Vadodara Literature Festival: अंशुमन भगत ने झारखंड की क्षेत्रीय भाषाओं पर की चर्चा, कहा-हमेशा अपनापन महसूस होता
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 12, 2023 09:25 PM2023-05-12T21:25:12+5:302023-05-12T21:26:04+5:30
Vadodara Literature Festival: "आई.आई.एम.यू.एन" दुनिया की सबसे बड़ी युवाओं द्वारा संचालित संगठन है, जिसका उद्देश्य वैश्विक समस्याओं के समाधान विकसित करने के लिए युवाओं को सशक्त बनाकर दुनिया को करीब लाना है।

झारखंड के स्थानीय भाषाओं में हमेशा अपनापन महसूस होता हैं
Vadodara Literature Festival: वडोदरा लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया गया। लेखक अंशुमन भगत ने झारखंड की क्षेत्रीय भाषाओं पर चर्चा की। हाल ही में हुई "आई.आई.एम.यू.एन" द्वारा संचालित "वडोदरा लिटरेचर फेस्टिवल" जिसका आयोजन गुजरात के पारुल यूनिवर्सिटी में 10 से 11 मई तक हुई।
इस लिटरेचर फेस्टिवल में भारत के तमाम राज्यों के बड़े लेखकों और नामी हस्तियों को बुलाया गया था। जिसमें शबाना आजमी, चेतन भगत, ताहिरा कश्यप, लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ, आलोक श्रीवास्तव के साथ झारखंड के जमशेदपुर शहर से सुप्रसिद्ध लेखक अंशुमन भगत भी शामिल थे।
अंशुमन पैनलिस्ट के रूप में वहां मौजूद रहे और वडोदरा लिटरेचर फेस्टिवल में भाषाओं के सम्मेलन देश के दिल की कहानियां में अपनी प्रतिक्रिया दी। "आई.आई.एम.यू.एन" दुनिया की सबसे बड़ी युवाओं द्वारा संचालित संगठन है, जिसका उद्देश्य वैश्विक समस्याओं के समाधान विकसित करने के लिए युवाओं को सशक्त बनाकर दुनिया को करीब लाना है।
इस संस्था में कई नामी शख्सियतों ने स्पीकर के रूप में अपनी बात रखी हैं जिनमें राजनीतिक और फिल्मी क्षेत्र के लोग रहे हैं। शशि थरूर, करण जौहर, गौरी खान, कृति सनोन, कार्तिक आर्यन, सानिया मिर्ज़ा सहित अन्य लोकप्रिय हस्तियों ने "आई.आई.एम.यू.एन" का समर्थन किया हैं।
लेखक अंशुमन भगत ने इस कार्यक्रम के माध्यम से भाषाओं के महत्व के बारे में समझाया, उनके साथ इस चर्चा पैनल में खालिद अहमद शामिल थे। अपने जवाब में अंशुमन बताते हैं कि भारत में भाषाओं का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है, ख़ास तौर पर क्षेत्रीय भाषाओं की।
भारत एक विविधतापूर्ण देश है जहां अनेक भाषाएं बोली जाती हैं और इसका संपूर्ण गौरव व भौगोलिक और सांस्कृतिक संपदा में महत्वपूर्ण योगदान होता है। अंशुमन ने अन्य शहरों में बोले जाने वाली स्थानीय भाषाओं के साथ-साथ झारखंड के क्षेत्रीय भाषाओं के विषय में भी चर्चा किया।
जिसमें वह बताते हैं कि झारखंड के स्थानीय भाषाओं में हमेशा अपनापन महसूस होता हैं और स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा मिलना चाहिए क्योंकि भाषाएं लोगों के आपसी संबंधों को मजबूत करती हैं और उन्हें संवाद का माध्यम प्रदान करती हैं। इस कार्यक्रम में उनके द्वारा भाषाओं पर उनकी बातों को लोगों ने बड़े ध्यान से सुना और उन्हें सराहना भी मिली।