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उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) को अदालत में हाजिर होने का निर्देश

By भाषा | Updated: August 24, 2021 21:44 IST

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी, जालौन के पुलिस अधीक्षक रवि कुमार और जालौन के नंदी गांव पुलिस थाना के उप निरीक्षक केदार सिंह को बुधवार को अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया और पूछा कि क्यों ना उनके खिलाफ उचित आदेश पारित किया जाए और एक मामले में भ्रामक हलफनामा दाखिल करने के लिए जुर्माना लगाया जाए। अदालत ने अपर मुख्य सचिव (गृह) को प्रदेश में कारोबार सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) की नीति प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ ने विशाल गुप्ता नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। विशाल गुप्ता ने कथित धोखाधड़ी और सरकारी सेवक के आदेश की अवहेलना को लेकर 20 फरवरी, 2021 को दर्ज एफआईआर रद्द करने का अनुरोध अदालत से किया है। इस याचिका में बताया गया है कि याचिकाकर्ता वस्तुओं की आपूर्ति का कारोबार करता है। आरोपों के मुताबिक, याचिकाकर्ता अपने वाहन में सुपारी और तंबाकू के आठ बंडल ले जा रहा था और एसआई द्वारा पूछे जाने पर वह वैध परिपत्र नहीं दिखा सका जिसकी वजह से भादंवि की धारा 420 और 188 के तहत उक्त प्राथमिकी दर्ज की गई। इससे पूर्व, 13 अगस्त को अदालत ने कहा था कि उक्त एफआईआर में सूचनादाता (एसआई) की गलत मंशा परिलक्षित होती है और प्रतिवादी अधिकारियों को इस मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। इस पर जालौन के पुलिस अधीक्षक ने 18 अगस्त को एक जवाबी हलफनामा दाखिल किया जिसमें ना ही याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई गई थी और ना अदालत द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए थे। अदालत ने इस पर अपर मुख्य सचिव (गृह) को 24 अगस्त तक एक निजी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जो 23 अगस्त को दाखिल किया गया। अदालत ने मंगलवार को अपर मुख्य सचिव और जालौन के पुलिस अधीक्षक के हलफनामों पर गौर करने के बाद कहा, “हमने अपर महाधिवक्ता को 13 अगस्त और 18 अगस्त के आदेशों से अवगत करा दिया था और आज दाखिल हलफनामों को देखकर हम यह कहने को विवश हैं कि प्रतिवादियों- अपर मुख्य सचिव और पुलिस अधीक्षक- द्वारा भ्रामक हलफनामे दाखिल किए गए हैं। ऐसा लगता है कि अवैध, मनमानी और असंवैधानिक कार्रवाई के बचाव में इनके दृष्टिकोण में कोई बदलाव नहीं आया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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