लेना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
वरुण ने अटल बिहारी वाजपेयी का जो वीडियो सोशल मीडिया पर साझा है उससे उन्होंने दोहरी चाल चली है। एक तरफ इसके जरिए उन्होंने मोदी सरकार पर किसानों को लेकर हमला किया तो दूसरी तरफ अपने संसदीय क्षेत्र से सटे लखीमपुर खीरी के किसानों की सहानुभूति बटोरने की भी कोशिश की।
प्रियंका गांधी से संपर्क में वरुण गांधी
सूत्रों ने यह भी संकेत दिये कि वरुण और प्रियंका गांधी के बीच मधुर संबंध हैं। ऐसे में वरुण इन दिनों प्रियंका के लगातार संपर्क में हैं। हालांकि कांग्रेस कोई औपचारिक टिप्पणी न कर मौन है। पार्टी महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि उनके पास फिलहाल कोई जानकारी नहीं है, यह गांधी परिवार का आंतरिक मामला है जिस पर परिवार को ज़रूरत पड़ने पर फैसला लेना है।
वरुण के निकट सूत्र ने दावा किया कि वरुण ने सभी विकल्प खुले रखे हैं और उचित समय पर उचित निर्णय करेंगे। माना जा रहा है कि वरुण भाजपा नेतृत्व की कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं। अगर भाजपा उनको निष्कासित करती है तो उनकी लोकसभा सीट को कोई खतरा नहीं होगा।
वहीं, वरुण अगर स्वयं पार्टी छोड़ते हैं तो उनको लोकसभा की सदस्य्ता त्यागनी पड़ेगी। समाजवादी पार्टी भी वरुण के फैसले पर निगाह लगा कर बैठी है ताकि समय आने पर वरुण से संपर्क साधा जा सके।