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उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनावः ओबीसी आरक्षण का फैसला रद्द, विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर, सीएम ने कहा-ओबीसी आरक्षण देंगे, फिर चुनाव कराएंगे

By राजेंद्र कुमार | Updated: December 27, 2022 18:20 IST

इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार की नगर निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए राज्य में नगर निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने का आदेश दिया।

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ठळक मुद्देनिकाय चुनाव को 31 जनवरी, 2023 तक संपन्न करा लिया जाए।न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने आदेश दिया।शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्‍ता साफ हो गया है।

लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को बीते रहे साल में हाईकोर्ट के फैसले से मंगलवार को बड़ा लगा. इलाहाबाद हाई की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के लिए सरकार की ओर से जारी ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने तुरंत चुनाव कराने का निर्देश दिया है.

इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध करायेगी, फिर चुनाव कराएगी. मुख्यमंत्री ने जल्दी ही पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन की भी बात कही है. वही दूसरी तरफ विपक्षी दलों ने हाईकोर्ट के फैसले को लेकर योगी सरकार को आड़े हाथों लिया है.

लंबी सुनवाई के बाद मंगलवार की दोपहर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से योगी सरकार के लिए झटका देने वाली खबर आयी। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने ओबीसी आरक्षण को रद्द करते हुए जल्दी चुनाव कराने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो, तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं होगा, सरकार या निर्वाचन आयोग बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करवा सकता है.

जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने निकाय चुनाव में ओबीसी के आरक्षण से जुड़ी कुल 93 पिटीशन के सुनवाई करने के बाद कहा है कि यूपी सरकार ने 5 दिसंबर को निकाय चुनाव को लेकर जो आरक्षण सूची जारी की, उसे रद्द किया जाता है. इसके साथ ही 12 दिसंबर को सरकार के द्वारा जो प्रशासक नियुक्त किए गए थे, उसे भी रद्द किया जाता है.

यानी यूपी सरकार के दो फैसलों पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. हाईकोर्ट के इस फैसले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध करायेगी, इसके उपरान्त ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा.

अगर जरूरी हुआ तो राज्य सरकार हाई कोर्ट के निर्णय के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके सुप्रीम कोर्ट में अपील भी करेगी. प्रदेश की योगी सरकार ओबीसी आरक्षण के पक्ष में है, 5 दिसंबर की अधिसूचना में प्रदेश के ओबीसी को सभी पदों पर 27% का आरक्षण दिया गया था.

निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए सरकार की तरफ से कहा गया कि उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए 22 मार्च 1993 को आयोग बनाया गया था, उसके आधार पर 2017 में भी निकाय चुनाव करवाए गए थे, जिस ट्रिपल टेस्ट की बात कही गई है उसका पालन करते हुए उत्तर प्रदेश में बैकवर्ड क्लास को आरक्षण देने के लिए डेडिकेटेड कमीशन बना हुआ है और उसके आधार पर ही आरक्षण दिया गया है, जो 50 फीसदी से अधिक नहीं है. सरकार की इन दलीलों का हाईकोर्ट पर कोई असर नही पड़ा.

इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ पीठ-विपक्ष हुआ हमलावर

फ़िलहाल हाईकोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दलों को योगी सरकार पर हमला बोलने का मौका मिल गया है. समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है,आज आरक्षण विरोधी भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है.

आज भाजपा ने पिछड़ों के आरक्षण का हक़ छीना है ,कल भाजपा बाबा साहब द्वारा दिए गए दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने हाई कोर्ट के फैसले को बीजेपी की ओबीसी और आरक्षण विरोधी सोच बताया था. 

अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्‍य सरकार ने कहा है कि इस मामले में आयोग गठित कर ‘ट्रिपल टेस्ट’ के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और इसके उपरांत ही नगर निकाय चुनाव सम्पन्न कराया जाएगा। उसने कहा कि यदि जरूरी हुआ तो उच्चतम न्यायालय में भी सरकार अपील करेगी.

राज्य सरकार ने इस महीने की शुरुआत में त्रिस्तरीय नगर निकाय चुनाव में 17 नगर निगमों के महापौरों, 200 नगर पालिका परिषदों के अध्यक्षों और 545 नगर पंचायतों के लिए आरक्षित सीटों की अनंतिम सूची जारी करते हुए सात दिनों के भीतर सुझाव/आपत्तियां मांगी थी और कहा था कि सुझाव/आपत्तियां मिलने के दो दिन बाद अंतिम सूची जारी की जाएगी.

सरकार ने पांच दिसंबर के अपने मसौदे में नगर निगमों की चार महापौर सीट ओबीसी के लिए आरक्षित की थीं, जिसमें अलीगढ़ और मथुरा-वृंदावन ओबीसी महिलाओं के लिए और मेरठ एवं प्रयागराज ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थे।

दो सौ नगर पालिका परिषदों में अध्यक्ष पद पर पिछड़ा वर्ग के लिए कुल 54 सीट आरक्षित की गयी थीं जिसमें पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए 18 सीट आरक्षित थीं। राज्य की 545 नगर पंचायतों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गयीं 147 सीट में इस वर्ग की महिलाओं के लिए अध्यक्ष की 49 सीट आरक्षित की गयी थीं।

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