उत्तर प्रदेश: चुनाव में हार के बाद हुई कैबिनेट में स्थानांतरण नीति को दी गई मंजूरी, 41 प्रस्तावों पर लगी मुहर
By राजेंद्र कुमार | Updated: June 11, 2024 19:39 IST2024-06-11T19:38:31+5:302024-06-11T19:39:49+5:30
मंगलवार को सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक कुल 42 प्रस्ताव रखे गए, जिनमें 41 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

उत्तर प्रदेश: चुनाव में हार के बाद हुई कैबिनेट में स्थानांतरण नीति को दी गई मंजूरी, 41 प्रस्तावों पर लगी मुहर
लखनऊ: लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद मंगलवार को हुई सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में वर्ष 2024-25 के लिए नई स्थानांतरण नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति के तहत समूह क और ख के उन अधिकारियों का स्थानांतरण किया जा सकेगा, जिन्होंने जनपद में 3 वर्ष और मंडल में 7 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। वहीं समूह ग और घ में सबसे पुराने अधिकारियों का स्थानांतरण किया जाएगा। स्थानांतरण नीति में समूह क और ख के अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए अधिकतम 20 प्रतिशत तो वहीं समूह ग और घ के लिए अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा रखी गई है। इस स्थानांतरण नीति के तहत सभी स्थानांतरण आगामी 30 जून तक किए जाने हैं।
इसके बाद किए जाने वाले स्थानांतरण मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद ही किए जाएँगे। मंगलवार को सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक कुल 42 प्रस्ताव रखे गए, जिनमें 41 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। जल शक्ति विभाग के 26 प्रस्तावों पर कैबिनेट ने अपनी सहमति जताई। महाकुंभ 2025 की तैयारियों के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई।
कैबिनेट बैठक में पारित प्रस्तावों के विषय में जानकारी देते हुए वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कैबिनेट से पारित स्थानांतरण नीति के बारे में विस्तार से बताया। इस नीति में पिछले वर्ष की नीति के प्रावधानों का अनुसरण किया गया है। इसके तहत समूह क और ख के वो अधिकारी जिन्होंने अपने सेवाकाल में मंडल में 7 वर्ष और जनपद में 3 वर्ष पूरे कर लिए हों वो स्थानांतरण नीति के अंतर्गत आएंगे।
उन्होंने बताया कि समूह ग और घ में स्थानांतरण पूरी तरह मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से पूर्ण किए जाएंगे। सुरेश खन्ना में बताया कि जल शक्ति विभाग की 26 परियोजनाओं को मिली मंजूरी दी गई है। यह 26 परियोजना सूबे के बुंदेलखंड क्षेत्र की हैं।
नहीं आए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य
लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बाद हुई पहली कैबिनेट बैठक में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य शामिल नहीं हुए। इसके पहले वह चुनाव में हुई हार के कारणों पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बुलाई गई मंत्रियों की बैठक में भी नहीं आए थे। फिलहाल मुख्यमंत्री की बैठक में उनके गैरहाजिर रहने को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
कहा जा रहा है कि वह किन्हीं वजहों से नाराज हैं। फिलहाल केशव मौर्य मीडिया के दूरी बनाए हुए हैं इस कारण उनके कैबिनेट बैठक में ना आने को लेकर कोई कुछ बोल नहीं रहा है।