नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरूण गांधी ने रविवार को आरोप लगाया कि लखीमपुर खीरी में पिछले दिनों हुई हिंसा की घटना को हिन्दू बनाम सिख बनाए जाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह कोशिश ना सिर्फ ‘‘अनैतिक व गलत धारणा’’ पैदा करने वाली है बल्कि ‘‘खतरनाक’’ भी है।
वरूण गांधी किसानों के मुद्दे पर लगातार अपनी राय रख रहे हैं। लखीमपुर खीरी में पिछले दिनों हुई हिंसा को लेकर भी उन्होंने वीडियो साझा किए थे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘लखीमपुर खीरी की घटना को हिन्दू बनाम सिख की लड़ाई बनाने की एक कोशिश हो रही है। यह ना सिर्फ अनैतिक व गलत विमर्श पैदा करने वाली है, बल्कि ऐसी कोई रेखा खींचना और उनके घावों को हरा करने का प्रयास, जिसे भरने में पीढ़ियां खप गईं, खतरनाक है। हमें राजनीतिक फायदे के लिए राष्ट्रीय एकता को ताक पर नहीं रखना चाहिए।’’
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में गत रविवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध करने के दौरान हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने हिंसा के सिलसिले में आशीष मिश्रा को शनिवार को करीब 12 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया।
वरूण गांधी ने कहा कि लखीमपुर खीरी में न्याय के लिए संघर्ष गरीब किसानों की नृशंस हत्या को लेकर है और इसका किसी धर्म विशेष से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारी किसानों को खालिस्तानी बताया जाना ना सिर्फ हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए लड़ने और खून बहाने वाले तराई के महान सपूतों का अपमान है, बल्कि राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक भी है, यदि इससे गलत प्रकार की प्रतिक्रिया हो जाए तो।’’
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी और पीलीभीत समेत तराई पट्टी में सिख किसानों की अच्छी खासी आबादी है और इस इलाके को मिनी पंजाब भी कहा जाता है। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के निर्वाचन क्षेत्र में उप मुख्यमंत्री मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे किसानों में ज्यादातर सिख समुदाय के ही थे।
लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर और तराई पट्टी के आसपास के जिलों के सिख किसान तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन में खासे सक्रिय हैं। लखीमपुर खीरी की घटना के बाद यह सिख किसान राजनीतिक दलों के लिए सियासी लिहाज से महत्वपूर्ण हो गए हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को लेकर भी वरूण गांधी का रुख भाजपा को असहज स्थिति में डालता रहा है। माना जा रहा है कि इसी वजह से हाल ही में भाजपा की नवगठित राष्ट्रीय कार्यसमिति से वरूण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी को बाहर किया गया था।
इससे पहले, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने वरूण गांधी को बुलाकर बातचीत की थी।
‘‘इंडिया टूडे’’ के एक कार्यक्रम में वरूण गांधी के रुख को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए नड्डा ने कहा था, ‘‘हमने उनको बुलाया था और बात की है। आगे चलकर उसके अच्छे नतीजे आएंगे। ठीक रहेगा सबकुछ।’’
हालांकि, नड्डा के इस बयान के बावजूद वरूण गांधी ने लखीमपुर की घटना को लेकर रविवार को गंभीर सवाल उठाए हैं।
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