किसी कैदी के लिए जेल से बाहर आना सबसे बड़ी ख्वाहिश होती है, लेकिन यह कोविड महामारी का दौर है। उत्तर प्रदेश की अलग-अलग जेलों में बंद 21 कैदियों ने पैरोल पर जेल से बाहर आने से इनकार कर दिया है। इसके पीछे महामारी का डर बताया जा रहा है। कैदियों ने कहा है कि उनके साथ जेल में बेहतर व्यवहार किया जा रहा है और जेल में खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं।
उत्तर प्रदेश के डीजी जेल आनंद कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि प्रदेश की अलग-अलग नौ जेलों में बंद 21 दोषियों ने पैरोल पर जेल से बाहर आने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जेलों में कैदियों का खयाल रखा जा रहा है और कोरोना प्रोटोकॉल का भी पालन किया जा रहा है।
यूपी में कुल 10,123 कैदियों को छोड़ा
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जेलों में संक्रमण से बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किया जा रहा था। इसके तहत विचाराधीन कैदियों और दोषियों को जमानत और पैरोल पर छोड़ा गया। जिससे जेलों में भीड़भाड़ न हो और कोरोना वायरस से बचाव हो सके। जिसके बाद राज्य में 10,123 कैदियों को छोड़ा गया था।
गाजियाबाद से सबसे ज्यादा कैदी रिहा
हालांकि इनमें से 21 कैदियों ने जेल से बाहर जाने से मना कर दिया है। जिन कैदियों को छोड़ा गया है, उनमें 8,463 विचाराधीन कैदियों को जमानत पर और 1,660 दोषी कैदियों को 60 दिनों की पैरोल दी गई। इनमें से सर्वाधिक विचाराधीन कैदी गाजियाबाद जेल से छोड़े गए। गाजियाबाद से 703 विचाराधीन कैदियों को जिला जेल से छोड़ा गया।
जेलों में क्षमता से अधिक कैदी
देश की जेलों की स्थिति अच्छी नहीं है। ज्यादातर जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं। इसके चलते कई बार उन्हें संभालना भी मुश्किल हो जाता है। वहीं कोरोना संकट के दौरान ज्यादा कैदियों के कारण संक्रमण फैलने का भी खतरा था। जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने यह कदम उठाया है।